EVM ki Puri Kahani यह है कि ईवीएम को कई देशों ने बंद कर दिया है, वोटिंग मशीन हम पर थोपी जा रही हैं । EVM दुनिया क एलिड्स लोगों की चाह है ।
EVM ki Puri Kahani | ईवीएम की पूरी कहानी | EVM Full Story
1988 में मिली ईवीएम इस्तेमाल करने की इजाजत
सन् 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन कर नई धारा 61ए जोड़ी गई. इसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया. चुनाव आयोग ने सन् 1989 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की साझेदारी में ईवीएम के मॉडल तैयार करने का ऑर्डर दिया. इन मशीनों के इंडस्ट्रियल डिजाइनर आईआईटी मुंबई के इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर के फैकल्टी मेंबर थे. 1998 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली को मिलाकर कुल 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. पहली बार पूरी तरह ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल सन् 2004 के आम चुनावों में हुआ था.
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EVM ki Puri Kahani- किन देशों ने बंद कर दिया ईवीएम का इस्तेमाल
अब तक 31 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा चुका है. इनमें से सिर्फ चार ऐसे देश हैं, जहां राष्ट्रीय स्तर पर इसका इस्तेमाल होता है. 11 देश ऐसे हैं, जिनके कुछ हिस्सों में इसका इस्तेमाल होता है. कुछ देश जिन्होंने ईवीएम का इस्तेमाल करने के बाद इसे इस्तेमाल ना करने का फैसला किया उनमें से एक है कजाकिस्तान. यहां साल 2011 में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया गया. वहीं फिनलैंड में सन् 2008 में इसका इस्तेमाल शुरू किया गया, लेकिन सन् 2016-17 में इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई. जर्मनी में सन् 2005 में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, लेकिन सन् 2009 में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया. नॉर्वे और रोमानियां में सन् 2003 में ईवीएम इस्तेमाल हुईं और फिर बंद कर दी गई.
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भारत में भी हो चुका है ईवीएम का विरोध
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां जब ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, तब भी कई जगह इसका विरोध हुआ. पहली बार ये विरोध सामने आया सन् 2009 में. बीजेपी सरकार ने अपनी हार की वजह ईवीएम में गड़बड़ी को बताया. इसी के आधार पर सन् 2014 के आम चुनावों में बैलेट पेपर इस्तेमाल करने की बात कही गई. यही नहीं साल 2017 में ईवीएम हैक होने की आशंकाएं भी जाहिर की गईं.
EVM ki Puri Kahani- वोटिंग मशीन हम पर क्यों थोपी जा रही हैं
इलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीनों में वोट देने के बाद क्या हम दावे से कह सकते हैं कि हमारा वोट उसी पार्टी के खाते में गया जिसे हमने वोट दिया ? इसका सबूत क्या है ?
‘डच’ जनहित समूह ने एक विडियो का निर्माण किया जिसमें दिखाया गया कि कितनी आसानी से और तुरंत वोटिंग मशीन को बिना किसीको पता चले हैक किया जा सकता है । जब यह विडियो ‘डच’ नेशनल टेलीविजन पर अक्टूबर 2006 में दिखाया गया तो वहाँ की नैंदरलैंड सरकार ने चुनाव में वोटिंग मशीन उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया ।
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