Brahmakumari Sanstha kya hai (ब्रह्माकुमारी संस्था क्या है ?) इसकी स्थापना, संचालन, कार्य व उद्देश्य, प्रचार-प्रसार आदि की जानकारी यहाँ मिलेगी ।
‘ओम् शान्ति’, ‘ब्रह्माकुमारी’… हम लोगों ने छोटे-बड़े शहरों में आते-जाते एक साइन बोर्ड लिखा हुआ देखा होगा ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ तथा मकान के ऊपर एक लाल-पीले रंग का झंडा लगा हुआ भी देखा होगा जिसमें अंडाकार प्रकाश निकलता हुआ चित्र अंकित होता है ।
Brahmakumari Sanstha में व आस-पास ईसाई ननों की तरह सफेद साड़ियों में नवयुवतियाँ दिखती हैं । वे सीने पर ‘ओम् शान्ति’ लिखा अंडाकार चित्र युक्त बिल्ला लगाये हुए मंडराती मिलेंगी । आप विश्वविद्यालय नाम से यह नहीं समझना कि वहाँ कोई छात्र-छात्राओं का विश्वविद्यालय अथवा शिक्षा केन्द्र है, अपितु यह सनातन धर्म के विरुद्ध सुसंगठित ढ़ंग से विश्वस्तर पर चलाया जाने वाला अड्डा है ।
Brahmakumari Sanstha की स्थापना :
इस संस्था का संस्थापक लेखराज खूबचंद कृपलानी है। इसने अपने जन्म-स्थान सिन्ध (पाकिस्तान) में दुष्चरित्रता व अनैतिकता का घोर ताण्डव किया जिससे जनता में इसके प्रति काफी आक्रोश फैला । तब यह सिन्ध छोड़कर सन् 1938 में कराची भाग गया । इसने वहाँ भी अपना कुकृत्य चालू रखा जिससे जनता का आक्रोश आसमान पर चढ़ गया ।
इस दुश्चरित्रता व धूर्तता का बादशाह लेखराज अप्रैल सन् 1950 में कराची (पाकिस्तान) से 150 सुंदर नवयुवतियों को साथ लाकर माउण्ट आबू (राजस्थान) की पहाड़ी पर रहने लगा और यहीं अपने व्यभिचार व पापाचार को धर्म का जामा पहनाता रहा ।
सिन्ध में लेखराज की चलने वाली ओम मंडली की जगह माउण्ट आबू में ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ नामक संस्था चालू की गयी । इस संस्था का यहाँ तथाकथित मुख्यालय बनाया गया है जो 28 एकड़ जमीन में बसा है। आबू पर्वत से नीचे उतरने पर आबू रोड में ही इस संस्था से जुड़े लोगों के रहने, खाने व आने वालों आदि के लिये भवन, हॉल इत्यादि हैं जो कि 70 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है।
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लेखराज की मृत्यु के बाद सन् 1970 में ब्रह्माकुमारी संस्था का एक विशेष कार्यालय लंदन (इंग्लैंड) में खोला गया और पश्चिमी देशों में जोर-शोर से इसका प्रचार किया जाने लगा। सन् 1980 में ब्रह्माकुमारी संस्था को ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का एन.जी.ओ. बनाया गया ।
ब्रह्माकुमारी संस्था का स्थाई कार्यालय अमेरिका के न्युयार्क शहर में बनाया गया है जहाँ से इसका संचालन किया जाता है। इसकी भारत सहित 100 देशों में 8,500 से अधिक शाखाएँ हैं। इस संस्था को ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ द्वारा फंड, कार्य योजना व पुरस्कार दिया जाता है ।
Brahmakumari Sanstha का कार्य व उद्देश्य :
ब्रह्माकुमारी संस्था का उद्देश्य सदियों से वैदिक मार्ग पर चलने वाले हिन्दूओं को भटकाना है, हिन्दू-धर्म में भ्रम पैदा कराना है ताकि हिन्दू अपने ही धर्म से घृणा करने लग जाय। ब्रह्माकुमारी संस्था के माध्यम से धर्मांतरण की भूमिका तैयार की जाती है ।
यह संस्था सनातन धर्म के शास्त्रों के सिद्धांतों को विकृत ढंग से पेश करनेे वाली पुस्तकें, प्रदर्शनियाँ, सम्मेलन, सार्वजनिक कार्यक्रम आदि द्वारा लोगों का नैतिक, सामाजिक, धार्मिक विकृतीकरण व पतन करने का कार्य करती है ।
लोगों के विरोध से बचने व अपनी काली करतूतों को छुपाने के लिये दवाईयों का वितरण व नशा-मुक्ति कार्यक्रम आदि किया जाता है । लोगों को आकर्षित करने के लिए इनकी अनेक संस्थाओं में से निम्न दो संस्थाओं का प्रचार-प्रसार तेजी से किया जा रहा है ।
1) राजयोग शिक्षा एवं शोध प्रतिष्ठान
2) वर्ल्ड रिन्युवल स्प्रीच्युअल ट्रस्ट
Brahmakumari Sanstha का प्रचार-प्रसार :
इनके कार्यक्रम हमेशा चलते रहते हैं परन्तु सुबह व शाम को इनके अड्डों पर भाषण (मुरली) हुआ करते हैं । ब्रह्माकुमारियां, अड्डे के आसपास रहने वाली स्त्रियों को प्रभावित कर अपनी शिष्या बनाती हैं ,सनातन शास्त्रों के विरुद्ध भाषण सुनाने उनके घरों पर भी जाती हैं ।
कहने को तो इनके सम्प्रदाय में पुरुष भी भर्ती होते हैं जिन्हें ‘ब्रह्माकुमार’ कहा जाता है परन्तुु ज्यादातर ये औरतों व नवयुवतियों को ही अपनी संस्था में रखते हैं जिन्हें ‘ब्रह्माकुमारी’ कहते हैं ।
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