Brahmakumari Isaiyat ka Nayarup में फैलायी गयी है पर पश्चिम से बिल्कुल भिन्न प्रकार से, लेकिन फिर भी मूल रूप वही है इस तथ्य को यहाँ समझेगें ।
आजादी से पूर्व ईसाईयों की एक बड़ी टीम जिसमें फ्रेडरिक मैक्समूलर (सन् 1823-1900), अर्थर ऐंथोनी मैक्डोनल (सन् 1854-1930), मौनियर विलियम्स, जोन्स, वारेन हेस्टिंग्ज, वैब, विल्सन, विंटर्निट्स, मैकाले, मिल, फ्लीट बुहलर आदि शामिल थे।
इन लोगों ने भारत के इतिहास से छेड़छाड़, सनातन धर्म के शास्त्रों का विकृतीकरण, हिन्दू-धर्म के प्रति अनास्था पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसी परंपरा को ब्रह्माकुमारी संस्था आगे बढ़ा रही है ।
ब्रह्माकुमारी संस्था का साहित्य विभाग प्रमुख जगदीशचन्द्र हसीजा (सन् 1929-2001) की पूरी टीम द्वारा सनातन धर्म को ही विकृत करने वाले 100 से अधिक साहित्य जैसे गीता का सत्य-सार, ज्ञान-माला, ज्ञान-निधि, भारत के त्यौहार आदि बनाये व छापे गये । वर्तमान में जगदीश के कार्यों का नेतृत्व सत्यनारायण कर रहे हैं ।
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Brahmakumari Isaiyat ke Nayarup की स्वयंसिद्धि
ब्रह्माकुमारी संस्था को ईसाईयत का नया रुप दिया गया है जो पश्चिम से बिल्कुल भिन्न है लेकिन मूल रूप में वही है । यह संस्था भारत के खिलाफ बहुत-बड़े गुप्त मिशन पर काम कर रही है । 25 अगस्त 1856 को मैक्समूलर द्वारा बुनसन को लिखे पत्र से ईसाईयत के नये रूप की स्वयंसिद्धि हो जाती है :
‘‘भारत में जो कुछ भी विचार जन्म लेता है शीघ्र ही वह सारे एशिया में फैल जाता है और कहीं भी दूसरी जगह ईसाईयत की महानशक्ति अधिक शान से नहीं समझी जा सकती, जितनी कि दुनिया इसे (ईसाईयत को) दुबारा उसी भूमी पर पनपती देखे, पर पश्चिम से बिल्कुल भिन्न प्रकार से, लेकिन फिर भी मूल रूप वही हो ।’’
सालों से देश-विदेश में लोग ईसाईयत को छोड़ रहे हैं, चर्च बिक रहे है । ब्रह्माकुमारी संस्था के नाम पर हर जगह अपनी नई जमात खड़ी करने व हिन्दुत्व को मिटाने का यह गुप्त मिशन चलाया जा रहा है । जिसके लिए देश-विदेशों से धन लगाया जा रहा है ।
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