Brahmakumari Maton ka Khandan | ब्रह्माकुमारी मतों का खण्डन

Written by Rajesh Sharma

📅 March 2, 2022

ब्रह्माकुमारी मतों द्वारा हिन्दू साहित्य व इतिहास को उपन्यास व गप-शप कहना इनका कमीनापन है । Brahmakumari Maton ka Khandan यहाँ किया गया है ।

refutation of Brahma Kumaris

(1) ब्रह्माकुमारी मत-

मैं इस कलियुगी सृष्टि रुपी वेश्यालय से निकालकर सतयुगी, पावन सृष्टि रुप शिवालय में ले जाने के लिये आया हूँ ।   (सा.पा.पेज 170)

खण्डन- लेखराज अगर इस सृष्टि को नरक व वेश्यालय मानता है तो इस वेश्यालय में रहने वाली सभी ब्रह्माकुमारियां भी साक्षात् वेश्यायें होनी चाहिए, क्या यह सत्य है ?

(2) ब्रह्माकुमारी मत-

रामायण तो एक नॉवेल(उपन्यास) है जिसमें 101 प्रतिशत मनोमय गप-शप डाल दी गई है । मुरली सं. 65 में लेखराज कहता है कि राम का इतिहास केवल काल्पनिक है। (घोर कलह-  युग विनाश, पेज सं. 15)

खण्डन-  भूगर्भशास्त्रियों को अयोध्या, श्रीलंका आदि की  खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से तथा नासा का अन्वेषण, समुद्र में श्रीरामसेतु का होना आदि रामायण को प्रमाणित करता है। पूरा हिन्दू इतिहास रामायण के प्रमाण से भरा हुआ है । इसे उपन्यास व गप-शप कहना और सनातन-धर्म पर अनर्गल बातें कहना ही वास्तव में गप्पाष्टक है, कमीनापन है ।

Brahmakumari Maton ka Khandan (3) ब्रह्माकुमारी मत-

जप, तप, तीर्थ, दान व शास्त्र अध्ययन इत्यादि से भक्ति मार्ग के कर्मकाण्ड और क्रियायों से किसी की सद्गति नहीं हो सकती । (सतयुग में स्वर्ग कैसे बने-पे. सं. 29)

खण्डन- यह बातें तथ्यों से परे, नासमझी से पूर्ण हैं । जप से संस्कार  शुद्ध होते हैं । तप से मन के दोष मिटते हैं । जहाँ संत रहते हैं उन तीर्थों में जाने से, उनके सत्संग से विचारों में पवित्रता व ज्ञान मिलता है । दान व परोपकार से पुण्य बढ़ता है।

शुभ कर्म का शुभ फल मिलता है । शास्त्र अध्ययन से ज्ञान बढ़ता है, सन्मार्ग दर्शन मिलता है, विवेक, बुद्धि जागृत होती है । कर्मकाण्ड से मानव की प्रवृत्ति धर्म व परोपकार में लगी रहती है और इन सब बातों से जीवों का तथा स्वयं मानव का कल्याण होता है । ईन शुभ कर्मों की निंदा करना लेखराज एवं उसके सर्मथकों की मूर्खता प्रकट करता है । जो वेदों और शास् त्रों का विरोध करता है वह मनुष्य रुप में साक्षात असुर है ।

Related Artical

गीता का ज्ञान शिव ने दिया 

(4) ब्रह्माकुमारी मत-

श्रीकृष्ण ही श्री नारायण थे और वे द्वापरयुग में नहीं हुए, बल्कि पावन सृष्टि अर्थात् सतयुग में हुए थे ।.. श्रीकृष्ण श्रीराम से पहले हुए थे।  (साप्ताहिक पाठ्यक्रम, पृ. सं.140,143)

खण्डन- भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमदभगवद्गीता के  अध्याय 10 के 31 वें श्लोक में कहा ‘पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्’ अर्थात् मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ ।

इस प्रकार श्रीकृष्ण ने श्रीराम का उदाहरण देकर श्रीराम को अपने से पूर्व होना घोषित किया है, दृष्टान्त सदैव अपने से पूर्व हुई अथवा वर्तमान बात का ही दिया जाता है । इससे स्पष्ट है कि इस मत का संस्थापक लेखराज पूरा गप्पी, शेखचिल्ली था जिसने पूरी श्रीमदभगवद्गीता भी नहीं पढ़ी थी ।

(5) ब्रह्माकुमारी मत-

गीता ज्ञान परमपिता परमात्मा (लेखराज के मुख से) शिव ने दिया था । (सा.पा.पेज सं.144)

खण्डन- गीता को लेखराज द्वारा उत्पन्न बताना यह किसी तर्क व प्रमाण पर सिद्ध नहीं होता । इतिहास साक्षी है कि 5151 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दियाथा । विज्ञान जगत ने भी इसे सिद्ध किया है।

Brahmakumari Maton ka Khandan(6) ब्रह्माकुमारी मत-

आत्मा रूपी ऐक्टर तो वही हैं, कोई  नई आत्मायें तो बनती नहीं हैं, तो हर एक आत्मा ने जो इस कल्प में अपना पार्ट बजाया है अगले कल्प में भी वह वैसे ही बजायेगी, क्योंकि सभी आत्माओं का अपना जन्म-जन्मान्तर का पार्ट स्वयं आत्मा में ही भरा हुआ है।

जैसे टेप रिकार्डर में अथवा ग्रामोफोन रिकार्डर में कोई नाटक या गीत भरा होता है, वैसे ही इस छोटी-सी ज्योति-बिन्दु रुप आत्मा में अपने जन्म-जन्मान्तर का पार्ट भरा हुआ है । यह कैसी रहस्य-युक्त बात है । छोटी-सी आत्मा में मिनट-मिनट का अनेक जन्मों का पार्ट भरा होना, यही तो कुदरत है।

यह पार्ट हर 5000 वर्ष (एक कल्प) के बाद पुनरावृत्त होता है, क्योंकि हरेक युग की आयु बराबर है अर्थात् 1250 वर्ष है । (सा.पा., पृ.सं. 86)

खण्डन- एक कल्प में एक हजार चतुर्युग होते हैं, इन एक हजार चतुर्युगों में चौदह मन्वन्तर होते हैं । एक मन्वन्तर में 71 चतुर्युग होते हैं प्रत्येक चतुर्युगी में चार युग कलियुग 4,32,000 वर्ष, द्वापर 8,64,000 वर्ष, त्रेता 12,96,000 वर्ष एवं सतयुग 17,28,000 वर्ष के होते हैं ।

हर पाँच हजार साल में कर्मो की हूबहू पुनरावृत्ति होती है, इसको सिद्ध करने के लिए ब्रह्माकुमारी के पास कोई तर्क या कोई भी शास्त्रीय प्रमाण नहीं है, सिर्फ और सिर्फ इनके पास लेखराज की गप्पाष्टक है जिसे मूर्ख व कुन्द बुद्धि वाले लोग ही सत्य मानते हैं । मानों यदि व्यक्ति की ज्यों की त्यों पुनरावृत्ति हो तो वह कर्म-बंधन व जन्म-मरण से कैसे मुक्त होगा ?

परमात्मा सर्वव्यापक  नहीं है

(7) ब्रह्माकुमारी मत-

परमात्मा तो सर्व आत्माओं का पिता है, वह सर्वव्यापक  नहीं है ।…  भला बताइये कि अगर परमात्मा सर्वव्यापक है तो शरीर में से आत्मा निकल जाने पर परमात्मा तो रहता ही है तब उस शरीर में चेतना क्यों नहीं प्रतीत होती ? हरेक शरीर में आत्मा है न कि परमात्मा । … मोहताज व्यक्ति, गधे, कुत्ते आदि में परमात्मा को व्यापक मानना तो परमात्मा की निन्दा करने के तुल्य है । (साप्ताहिक पाठ्यक्रम, पृ. सं. 44, 55, 68)

खण्डन- ईश्वर सर्वव्यापक है क्योंकि जोे एक देश में रहता है वह  सर्वान्तर्यामी, सर्वर्ज्ञ, सर्वनियन्ता, सब का सृष्टा, सब का धर्ता और प्रलयकर्ता नहीं हो सकता । अप्राप्त देश में कर्ता की क्रिया का (होना) असम्भव है। प्राण-अपान की जो कला है जिसके आश्रय में शरीर होता है । मरते समय शरीर के सब स्थानों को प्राण त्याग जाते हैं और मूर्छा से जड़ता आ जाती है ।

महाभूत, कर्मेन्द्रिय, ज्ञानेन्द्रिय, प्राण, अन्तःकरण, अविद्या, काम,  कर्म के संघातरुप पुर्यष्टक शरीर को त्यागकर निर्वाण हो जाता है । शरीर अखंडित पड़ा रहता है, जिसमें सामान्यरूप से चेतन परमात्मा स्थित रहता है । कुन्द बुद्धि लोगों को यह समझना चाहिए कि एक बल्ब बुझा देने से पूरा पॉवर हाऊस बंद नहीं हो जाता ।

(8) ब्रह्माकुमारीय मान्यता-

‘परमात्मा तो जन्म-मरण से न्यारे हैं, कर्मातीत हैं और उनके कोई माता-पिता भी नहीं होते, वह कोई कर्मजन्य शरीर तो ले नहीं सकते, वह किसी माता के गर्भ से तो जन्म ले नहीं सकते। वह तो सभी के माता-पिता हैं, तब भला वह शिशु रुप में जन्म लेकर मनुष्यों से लालन-पालन कैसे लेंगे और उनके साथ अपना कर्म-सम्बन्ध कैसे जोड़ेंगे ?’

Brahmakumari Maton ka Khandan‘परमात्मा प्रतिदिन कुछ समय के लिए परमधाम से आकर उस साधारण, वृद्ध मनुष्य के मुख द्वारा ज्ञान एवं सहज योग की शिक्षा दे जाते हैं ।…. जिस मनुष्य के तन में वह प्रवेश करते हैं उसको वह ‘प्रजापिता ब्रह्मा‘ नाम देते हैं ।’

‘लोग शिव और शंकर को एक मान लेते हैं। वास्तव में शंकर तो एक देवता हैं, जिन्हें परमात्मा शिव सृष्टि के महाविनाश के लिए रचते हैं। शिव स्वयं तो अशरीरी हैं और तीनों देवताओं द्वारा तीन कर्त्तव्य कराने वाले हैं। परन्तु शंकर सूक्ष्म शरीरवाले हैं।.. शिवलिंग परमात्मा की प्रतिमा है; और शंकर की अपनी प्रतिमा शरीरवाली है ।’ (साप्ताहिक पाठ्यक्रम, पृ. सं. 80 से 82)

खण्डन- लेखराज व उसके सर्मथकों ने सनातन धर्म की सनातन सत्यता पर आक्षेप करने के पूर्व विधिवत अध्ययन, श्रवण, मनन व निदिध्यासन कर लिया होता तो ऐसी धूर्तता व पाखण्ड भरी बातेें नहीं करते ।

वैदिक संस्कृति विश्व मानव संस्कृति

वैदिक संस्कृति विश्व मानव संस्कृतिविश्व की प्राचीनतम आर्य संस्कृति के अवशेष किसी न किसी रूप में मिले हैं। वैदिक काल से विश्व के प्रत्येक कोने में वैदिक आर्यों की पहुँच हुई और समस्त प्रकार का ज्ञान-विज्ञान एवं सभ्यता उन्होंने ही विश्व को प्रदान की थी। नवीनतम खोज के अनुसार अमेरिका में रिचमण्ड से 70 किलोमीटर दूर केप्सहिल पर जो अवशेष पुरातत्व अन्वेषकों ने खोजे हैं, वह 17 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के हैं और उस समय विश्व में केवल आर्य संस्कृति ही विकसित थी तथा अपने चरमोत्कर्ष पर थी ।

जर्मनी आदि के विश्वविद्यालय में चरकॉलोजी, इंडोलोजी आदि के नाम से वेदों की गुह्यतम विद्याओं पर अन्वेषण हो रहे हैं। विश्व के कोने-कोने में सनातन संस्कृति के अवशेष, प्रमाण मिले हैं।

Related Artical

0 Comments

Submit a Comment

Related Articles

Brahmakumariyon se Savadhan | ब्रह्माकुमारियों से सावधान

Brahmakumariyon se Savadhan | ब्रह्माकुमारियों से सावधान

Brahmakumariyon se Savadhan । ब्रह्माकुमारीयों का पाखण्ड तेजी से फैल रहा है। इनके अड्डेे धूर्तता, पाखण्ड, व्यभिचार प्रचार के केन्द्र हैं । इन सारी बोतों को यहाँ समझेगें । Beware of Brahma...

read more
Brahmakumariyon ka Pakhand | ब्रह्माकुमारियों का पाखण्ड

Brahmakumariyon ka Pakhand | ब्रह्माकुमारियों का पाखण्ड

Brahmakumariyon ka Pakhand यह ना ही कोई धर्म बल्कि सिर्फ और सिर्फ एक झूठ, फरेब से काम करने वाला अधार्मिक संगठन है । इसके बारे में लोग क्या कहते हैं यहाँ पढेगें । Brahmakumariyon ka...

read more
Brahmkumaron ke Kale Karnamen | ब्रह्माकुमारों के काले-कारनामे

Brahmkumaron ke Kale Karnamen | ब्रह्माकुमारों के काले-कारनामे

Brahmkumaron ke Kale Karnamen Black Exploits of Brahmakumars Brahmkumaron ke Kale Karnamen बलात्कार व जबरन गर्भपात । अक्सर ‘ब्रह्माकुमारी ध्यान योग केन्द्र’ व्यभिचार एवं अय्याशी का अड्डा है । निम्न घटनाओं से इस हम समझेगें । छतरपुर, जिला भोपाल (म.प्र.) की एक 26 वर्षीय...

read more

New Articles

Ashtang Ayurved kya hai ? अष्टांग आयुर्वाद क्या है ? What is Ashtanga Ayurveda ?

Ashtang Ayurved kya hai ? अष्टांग आयुर्वाद क्या है ? What is Ashtanga Ayurveda ?

आयुर्वेद अपने आप में सम्पूर्ण स्वास्थ्य पद्धति है । यहाँ हम आयुर्वेद और अष्टांग आयुर्वाद क्या है ? (Ashtang Ayurved kya hai ?) जानेगें तथा इसकी खोज किसने की यह भी ।  ।। आयुर्वेद ।। हिताहितं सुखं दुखमायुस्तस्य हिताहितम् । मानं च तश्च यत्रोक्तम् आयुर्वेद: स उच्यते ।। -...

read more
Yog- Pranayam- Dhyan- Yagy II योग- प्राणायाम- ध्यान- यज्ञ

Yog- Pranayam- Dhyan- Yagy II योग- प्राणायाम- ध्यान- यज्ञ

यहाँ यह सब जानने को मिलेगा कि योग- प्राणायाम- ध्यान- यज्ञ (Yog- Pranayam- Dhyan- Yagy) क्या है क्यों और कैसे किया जाता है । इसकी उत्पत्ति कैसे और किसने की यह सब जानने को मिलेगा । ।। योग विज्ञान ।। I Yog- Pranayam- Dhyan- Yagy I योग का मूल उद्देश्य चित्तवृतियों का...

read more
Sanskriti par Aaghat I संस्कृति पर आघात I Attack on Culture

Sanskriti par Aaghat I संस्कृति पर आघात I Attack on Culture

किस तरह से भारतीय संसकृति पर आघात Sanskriti par Aaghat किये जा रहे हैं यह एक केवल उदाहरण है यहाँ पर साधू-संतों का । भारतवासियो ! सावधान !! Sanskriti par Aaghat क्या आप जानते हैं कि आपकी संस्कृति की सेवा करनेवालों के क्या हाल किये गये हैं ? (1) धर्मांतरण का विरोध करने...

read more
Helicopter Chamatkar Asaramji Bapu I हेलिकाप्टर चमत्कार आसारामजी बापू I Helicopter miracle Asaramji Bapu

Helicopter Chamatkar Asaramji Bapu I हेलिकाप्टर चमत्कार आसारामजी बापू I Helicopter miracle Asaramji Bapu

आँखो देखा हाल व विशिष्ट लोगों के बयान पढने को मिलेगें, आसारामजी बापू के हेलिकाप्टर चमत्कार Helicopter Chamatkar Asaramji Bapu की घटना का । ‘‘बड़ी भारी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भी बिल्कुल सुरक्षित रहने का जो चमत्कार बापूजी के साथ हुआ है, उसे सारी दुनिया ने देख लिया है ।...

read more
Ashram Bapu Dharmantaran Roka I आसाराम बापू धर्मांतरण रोका I Asaram Bapu stop conversion

Ashram Bapu Dharmantaran Roka I आसाराम बापू धर्मांतरण रोका I Asaram Bapu stop conversion

यहाँ आप Ashram Bapu Dharmantaran Roka I आसाराम बापू धर्मांतरण रोका कैसे इस विषय पर महानुभाओं के वक्तव्य पढने को मिलेगे। आप भी अपनी राय यहां कमेंट बाक्स में लिख सकते हैं । ♦  श्री अशोक सिंघलजी, अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद : बापूजी आज हमारी हिन्दू...

read more