ईसाईयत की असलियत
भारत सरकार के बाद इस देश में भूमि का सबसे बड़ाअकेला मालिक है ‘चर्च’, इस समय समूचे भारत में ‘चर्च’ के पास 52 लाख करोड की भू-सम्पत्ति है । इसमें से लगभग 50 प्रतिशत जमीन उसके पास अंग्रेजों के समय से है, लेकिन बाकी की ज़मीन तमाम केन्द्र और राज्य सरकारों ने उसे धर्मस्व कार्य हेतु ‘दान’ में दी है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि धर्म के नाम पर सबसे अधिक रक्तपात इस्लाम और ईसाई धर्मावलम्बियों द्वारा किया गया है।
चर्च की सम्पत्ति : वर्तमान भारत में चर्च की कुल सम्पत्ति 13,71,000 करोड़ है जिसमें खाली पड़ी ज़मीन शामिल नहीं है, यह राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 60% से भी ज्यादा है, इसे भी बढ़ाकर 2025 तक 40,00,000 करोड़ अर्थात 40 नील रुपये किया जाना प्रस्तावित है।
झूठ
ईसाईयत धर्म है।
बाईबल धर्मग्रंध है ।
पादरी ब्र्रह्मचारी होता है।
सेवा करते हैं ईसाई ।
सच
ईसाईयत चंडाल का पंथ है।
बाईबल बकवास है ।
पादरी व्यभिचारी होता है ।
सेवा का उद्देश्य धर्मान्तरण है ।
पूरी दुनिया को ईसाई बनाने की योजना :
वर्तमान में ऐसी 1590 योजनाएँ चल रही हैं जो कि सन् 2025 तक बढ़कर 3000 हो जायेंगी । सन् 2025 के ‘प्रोजेक्शन’ के अनुसार बढ़ोत्तरी इस प्रकार की जायेगी ।
वर्तमान 35500 ईसाई संस्थाएँ बढ़कर 63000, धर्म परिवर्तन के मामले 35 लाख से बढ़कर 53 लाख, 4100 विभिन्न मिशनरी संस्थाएँ बढ़कर 6000, 56 लाख धर्मसेवकों की संख्या बढ़ाकर 65 लाख किया जाना है । जो कि पूरे यूरोप की समूची सेना से भी ज्यादा संख्या है । ‘चर्च’ दुनिया की सबसे बड़ी रोज़गार निर्माता ‘कम्पनी’ है। 5 लाख लोग प्रतिवर्ष रिटायर हो जाते हैं, उससे अधिक की नई भर्ती की जाती है । जिस तरह विशाल कम्पनियों में ‘बिजनेस प्लान’ बनाया जाता है, ठीक उसी तरह रोम में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये ‘वार-प्लान’ बनाया जाता है । भारत पोप के लिये सबसे ‘सस्ता बाजार’ है ।
ईसाईयत क्या है…?
केवल 2,000 वर्ष पुराने ईसाई धर्म का मुख्य धर्म ग्रन्थ बाइबिल है । जीसस क्राइस्ट को ईसाईयत का गॉड माना जाता है। परन्तु जीसस क्राइस्ट ने अपने जीवनकाल में ईसाईयत की स्थापना नहीं की थी। वे एक यहूदी थे और अंत तक यहूदी ही रहे। उनकी मृत्यु के बाद सेन्टपाल आदि लोगों ने ईसाईयत का वर्तमान स्वरुप दिया।
क्या बाइबिल में ईश्वर का दैवी ज्ञान है..?
लिखा है ‘‘बाइबिल का हर एक पवित्र शास्त्र ईश्वर की प्रेरणा से रचा गया है’’ (2 टिमोथी: 3: 16)
बाइबिल (न्यू टेस्टामेंट) में मुख्यतया सेन्ट पॉल एवं उसके साथियों की पुस्तकों की प्रधानता है तथा इसके कुछ लेखक विवादास्पद हैं । इस तरह बाइबिल विभिन्न मनुष्यों द्वारा, विभिन्न कालों में, विभिन्न स्थानों में, विभिन्न परिस्थितियों में लिखी गई 66 पुस्तकों का संग्रह मात्र है जिन्हें कि सन् 397 में 1131 लोगों ने पाँच वोट के बहुमत के द्वारा चुनकर ईसाईयत का धर्मशास्त्र एवं धर्म विधान बनाया । वास्तव में बाइबिल पूरी तरह मनुष्यकृत है । इसीलिए इसमें अनेेक अवैज्ञानिक एवं 2,000 परस्पर विरोधी वचन हैं।
‘‘मैंने पचास और साठ वर्षों के बीच बाइबिल का अध्ययन किया तो तब मैंने यह समझा कि यह किसी पागल का प्रलाप मात्र है ।’’
– थामस जैफरसन (अमेरिका के तीसरे राष्ट—पति)
‘‘बाइबिल ईश्वर के दैवी ज्ञान का प्रकाश नहीं है । यह ईश्वरीय प्रेरणा पर आधारित नहीं, वरन् दुष्टता पर आधारित पुस्तक है । आज तक प्रकाशित किसी भी पुस्तक की तुलना में यह कहीं अधिक पीड़ा और यातना के लिए उत्तरदायी है ।’’
–जोसेफ लूइस (एस.एफ. रीजन के सम्पादक)
बाइबिल का उपदेश
बाईबल का भौगोलिक ज्ञान
👉🏾 आकाश में फाटक लगे हैं :
‘‘नूह की छह सौ वर्ष की अवस्था में, दूसरे महीने के ठीक सत्रहवें दिन, अगाध गर्त के सब स्रोत फूट पड़े और आकाश के फाटक खुल गये ।’’ -उत्पत्ति ग्रन्थ, 7/11
‘‘नूह की छह सौ वर्ष की अवस्था में, दूसरे महीने के ठीक सत्रहवें दिन, अगाध गर्त के सब स्रोत फूट पड़े और आकाश के फाटक खुल गये ।’’ -उत्पत्ति ग्रन्थ, 7/11
आकाश तो मात्रा शून्य है । इसमें खिड़कियाँ अथवा फाटक कहाँ से आये ? कोई भी वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं है ।
👉🏾 पृथ्वी की नींव है :
‘‘तूने पृथ्वी को उसकी नींव पर स्थापित किया वह सदा-सर्वदा के लिए स्थिर है।’’ – स्तोत्रा-ग्रन्थ, 104/5
👉🏾 पृथ्वी के खम्भे हैं :
‘‘क्योंकि पृथ्वी के खम्भे प्रभु के हैं, उसने उन पर जगत् को रखा है।’’ – समूएल का पहला ग्रन्थ, 2/8
👉🏾 पृथ्वी के चार कोने हैं :
‘‘इसके बाद मैंने पृथ्वी के चार कोनों पर चार स्वर्गदूतों को खड़ा देखा । वे चारों पवनों को रोक रहे थे, जिसके फलस्वरूप कोई भी पवन न पृथ्वी पर बहता था न समुद्र पर और न किसी वृक्ष पर ।’’ -प्रकाशना-ग्रन्थ
यदि बुरी पुस्तकों को जलाया जाय, तो सबसे अधिक जलायी जाने वाली पुस्तकें बाइबल होंगी । -चार्ल्स स्मिथ
विश्व के किसी भी धर्म ने इतनी वाहियात, अवैज्ञानिक, आपस में विरोधी और अनैतिक बातों का उपदेश नहीं दिया, जितना चर्च ने दिया है। – टॉल्सटॉय
ईसाई मत, जिस रूप में इसे गिरजा घरों में संगठित किया गया है, विश्व में नैतिक प्रगति का प्रमुख शत्रु रहा है और अब भी है ।
– बट्रेण्ड रसेल (विख्यात दार्शनिक जिन्हें 1950 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया ।)
बाइबिल का सामाजिक ज्ञान
👉🏾 ईसाईयों को पशु व कीड़े-मकोडे खाने की छूट :
‘‘जो पशु फटे खुर वाले और पागुर करने वाले हैं, उन्हें तुम खा सकते हो ।’’ -लेवी ग्रन्थ-11/3
‘‘तुम उन पंख और चार पाँव वाले कीड़ों को खा सकते हो, जिनके पृथ्वी पर कुदने के पैर होते हैं ।’’ -लेवी ग्रन्थ-11/21
👉🏾 ईसाईयों को मनुष्यों का माँस व रक्त पीने का आदेश :
‘‘ईसा ने उनसे कहा, ‘मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- यदि तुम मानव पुत्र का माँस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा ।’’ -सन्त योहन, 6/53
‘‘मैं उन्हें उनके पुत्र-पुत्रियों का माँस खिलाउँगा । उनके शत्रु और प्राणों के ग्राहक उन्हें घेर कर इतना पीड़ित करेंगे कि वे एक-दूसरे को फाड़ खायेंगे ।’’ -यिरमियाह का ग्रन्थ, 19/9
👉🏾 ईसाई नारियाँ अपने पुत्र का माँस पकाकर खायें :
‘‘करुणामयी नारियों ने अपने ही हाथ से अपने बच्चों को उबाला । हमारे देश की पुत्री के विनाश के समय वे उनका आहार बन गये ।’’ -शोकगीत, 4/10
‘‘अपने शत्रुओं द्वारा डाले हुए घेरे से तंग होकर तुम प्रभु की दी हुई अपनी सन्तति अर्थात् अपने ही पुत्र-पुत्रियों का मांस खाओगे ।’’ -विधि विवरण ग्रन्थ, 28/53
इतिहास का कुशल अध्ययेता इस निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि सभ्यता के विकास में ईसाई मत का योगदान बहुत ही कम महत्त्व का है, परन्तु सभ्यता के पतन के लिए उसने बहुत काम किया है । – मतिल्दा जोसलिन गेज
बाइबिल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है । – जॉर्ज बर्नाड शॉ
दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है रोमन कैथोलिक चर्च । – एच.जी.वेल्स
👉🏾 बाइबिल में मनुष्य बलि का विधान :
‘‘जो मनुष्य पूर्ण-समर्पित है, वह नहीं छुड़ाया जा सकता । उसका वध करना है।’ -लेवी ग्रन्थ, 27/29
बाइबिल में उल्लेखित रक्त बलि से, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (नोबल पुरस्कार प्राप्त) इतना क्रुद्ध हो गये कि उन्होंने निधड़क घोषणा कर दी ‘‘बाइबल को धरती में गाड़ देना चाहिए और प्रार्थना पुस्तक को जला देना चाहिए, क्योंकि यह रक्त बलि के उल्लेख से इस तरह भरी पड़ी है कि उसका संशोधन सर्वथा असंभव है।’’ – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
👉🏾 बेटियों का अपने पिता के साथ सेक्स :
‘‘आओ हम अपने पिता को शराब पिला दें और उसी के साथ लेट जायें, जिससे हम अपने पिता के द्वारा ही अपना वंश बनाय रखें।’’ -सन्त मत्ती, 19/32
पैगम्बर अब्राम के भतीजे लोट की दो बेटियों ने एक रात अपने पिता को मदिरा पिला दी और उसके साथ सोईं और ससंर्ग किया । अत: पिता से गर्भवती हो कर उन्होंने दो पुत्रों को जन्म दिया । बड़ी बेटी ने मोआब नामक पुत्र को जन्म दिया । छोटी पुत्री ने जिस पुत्र को जन्म दिया उसका नाम बेनामी रखा गया । आज भी वह अम्मोनियों का मूलपुरूष कहलाता है ।
‘‘मैं ईसाई मत को घोर अभिशाप कहता हूँ, जो एक बृहत आन्तरिक कलुष है और प्रतिशोध की प्रबल प्रवृत्ति है, जिसके लिए अपनाये गए उपाय इतने घोर विषैले, इतने कपट पूर्ण, इतने गोपनीय और नीचतापूर्ण हैं कि उनकी तुलना में कोई नहीं ठहर सकता । मैं इसे मानवता के लिए स्थायी कलंक कहता हूँ ।’’ – फिलॉसफर नित्शे
👉🏾 ईसामसीह की माँ का बलात्कार :
ईसामसीह की कुँआरी माँ की सगाई किसी और के साथ हुई थी लेकिन गर्भाधान किसी और ने कर दिया।
‘‘टेस्टामेंट हमें क्या शिक्षा देता है? यह विश्वास करने की शिक्षा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर ने एक ऐसी महिला के साथ व्यभिचार किया जिसकी किसी के साथ सगाई हो चुकी थी और विवाह होने वाला था और इस व्यभिचारिता में विश्वास करने को धर्म कहा जाता है।’’ -थामस पेन
‘‘इससे अधिक हास्यास्पद क्या हो सकता है कि ईश्वर की माँ, माँ भी थी और कुंवारी भी ?’’ – काऊंट टाल्सटाय विख्यात रूसी लेखक और चिंतक
‘‘एक कुंवारी द्वारा बालक को जन्म देने के सिद्धांत तो सभी प्राकृतिक माताओं पर अपवित्रता का कलंक लगा देता है।’’ – चार्ल्स स्मिथ
👉🏾 ईसाईयत की दृष्टि में स्त्री :
ईसाईयत के अनुसार औरत में वैसी आत्मा नहीं होती जो तर्क-बुद्धि एवं समझ से परिपूर्ण हो । उसमें केवल साधारण मन एवं भावना होती है, उसे आदमी के मन बहलाव के लिए बनाया गया है। स्त्री ज्ञानरहित होती है। उसे पुरुष के उपभोग हेतु बनाया गया था। उसे मैन (man) की रचना के बाद बनाया गया था, इसी कारण उसे वोमैन (woman) कहा गया । वह ज्ञान रहित थी ।
आत्मा या रूह तो केवल मर्दों में होती है स्त्रियों में नहीं तथा पशुओं में भी रूह नहीं होती है। रूह के लक्षण आत्मा के लक्षणों से बिलकुल मेल नहीं खाते।
‘‘सामान्यतया लोग नहीं जानते कि यह पुस्तक जिसे ईश्वर द्वारा रचित मान लिया गया है, कितनी दुष्टता से भरी पड़ी है । यह पुस्तक ईश्वर निंदा, दुष्टता और झूठ का पुलिंदा है, क्योंकि सर्वशक्मिान भगवान के आदेशों के साथ मनुष्य के घोर कुकर्म को सम्बंधित करने से अधिक ईश्वर निंदा का उद्धरण और क्या हो सकता है?’’ – थामस पेन
‘‘विश्व भर को विषाक्त करने वाले पंथ सम्प्रदायों में से ईसाई मत सर्वाधिक हास्यास्पद, सर्वाधिक निरर्थक और रक्त पिपासू है।’’ -वोल्टेयर विख्यात फ्रांसीसी नाटककार और व्यंग्यकार
👉🏾 ईसाईयत का क्रूर, अमानवीय व बलात्कारी चेहरा :
कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है। मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च कुकर्मो की पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी। इसीने कुकर्मी पादरियों को संरक्षण दिया व कानूनी प्रक्रिया से छुटकारा दिलवाया । लारेंंस मर्फी 1990 के दशक में अमेरिका के एक कैथलिक चर्च में पादरी था। इस कैथलिक चर्च के अनाथ, बहरे, विकलांग, बीमार, अंधे और मानसिक रूप से विकृत बच्चों के लिए बने चर्च के 230 से अधिक बच्चों का इस पादरी लारेंंस मर्फी ने यौन शोषण किया । इस यौन उत्पीडन से अमेरिका में तहलका मचा व सर्वाधिक चर्चित रहा । ऐसे ही यौन शोषण के तमाम मामलों के आरोपी पादरियों के नाम बदले गये तथा उन्हें अमेरिका, यूरोप से बाहर भेजकर छिपाया गया । वैटिकन सिटी में पादरियों द्वारा पुरूष वैश्यावृत्ति के भी राज पुलिस ने खोले थे ।
इसाई पादरियों का सेक्स तहलका
कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी। एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी।’यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है। सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर कियाथा।
चर्च की आड़ में चल रहे यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं। सन् 1950 से 2002 के काल में पादरियों के द्वारा किये गये यौन-शोषण के 10,667 अपराध दर्ज किये गये। उनमें से 3300 की जाँच पूरी होेने के पहले ही वे मर गये। बाकी 7700 में से 6700 पादरियों को अपराधी घोषित किया गया। सन् 2002 में आयरलैंड के पादरियों के यौन-शोषण के अपराधों के कारण 12 करोड़ 80 लाख डॉलर का दंड चुकाना पड़ा। मई 2009 में प्रकाशित रायन रिपोर्ट के अनुसार 30,000 बच्चों को इन संस्थाओं में ईसाई ननों और पादरियों द्वारा प्रताड़ित और उनका शोषण किया जाता रहा।
👉🏾 नाबालिग शिष्या के साथ पादरी ने किया बलात्कार :
चेन्नई, ज्ञानप्रगाशम सेलवन (Gnanapragasam Selvan) पेट्टाई में सेंट एंटनी चर्च में एक नाबालिग भगवान के गीत (लरीेश्री) सीखने पादरी के पास आती थी। वह 40 वर्षीय पादरी नाबालिग छात्रा से बलात्कार करता रहा। 5 महीने बाद छात्रा के पिता को लालच देकर एक स्थानीय डॉक्टर एस मीनाक्षी की मदद से लडक़ी का जबरन गर्भपात कर भु्रण को पेट्टाई के निकट तिरुपाणिकारिसंकुलम गाँव में करुवेलांकुलम के तट पर दफना दिया । पुलिस ने तिरुनेलवेली तहसीलदार की मौजूदगी में दफनाया भु्रण मौके से बरामद कर लिया । (Lok chetana – 23 dec. 2013)
👉🏾 छत्तीसगढ में पादरी ने मासूम छात्रा पर किया बलात्कार :
छत्तीसगढ के बस्तर जिले में नवी कक्षा की नाबालिग छात्रा पिता के साथ साइकल पर सवार होकर भाई के पास जा रही थी। पड़ोस में रहने वाला पादरी मरकू मसीह भी साइकिल पर सवार होकर बकावण की ओर जाते दिखा । परिचित होने से लडक़ी का पिता पास्टर को अपने साथ राजनगर ले जाकर भोजन कराया। शाम 6 बजे पास्टर प्रार्थना कराए जाने की बात कहते हुये छात्रा को अपने साथ ले गया वहाँ पादरी ने छात्रा के साथ बलात्कार किया। पीडिता के परिजनों ने घटना के बाद पास्टर की जमकर पिटाई की ।
👉🏾 पादरी ने किया बलात्कार, गर्भवती होने पर दी धमकी :
श्री नगर के 32 वर्षीय बीजूमन के. एल. पादरी शादी के बहाने 19 वर्षीय एक लडक़ी से अपने आवास पर पेय पदार्थ में नशीली चीजें मिलाकर पिलाने के बाद उससे बलात्कार करता था । पुलिस ने बताया कि पादरी ने किशोरी के गर्भवती हो जाने पर जबरन गर्भपात कराया और उसे धमकी भी दि कि अगर उसने इस बारे में किसी से कुछ कहा तो सोशल मीडिया पर उसकी अश्लील तस्वीर जारी कर देगा । -zeenews , June 3, 2013
👉🏾 झाँसा देकर पादरी ने किया बलात्कार :
मध्य प्रदेश के इंदौर में गिरजाघर के पादरी राबर्ट केलकर कटनी की रहने वाली एक महिला को शादी का झाँसा देकर उसका यौन शोषण करता रहा और जब उसने शादी की बात की तो उसे जान से मारने की धमकी दी । (IANS Oct 11, 2011)
👉🏾 पादरी पालनकर्ता बाप बनकर 4 वर्ष की उम्र से जवानी तक करता रहा बलात्कार :
मुंबई में एक पादरी के हाथों यौन शोषण की शिकार हुई चौदह वर्ष की लड़की की दास्तान सुनकर हर कोई हैरान रह जाएगा । उसकी जिंदगी में जो कुछ घटित हुआ उसकी कल्पना करने से भी शरीर में सिहरन पैदा कर देता है । शराबी पिता ने उसको चार वर्ष की उम्र में ही इस पादरी को बेच दिया था । पादरी इस लडकी का महज चार वर्ष की उम्र से ही लगातार यौन शोषण कर रहा था । जब वह शारीरिक तौर पर भी बड़ी हुई तब शारीरिक संबंध न बनाने पर उसको तरह तरह की यातनाएँ देने लगा । रोज गर्भनिरोधक गोलियाँ खाने के लिए बाध्य करता था। (http://tinyurl.com/zx9rcq7)
👉🏾 नावालिक से पादरी करता रहा बलात्कार :
वॉशिंगटन अमेरिका लॉस एंजेलिस में क्राइस्टन कम्युनिटी चर्च के पादरी गॉर्डन सोलोमन और उसके चर्च से जुडी एक नन 14 साल की लड़की के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया । जाँच में पता चला कि पादरी पिछले दो साल से लड़की के साथ यौन सम्बन्ध बनाता चला आ रहा था पिछले वर्ष अमेरिका के फिलाडेल्फिया में बच्चों के यौन शोषण मामले में 21 रोमन कैथोलिक पादरी निलंबित कर दिए गए थे । (http://tinyurl.com/j5898tl)
ईसाईयत के प्रभु की शैतानी शिक्षा व लक्ष्य
दी न्यू टेस्टामेंट (नया विधान) में बाइबिल का ईश्वर अपने लक्ष्य का स्पष्ट शब्दों में इस प्रकार वर्णन करता है:दी न्यू टेस्टामेंट (नया विधान) में बाइबिल का ईश्वर अपने लक्ष्य का स्पष्ट शब्दों में इस प्रकार वर्णन करता है:
निर्गमन 20 की आयत 2 में लिखा है, ‘‘मैं तेरा परमेश्वर यहोवा से जलन रखने वाला हूँ।’’ 3 में लिखा है,‘‘तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना ।’’ 5 में लिखा है, ‘‘तू उनको दण्डवत न करना और न उनकी उपासना करना, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हुँ और जो मुझसे बैर रखते हैं, उनके बेटों, पोतों और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूँ ।
’’बाइबिल के मत्ती – 10 : 34 से 38 तक में लिखा है,‘‘मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ । ’’ बाइबिल के व्यवस्था – विवरण के अध्याय 12 की 1 से 3 तक में लिखा है ‘‘जो देश तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें अधिकार में लेने को दिया है, उसमें जब तक तुम भूमि पर जीवित रहो तब तक इन विधियों और नियमों के मानने में चौकसी करना।’’ जिन जातियों के तुम अधिकारी होगे उनके लोग ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों व टीलों पर, वा किसी भाँति के हरे वृक्षों के तले, जितने स्थानों में वे अपने देवताओं की उपासना करते हैं, उन सभी लोगों को तुम पूरी रीति से नष्ट कर डालना। उनकी वेदियों को ढहा देना, उनकी लोटों को तोड़ डालना, उनकी अशेराओं को मूर्तियों को आग में जला देना, उनके देवताओं की कुधी हुई मूर्तियों को काटकर गिरा देना, कि उस देशमें से उनके नाम तक मिट जाएँ ।
‘‘स्त्रियाँ बच्चे, पशु और जो कुछ उस नगर में है-वह सब तुम अपने अधिकार में कर लो और अपने शत्रुओं से लूटे हुए माल का उपभोग करो ।’’ -विधि-विवरण ग्रन्थ, 20/14
यदि हम ओल्ड और न्यू टेस्टामेंट (नया और पुराना विधान) दोनों का अध्ययन करें तो हमें पता लगता है कि बाइबिल का ईश्वर प्रेममय ईश्वर नहीं है, वह तो एक परपीड़क दैत्य है। यदि वह धरती पर मानव के रूप में उपस्थित होता तो बहुत संभव है उसे भयानक मानसरोगी के रूप में पागल खाने में बन्दी बना दिया जाता है । – कोलिन मेनवेल्स के विख्यात लेखक
सनातन संस्कृति को मिटाने का षड्यंत्र
ईसाई मिशनरियों द्वारा गरीबों को पैसे का झूठा प्रलोभन देकर तथा वेलेन्टाइन डे, फैसन डे, चाकलेट डे, वैलून डे आदि के माध्यम से सनातन संस्कृति का गला घोटने का कार्य किया जा रहा है । भारत में धर्मांतरण की सबसे बड़ी रुकावट हैें हिन्दू संत तथा ऋषियों द्वारा चलाई गयी सनातन परम्परायें व व्रत-त्यौहार । ऐसी कुप्रथाओं व धर्मान्तरण को रोकने वाले संतो व देशभक्तो को मिटाने के लिए यह मिशनरियाँ रात-दिन षड्यंत्र करती रहती हैं।
हिन्दूत्व को आगे बढ़ाने वाली साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर पर अमानुषिक अकथनीय अत्याचार करके विषैले इंजेक्शन आदि देकर लकवा का मरीज बना दिया गया । क्यों ? सिर्फ इसलिए कि वे धर्मांतरण के काम में बाधक बनती थीं । ओडिसा में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अपना संपूर्ण जीवन वनवासियों के उत्थान में लगा दिया । ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्म परिवर्तन के विरोध में कार्यरत 85 वर्षीय संत को मिशनरियों द्वारा 2008 में गोलियों से भून दिया गया ।
दक्षिण गुजरात में स्वामी असीमानंद मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण, अंतराष्ट्रीय और असामाजिक गतिविधियों का जमकर विरोध कर रहे थे। उन्हें आतंकवाद के मामले में झूठा फँसाकर जेल में तरह-तरह की यातनाएं दी गयी। संत आसारामजी बापू ने हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन को रोका तथा ईसाईयों द्वारा समाज को अनैतिकता की ओर ले जाने वाले पर्व वेलेंटाइन-डे, क्रिसमर डे आदि के स्थान पर मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी पूजन दिवस आदि-आदि मनाना आरम्भ करवाया । गरीब आदिवासी ईलाको में सतत अन्न-वस्त्र, चिकित्सा, घरों का निर्माण आदि के द्वारा बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद करते रहे । जिससे धर्मान्तरण थम सा गया था । इस 76 वर्षीय निर्दोष संत को 2013 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया व अर्नगल अफवाएँ फैलाई । समाज उत्थान में रत इनके पुत्र नारायण साँईं को भी एक झूठे मामले में फँसाकर जेल में डाला गया है ।
जनता की आवाज
धर्म परिवर्तन वह जहर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। हमें गौमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देनेवाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। – महात्मा गांधीधर्म परिवर्तन वह जहर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। हमें गौमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देनेवाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। – महात्मा गांधी
देश में (मिशनरियों द्वारा) सेवा के नाम पर सौदा हो रहा है और धर्मान्तरण किया जा रहा है । – साध्वी ऋतम्भराजी
मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है। वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है। इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है । – फिलॉसफर नित्शे
बाइबिल बर्बर पुस्तक है, जो बर्बर युग में बर्बर लोगों के लिए लिखी गई थी । – डीन फरार
लोगों का वास्तविक उत्पीड़क, उन्हें दास बनाने वाला और भ्रष्ट करने वाला बाइबिल है। – कर्नल राबर्ट जी इंग्रसोल
भारतीय जीवन प्राकृतिक दृष्टि एवं जीने की वास्तविक राह देता है हम पश्चिमी लोग अप्राकृतिक नकाब लगाकर अपने को ढँगते हैं। – जार्ज बर्नाड शॉ
मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बडे धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है – डॉ. एनी बेसेन्ट
मानव इतिहास में हमारा सर्वाधिक कीमती और सर्वाधिक शिक्षाप्रद पदार्थ यदि कोई है तो वो भारत का आध्यात्मिक संचित धन है। – मार्क ट्वेन
प्राचीन भारत के ऋषियों की बुद्धि से बढ़कर आज का विस्तृत ज्ञान नहीं हो सकता है। और आज के विज्ञान की सबसे अग्रिम स्थिति भी (पूर्व के) वेदान्त के आगे खत्म हो जाती है। -अल्फ्रेड नार्थ व्हाइटहैड
हिन्दुत्व सदा बहने वाला (बारहमासी) दर्शन है जो कि सभी धर्मों का केन्द्र है। – अल्दू हक्सले
भारत को गुलाम बनाने की रची साजिश
(लॉर्ड मैकॉले द्वारा 2 फरवरी 1835 को ब्रिटिश पार्लियमेंट में भारतवर्ष को गुलाम बनाने के लिए दिया गया सुझाव)
(लॉर्ड मैकॉले द्वारा 2 फरवरी 1835 को ब्रिटिश पार्लियमेंट में भारतवर्ष को गुलाम बनाने के लिए दिया गया सुझाव)मैंने सारे भारत का भ्रमण किया है और मैंने एक भी आदमी को चोर और एक को भी भिखारी नहीं पाया है। मैंने इस देश में इतनी सम्पदा, इतने उच्च नैतिक आदर्श और इतने उच्च योग्यता वाले लोग देखें हैं कि मैं नहीं समझता कि हम कभी इसे जीत पाएेंगे, जब तक कि इसके मूल आधार को ही नष्ट न कर दें , जो कि इस देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है । इसीलिए मैं प्रस्तावित करता हूँ कि हम उसकी प्राचीन और पुरानी शिक्षा पद्धति और उसकी संस्कृति को बदल दें । यदि भारतीय यह सोचने लगें कि जो कुछ विदेशी और अंग्रेजी है, वह उनकी अपनी संस्कृति से अच्छा और उत्तमतर है तो वे अपना स्वाभिमान एवं भारतीय संस्कृति को खो देंगे । फिर वे वैसे ही हो जायेंगे जैसाकि हम चाहते हैं, पूरी तरह एक पराधीन राष्ट्र।
मैकॉले ने सच्चाई से स्वीकारा भी कि भारत अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य वास्तव में, ऊँची जातियों के हिन्दुओं को ईसाईयत में धर्मान्तरित करने का था । ऐसा ही उसने कलकत्ता से, 12 अक्टूबर 1836 को, अपने पिता को एक पत्र में लिखा भी था ।
सर्व धर्म समान ?: सनातन धर्म के प्रति हिन्दुओं की आस्था नष्ट करने के लिए ब्रिटिश शासन द्वारा परतंत्र भारत मे मैकाले की जो शिक्षा-प्रणाली शुरु की गयी थी, उसके प्रभाव में आज भी शिक्षित समाज के लोग अपने सनातन धर्म की महिमा से अनभिज्ञ हैं तथा इसका गौरव भूलकर पाश्यात्य चरित्रहीन कल्चर से प्रभावित हो रहे हैं । क्योकि आज भी स्कूलों कालेेेजों में अग्रेजों द्वारा रचित वहीं झूठा इतिहास आदि पढाया जा रहा है। भारत की स्वतंत्रता मिलने के बाद राजनैतिक पार्टियों ने अपना ओट-बैंक बनाने के उद्देश्य से झूठा प्रचार ‘सब धर्म समान है’- ऐसा कहना शुरु किया, जो कि उनका उद्देश्य सत्ता पाना था ।
सनातन धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्म अपने धर्म को ही सच्चा मानते है और दूसरे धर्मो की निन्दा करते हैं । केवल सनातन धर्म ने ही अन्य धर्मो के प्रति उदारता और सहिष्णुता का भाव सिखाया है । इसका मतलब यह नहीं कि ‘सब धर्म समान हैं’।
‘वर्ल्ड काऊंसिल आँफ चर्चेज’ की भारत में सक्रिय योजना
1. हिन्दू समाज में अपनी धर्म-संस्कृति और जीवन मूल्यों के प्रति अनास्था पैदा करके हिन्दू स्वाभिमान नष्ट करना, जिससे वे धर्मान्तरण से न हिचकें ।
2. ईसाई प्रचारक ईसाई संस्थाएँ और कॉन्वेन्ट स्कूल हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देकर, हिन्दू पर्व उत्सव और महापुरुषों को भूलाकर सौन्दर्य प्रतियोगिता और ‘वेलेंटाइन डे’जैसे कार्यक्रमों द्वारा भोगवादी पाश्चात्य कल्चर थोपा जाये ।
3. हिन्दू समाज के विभिन्न वर्गो व हिन्दू संगठनों को आपस में लड़ाकर हिन्दू एकता को नष्ट करना । यदि लड़ाना सम्भव न हो तो भी पश्चिम देशों द्वारा खरीदे गये प्रचार माध्यमों से उन्हें लड़ते दिखाना ।
4. भारत के प्रत्येक ग्राम व नगरों के प्रत्येक मुहल्ले तक चर्च बनाना । इन 6 लाख चर्चो के माध्यम से प्रत्येक परिवार तक बाइबिल पहुँचाना।
5. हिन्दू की जो शान्तिप्रिय और उदार छवि विश्व को आकर्षित कर रही है उसको भंगकर हिन्दू को आक्रमक, असहिष्णु हिंसक और अमानवीय चित्रित करना।
6. जो लोग ईसाई मत के पक्ष में कुछ भी लिखने को तैयार हो जावें तो उन्हें धन एवं प्रशंसा द्वारा भलीभाँति प्रसन्न करना।
जो लोग धर्मान्तरण में लगे हैं उन्हे सजा होनी चाहिए । – श्री मोरारी बापू
भारत में पादरियों का धर्म प्रचार (धर्मांतरण) हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है। – पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
भोजन,चिकित्सा और शिक्षा का प्रलोभन देकर हिन्दुओं को धर्मान्तरित न किया जाय । – श्री श्री रविशंकर जी
यदि हिन्दू ही हिन्दू धर्म को न बचा सके तो उसे कौन बचायेगा? – डा. एनी बेसेन्ट
मदर टेरेसा की असलियत
कनाडा की मोंटि—यल व ओटावा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मदर टेरेसा पर किये गये शोध से ईसाई सेवाभाव का खोखलापन उजागर हुआ । मदर टेरेसा का वास्तविक नाम एग्नेस गोंक्स्हा था । इनकी छवि असरदार मीडिया प्रचार के कारण थी, न कि किसी अन्य कारण से ।
मदर टेरेसा पीड़ितों के लिए प्रार्थना करने में उदार किन्तु उनके नाम पर एकत्रित अरबों रुपयों को खर्च करने में कंजूस थी। उनके द्वारा चलाये जा रहे अस्पतालों की हालत दयनीय पाई गई। रोगीयों में से दो तिहाई का ही ईलाज हो पाता था शेष एक तिहाई इलाज के अभाव में मृत्यु का ही इन्तजार करते थे। ठीक हो सकनेवाले रोगियों को भी लाइलाज रोगियों के साथ रखा जाता था और वे संक्रमण तथा इलाज न होने से मर जाते थे। मदर टेरेसा को गरीब पीड़ितों को तड़पते देखना सुन्दर लगता था। टेरेसा ने कहा था ‘निर्धन लोगों के अपने दुर्भाग्य को स्वीकार कर ईसा मसीह के समान पीड़ा सहन करने में एक सुंदरता है। इनके पीड़ा सहन करने से विश्व को लाभ होता हैजबकि टरेसा खुद अपना ईलाज आधुनिकतम अमेरिकी अस्पताल में करवाया।
शोध टीम का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर लेरिवी ने बताया कि धन कहीं से भी आये टेरेसा उसका स्वागत करती थी। अरबों रुपये ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के अनेकों बैंक खाते में जमा किये जाते थे,किन्तु अधिकांश खाते गुप्त रखे जाते थे। सवाल उठता है कि गरीबों के लिए इकट्ठा किये गये करोड़ों डॉलर गये कहाँ ?’ पत्रकार क्रिस्टोफर हिचेंस के अनुसार धन का उपयोग मिशनरी गतिविधियों के लिए होता था।
सन्दर्भ:- * गाँधी जी और ईसाईयत (रामेश्वर मिश्रा, कुशुमलता केडिया), * दलित ईसाई आरक्षण चर्च का राजनैतिक षड्यंत्र (डॉ. प्रेमचन्द्र श्रीधर), * ईसाईयत का भारत को निगलने का कुचक्र (डैविड फ्राउली, नवरत्न एस.राजाराम, एस. वी. सिशागिरी राव), * गोवा एवं पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार (डॉ. कृष्ण वल्लभ पालिवाल), * बाइबिल में नारी (डा. हिम्मत सिंह गोगलिया), * भारत का धर्मान्तरण (डा. योगेन्द्र सिहं परिहर), * सेवा की आड़ में चर्च का षड्यंत्र (डा. अरविन्द अग्रवाल), * भारती क्रिश्चन चर्च (डॉ. श्रीपती शास्त्री), * पवित्र वेद और पवित्र बाइबिल (कन्हैयालाल तलरेजा), * बाइबिल की असलियत (चार्ल्स स्मिथ), * चर्च सेवा की आड़ में (अधीश कुमार- संकलनकर्ता), * सर्व धर्म समान * परावर्तन क्यों और कैसे (राजेश्वर)
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