किस तरह से भारतीय संसकृति पर आघात Sanskriti par Aaghat किये जा रहे हैं यह एक केवल उदाहरण है यहाँ पर साधू-संतों का ।
भारतवासियो ! सावधान !! Sanskriti par Aaghat
क्या आप जानते हैं कि आपकी संस्कृति की सेवा करनेवालों के क्या हाल किये गये हैं ?
(1) धर्मांतरण का विरोध करने से शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती पर हत्या का व स्त्री-चरित्रहनन के प्रयास का झूठा आरोप लगवाया गया । जेल में डाल के अत्याचार किये गये । उन्हें निर्दोष साबित होने के लिए 9 साल लगे ।
(2) शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ को जेल में डाल के उनके मुँह में गोमांस ठूँसा गया, उन्हें शारीरिक पीड़ाएँ व धमकियाँ दी गयीं तथा अन्य कई अमानवीय अत्याचार किये गये ।
(3) दक्षिण भारत के साधु नित्यानंदजी की ‘विडियो मॉर्फिंग’ (विडियो को विकृत करने की एक तकनीक) द्वारा फर्जी, वीभत्स सीडी बनाकर उन्हें बलात्कार का आरोप लगा के जेल में डाला गया । बाद में जब आरोप खारिज हुआ तो टीवी चैनलों को माफीनामा प्रसारित करना पड़ा । लेकिन माफीनामा प्रसारित करने से क्या नित्यानंदजी, हिन्दू धर्म और भारत की छवि को हुए नुकसान की भरपाई हो सकती है ?
Sanskriti par Aaghat I संस्कृति पर आघात
(4) श्री सत्य साँईं बाबा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए उन पर यौन-शोषण के अनर्गल आरोप लगवाये गये और प्रचार-प्रसार माध्यमों द्वारा विश्वभर में खूब बदनामी की गयी परंतु एक भी आरोप साबित नहीं हुआ ।
(5) धर्मांतरण का विरोध करनेवाले और कर्म, भक्ति, योग व वेदांत के शंखनाद के साथ देशभक्ति की चेतना के प्रचंड प्रवाह द्वारा जनमानस को जगानेवाले 85 वर्षीय संत आशारामजी बापू और उनके पुत्र नारायण साँईं पर यौन-शोषण का झूठा आरोप लगवाकर उन्हें जेल में रखा है । पिछले अनेक वर्षों से बापू, उनकी संस्था और साधकों पर जुल्म किये गये और उनको हैरान, परेशान, बदनाम करने की खूब साजिशें की गयीं और उनके समाजसेवा के दैवी कार्यों में अनेक विघ्न उत्पन्न किये गये ।
(6) ‘महर्षि महेश योगी संस्थान’ के अध्यक्ष गिरीश वर्मा को भी यौन-शोषण का झूठा आरोप लगा के जेल में डाल दिया गया । बाद में वे निर्दोष बरी हो गये ।
(7) हिन्दू साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर पर बम-विस्फोट का झूठा आरोप लगा के 8.5 साल जेल में रखा गया तथा शारीरिक एवं मानसिक रूप से अमानुषी अत्याचार किये गये, जिससे उनकी फेफड़ों की झिल्ली फटी व रीढ़ की हड्डी टूट गयी । आखिर साध्वी ने कहा : ‘‘न्याय मिलने में देर होना खुद ही एक अन्याय है ।’’
(8) 85 साल के वयोवृद्ध श्री कृपालु महाराज पर एक लड़की द्वारा बलात्कार का झूठा आरोप लगवाकर उन्हें गिरफ्तार करवाया गया । बाद में आरोप खारिज हो गया ।
(9) जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती पर दुष्कर्म का झूठा आरोप लगवा के उन्हें बदनाम किया गया । बाद में वे निर्दोष बरी हुए ।
Sanskriti par Aaghat I संस्कृति पर आघात
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(10) महाराष्ट्र में ‘अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून’ बनाकर अनेक हिन्दू साधुओं को जादू-टोना करने के झूठे आरोप लगाकर जेल में डाला गया । धर्मरक्षा में रत सनातन आदि संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को बहुत प्रताड़नाएँ झेलनी पड़ीं ।
(11) सिख समाज भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है । ‘गुरुग्रंथ साहिब’ में महापुरुषों की वाणियों का सुंदर संकलन भारत की सांस्कृतिक एकता का पुनीत द्योतक है । संस्कृति-विरोधी ताकतों ने सिख गुरुओं और गुरुभक्त, देशभक्त सिख बंधुओं पर बहुत जुल्म किये ।
(12) दक्षिण भारत की साध्वी श्री अमृतानंदमयी माँ (अम्मा) को उनके मठ पर गंदे चारित्रिक आरोप लगा के बदनाम किया गया ।
(13) जैन समाज भी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है । जैन साधुओं पर चारित्रिक आरोप लगवाये गये, कइयों की संदिग्ध मौतें हुईं । कौन करता है यह सब ? वे ही जो भारतीय संस्कृति को खंड-खंड करके नष्ट करना चाहते हैं ।
(14) द्वारका के संत केशवानंद स्वामी पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाकर उन्हें 12 साल की जेल की सजा सुनायी गयी । 7 साल जेल की सजा भोगने के बाद उन्हें निर्दोष छोड़ा गया ।
(15) स्वाध्याय परिवार पर झूठे आरोप लगाकर जम के दुष्प्रचार किया गया, उन्हें परेशान किया गया व पांडुरंग दादा के धर्मकार्य में अनेक विघ्न खड़े किये गये ।
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(16) विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल और दूसरे कई हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता जेल में हैं ।
(17) धर्मांतरण में बाधा बने स्वामी असीमानंदजी पर भी आरोप लगा के 6.5 साल जेल में रखा गया व अमानवीय यातनाएँ दी गयीं ।
(18) गौमाता की अत्यधिक हत्याएँ हुई हैं । भारत से गोवंश नष्ट करने का यह विधर्मियों का सुनियोजित षड़्यंत्र है । गौ-हत्या से अकाल, बाढ़ जैसे कुदरती कोप होते हैं, रोग बढ़ते हैं, दुःख, अशांति, वैमनस्य फैलता है ।
(19) टीवी चैनल, अखबार, पत्रिकाओं आदि द्वारा भारत के संतों और संस्कृति के बारे में अत्यंत भ्रामक प्रचार कराया जा रहा है ।
(20) अब एक ओर तो एक-एक करके हिन्दू धर्माचार्यों पर आरोप लगवाये जा रहे हैं और दूसरी ओर उनके साथ स्वामी नित्यानंदजी, संत आशारामजी बापू, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती आदि संतों के नाम जोड़कर इन्हें बारम्बार बदनाम किया जा रहा है । ऐसे आरोप तो दूसरों पर भी लगे और उनमें से कइयों पर दोष निर्धारित भी हुए फिर भी वे जेल से बाहर घूमते नजर आते हैं किंतु हिन्दू संतों, राष्ट—निष्ठों को दोष निर्धारित न होने पर भी लम्बे समय तक जेल में रखकर उन पर खूब अत्याचार किये जा रहे हैं ।
(21) प्रायः देशवासियों को सच्चाई से दूर रखकर केवल झूठी खबरों को ही तूल दिया जाता है । वर्षों बाद जब किसी मामले में कोई निर्दोष साबित होते हैं तब उस खबर को या तो छुपाया जाता है या मात्र खानापूर्ति की जाती है ।
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