जानबूझकर EVM से चुनाव कराये जाते है क्योकि एलिड्स लोगों का यह मुख्य हथियार है ताकि मनचाही सरकार बना सकें यह EVM Rahasy Va Sajish है ।
EVM Rahasy Va Sajish | EVM रहस्य व साजिश
भारत की संसद में EVM अनेक बार असफल हुई है, जिससे सांसदों कोे अपने मत देने में बड़ी कठिनाइयाँ हुई हैं । सितम्बर 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के भाग्य का निर्णय करने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण गुप्त निर्णायक मतदान सारे देश ने टेलीविजन पर देखा कि संसद के निचले सदन के 54 सदस्य अपना मत इलेक्ट्रॉनिक मशीन के द्वारा देने में असफल रहे ।
फिर अंत में इन सदस्यों को लिखित से मत देने की अनुमति दी गयी । अगर देश की सबसे महत्त्वपूर्ण शक्तिशाली संस्थान संसद की EVM में गड़बड़ी हो सकती है तो आम चुनावों की क्या बात है ।
EVM जाँच करने की योजना को रहस्यपूर्ण ढंग से बंद कर दिया :
चुनाव आयोग द्वारा गठित विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी 2006 की रिपोर्ट में इस EVM माईक्रोचिप के निर्माणकर्ताओं को सुझाव दिया था वे EVM माईक्रोचिप के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की प्रमाणिकता का प्रमाण देनेवाले ‘अथेन्टीकेशन यूनिट’ (Authentication Unit) परियोजना को अमल में लाये । लेकिन खुद निर्वाचन आयोग ने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से इस योजना को कचरे की पेटी में डाल दिया ।
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EVM Rahasy Va Sajish क्रमानुसार
2006 में EVM के निर्माताओं (BEL और ECIL) ने बंगलौर की एक सीक्योर स्पीन (Securespin) नामक कम्पनी की सेवाएँ ‘अथेन्टीकेशन यूनिट’ (Authentication Unit) परियोजना के विकास के लिए, निर्वाचन कमीशन की विशेषज्ञ समिति से विचार-विमर्श किया । और 2007 के मध्य तक समिति द्वारा EVM की जाँच करने की निर्धारित शर्तों या नियमों के अनुसार इसका एक नमूना तैयार किया गया ।
जैसे ही परियोजना लागू करने के लिए तैयार हुई तभी विशेषज्ञ समिति को एक रहस्यपूर्ण ढंग से स्थगित कर दिया गया । BEL के जनरल मैनेजर जिसकी निगरानी में यह परियोजना लागू होने जा रही थी उनका स्थानांतरण कर दिया गया । नये जनरल मैनेजर ने सीक्योर स्पीन (Securespin) को बताया कि निर्वाचन कमीशन के निर्देशानुसार यह परियोजना ताक पर रख दी गयी है ।
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वोटिंग मशीन के बँटवारे में धोखाधड़ी- EVM Rahasy Va Sajish
आर.टी.आई. द्वारा प्राप्त सूचना के आधार पर 2009 के लोकसभा चुनावों में 13.78 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें सम्पूर्ण भारत में उपयोग की गयीं । निर्वाचन आयोग ने केवल 4.48 लाख सुधार की हुई उन्नत मशीनें (amper-proof – जिनका माईक्रोचिप अनधिकृत रूप से परिवर्तन न किया जा सके) लगायीं । बाकी 9.3 लाख पुरानी मशीनों का प्रयोग किया गया । ये पुरानी मशीनें बनानेवाली कम्पनी की तकनीकी कमेटी के अनुसार सुरक्षा के मानदंड पर खरी नहीं उतरतीं ।
सुधार की हुई नयी उन्नत वोटिंग मशीनों का प्रयोग केवल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेशनल डेमाक्रेटिक अलायंस (NDA) द्वारा शासित प्रदेशों बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात और कुछ मुख्य विरोधी दलों पश्चिमी बंगाल में लेफ्ट-फ्रेंट तथा उत्तरप्रदेश में बहुजन समाजवादी पार्टी द्वारा शासित प्रदेशों में ही किया गया । पुरानी वोटिंग मशीनों का प्रयोग काँग्रेस व इसके साथी दलों द्वारा शासित प्रदेशों जैसे कि आंध्रप्रदेश, आसाम, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु में किया गया । For More Information Visit : https://bit.ly/3rTOyJi
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