EVM se Dhokhadhani में अंदरूनी छेडछाड की अनंत सम्भावनाएँ होती हैं क्योंकि इन लोगों की EVM मशीनों तक खुली पहुँच होती है । इसके कई उदाहरण हैं ।
EVM se Dhokhadhani- ईवीएम से धोखाधड़ी पकड़ी गयी
EVM की अंदरूनी धोखाधड़ी आसान :
अंदरूनी धोखाधड़ी की अनंत सम्भावनाएँ होती हैं क्योंकि इन लोगों की EVM मशीनों तक खुली पहुँच होती है । यह सब पुराने परम्परागत मतपत्र प्रक्रिया से बिल्कुल अलग हटकर है, जिसमें केवल चुनाव अधिकारी ही अंदरूनी कर्ता-धर्ता होता था लेकिन इन इलक्ट्रॉनिक मशीनों के राज में तो कितने ही अंदरूनी स्टाफ होते हैं; जो कि सारे-के-सारे निर्वाचन कमीशन के नियंत्रण के विस्तार-क्षेत्र से बाहर आते हैं।
(क) जिला अधिकारी, अधिकृत तकनीकी अधिकारी वोटिंग मशीनों के निर्माणकर्ता एवं उनसे संबंधित लोग ।
(ख) मशीन निर्माणकर्ता BEL और ECIL कम्पनी के कर्मचारी, जो कि दोनों की दोनों ही कम्पनियाँ सरकार के स्वामित्व में आनेवाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग हैं ।
(ग) प्राइवेट एजेन्सियाँ या मशीनों की जाँच का कार्य करने के लिए स्टाफ को ढ़ूँढ़कर देनेवाले एजेंट आदि लोग आते हैं । इनमें बहुतों पर तो राजनैतिक संबंध होने का आरोप भी है ।
(घ) माईक्रोचिप के विदेशी पूर्तिकारक, उनके विक्रेता, उनके लाने-ले जानेवाले एजेंट आदि आदि ।
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EVM se Dhokhadhani- वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ व धोखाधड़ी
EVM में गड़बड़ी और धोखाधड़ी संबंधी जो आशंकाएँ हैं उसके पीछे एक मूल आशंका यही थी कि आखिर यह कैसे पता चले कि आपने जिसे वोट दिया है, वह वोट उसी प्रत्याशी के खाते में गया ? मशीन से तो सिर्फ बीप की आवाज आती है, स्क्रीन पर कोई निशान तो आता नहीं कि हम मान लें कि हाँ, चलो उसीको वोट गया, जिसे हम देना चाहते थे । न ही वोटिंग मशीनों से कोई प्रिंट आउट निकलता है जो यह साबित करे कि आपने फलाँ (अमुक) प्रत्याशी को ही वोट दिया । गलत ढंग से फायदा उठानेवाले वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के कई तरीके अपना सकते हैं ।
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EVM se Dhokhadhani पकड़ी गयी
(अ) यहाँ हर पार्टी का वोट काँग्रेस को ही दर्ज हुआ :
सन् 2009 में महाराष्ट्र के नांदेड़ संसदी चुनाव क्षेत्र में मुखेड विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के बूथ नम्बर 265 में किसी भी प्रत्याशी को दिये गये मत केवल काँग्रेस के हक में ही दर्ज किये जा रहे थे । बिल्कुल वैसी ही समस्या दक्षिण मुंबई संसदीय चुनाव की शिवडी विधानसभा क्षेत्र में बूथ नम्बर 183 में भी देखी गयी थी ।
(ब) वोटिंग मशीनों में डाले गये मतों से अधिक मत दिखायी दिये :
महाराष्ट्र के भंडारा संसदीय चुनाव क्षेत्र में 61 मतदान केन्द्रों में डाले गये मतों व गिने गये मतों में अंतर पाया गया । अक्टूबर 2009 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भी बिल्कुल वैसी ही भिन्नता पायी गयी । एक विधानसभा चुनाव क्षेत्र में डाले गये मतों से EVM से गिने गये मतों की संख्या अधिक पायी गयी, जबकि दूसरे विधानसभा चुनाव क्षेत्र में EVM मशीनों द्वारा मतों की संख्या वास्तव में मतदान के दिन डाले गये मतों से कम थी । ये दोनों घटनाएँ जो ‘टाइम्ज ऑफ इंडिया’ समाचार पत्र में आयी थीं, लोगों में बहुत बड़ा आश्चर्यजनक संशय पैदा कर दी हैं ।
(स) वोटिंग मशीनों में डाले गये मत गुम (नष्ट) हो गये :
उदाहरण के रूप में सन् 2009 में आंध्रप्रदेश के परकाल विधानसभा क्षेत्र में छः मतदान केन्द्रों (नम्बर 185, 197, 209, 212, 221 और 224) में डाले गये मत गुम हो गये हैं । बिल्कुल ऐसी ही स्थिति और बहुत-से दूसरे निम्न चुनाव क्षेत्रों में भी देखने को मिली । रामगुंदम विधानसभा (SC) चुनाव क्षेत्र (मतदान केन्द्र नम्बर 60, 61), आलमपुर (SC) चुनाव क्षेत्र (मतदान केन्द्र नम्बर 60, 69), पन्यम (मतदान केन्द्र नम्बर 44 व 45) आदि आदि । ये सब तो केवल एक सांकेतिक सूची है न कि सम्पूर्ण ! पांडिचेरी संसदीय चुनाव क्षेत्र के ओझुकराई विधानसभा खंड के मतदान केन्द्र नम्बर 6 में सभी 555 मत कचरे की पेटी में फेंक दिये गये; क्योंकि मतगणना के दिन उसकी नियंत्रण ईकाई (Control Unit) ने ठीक से कार्य नहीं किया ।
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