पुरानी मतदान-पद्धति ही अमल मेें लायी जाय तो अच्छा है क्योकि EVM ki Asaliyat सामने आ चुकी है यह बडी ही आसाना से हैक हो जाती है ।
EVM ki Asaliyat- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की असलियत
– डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी
वोटिंग मशीन पेटेंट करने लायक नहीं :
मैंन इन्टेलेक्चुयल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन जो कि पेरिस में है, को पत्र लिखा कि क्या भारतीय चुनाव आयोग के पास इस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का पेटेंट है ? जवाब आया, ‘उन्होंने आवेदन किया था लेकिन आवश्यक और विस्तार में जानकारी के अभाव में उनका आवेदन इस अभिप्राय के साथ कि यह EVM पेटेंट करने के लायक या योग्य नहीं है रद्द किया गया । EVM एक देशी मशीन है । यह भी पढें- ईवीएम का विरोध- जनता की आवाज
EVM उपयोग करनेवाले पागल हैं यह EVM ki Asaliyat है
EVM का सबसे महत्त्वपूर्ण पार्ट माईक्रो कन्ट्रोलर है जो जापान की कम्पनी द्वारा बनाया जाता है । उस जापानी कम्पनी से सम्पर्क करके मैंने (सुब्रह्मण्यम् स्वामी) उनसे पूछा कि क्या आप इस माईक्रो कन्ट्रोलर का इस्तेमाल अपने देश के EVM में करते हैं ? उन्होंने जवाब में कहा : ‘‘क्या आप पागल हैं ? हम पर्चेवाली प्रक्रिया उपयोग करते हैं, EVM नहीं ।’’ जिस देश की कम्पनी माईक्रो कन्ट्रोलर बनाती है और हमें बेचती है। वह देश खुद इसका इस्तेमाल नहीं करता है तो हम क्यों करें ?
इसे केवल तीन लोकतांत्रिक देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है वेनेजुएला, नाईजिरिया और भारत । हाईकोर्ट ने भी माना कि EVM के साथ छेड़छाड़ सम्भव है और चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि सभी पक्षों के साथ चर्चा हो और निर्णय हो कि क्या किया जाय ?
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इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन EVM क्या है ?
EVM ki Asaliyat बताने वाले को जेल :
आश्चर्य की बात यह है कि चुनाव आयोग का यह दावा है कि ‘यह EVM अद्वितीय मशीन है, इसमें धाँधली असम्भव है ।’ मैं (सुब्रह्मण्यम् स्वामी) आंध्रप्रदेश के कुछ मित्रों के साथ जो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, EVM प्रदर्शन देखने के लिए हैदराबाद गया ।
यहाँ पूरी घटना चित्रित किये जा रहा था । मेरे दो मित्र वी.वी. राव और हरिप्रसाद, उन्होंने EVM का पुर्जा-पुर्जा अलग किया । यह दिखाने के लिए कि इसमें किस प्रकार से छेड़छाड़ की जा सकती है । तभी अचानक से वहाँ मौजूद इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के लोगों ने आपत्ति जतायी कि ‘यह हमारे बौद्धिक सम्पत्ति अधिकारों का उल्लंघन है । हमारे पास इसका पेटेंट है ।’ और उन्होंने वह मीटिंग बर्खास्त कर दी । यह देखे बिना ही कि क्या सच में EVM में गड़बड़ी सम्भव है ।
उसके बाद जब हरिप्रसाद महाराष्ट्र आये तो उन्हें EVM के चोरी के आरोप में जेल में डाल दिया गया । मंत्री श्री जगदीश शेट्टी की सहायता से हरिप्रसादजी को जेल से छुड़ाया गया । लेकिन हरिप्रसाद ने जेल में अपना कुछ समय बिताया, वो भी किसलिए कि उन्होंने EVM चोरी किया और टीवी पर सबको बताया कि EVM के साथ छेड़छाड़ सम्भव है । जबकि इसके लिए तो उन्हें ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए न कि जेल ।
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पुरानी मतदान-पद्धति अमल में लायी जाय :
मतदान के समय मत देने के बाद मतदाता को एक रसीद मिलनी चाहिए, जिसमें यह विदित हो कि किसे मतदान हुआ है और वह रसीद दूसरे बॉक्स में जमा करें । इस माँग का चुनाव आयोग ने विरोध किया । अगर यह नहीं हो सकता है तो पुरानी मतदान-पद्धति ही अमल मेें लायी जाय । अगर कल चुनाव में किसी की ज्यादा सीटें मिलती हैं तो यह सब माईक्रो कन्ट्रोल का कमाल होगा, उसका नहीं । आज अमेरिका, इंग्लैंड, नेदरलैंड, जर्मनी, जापान जो भी महत्त्वपूर्ण देश हैं, वहाँ पर अभी भी पर्चेवाली प्रक्रिया के द्वारा ही मतदान होता है, EVM से नहीं । For More Information Visit : https://bit.ly/3rTOyJi
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