Brahmakumariyon se Savadhan । ब्रह्माकुमारीयों का पाखण्ड तेजी से फैल रहा है। इनके अड्डेे धूर्तता, पाखण्ड, व्यभिचार प्रचार के केन्द्र हैं । इन सारी बोतों को यहाँ समझेगें ।
Brahmakumariyon se Savadhan
Beware of Brahma Kumaris
Brahmakumariyon se Savadhan
सुन्दर, पढ़ी-लिखीं, श्वेत वस्त्रधारिणी नवयुवतीयाँ इस मत की प्रचारिका होती हैं। इनको ईश्वर, जीव, पुनर्जन्म, सृष्टि-रचना, स्वर्ग, ब्रह्मलोक, मुक्ति आदि के विषय में काल्पनिक (जो शास्त्र सम्मत नहीं है) बेतुकी सिद्धांत कण्ठस्थ करा दिए जाते हैं जिसेे वे अपने अन्धभक्त चेले-चेलियों को सुना दिया करती हैं ।
इस मत की पुस्तकों में जो कुछ लिखा है उनका कोई आधार नहीं है । आध्यात्मिकता और भक्ति की आड़ में ये लोग सैक्स (व्यभिचार) की भावना से काम कर रहे हैं ।
इनके अड्डे जहां भी रहे हैं सर्वत्र जनता ने इनके चरित्रों पर आक्षेप किये हैं । अनेक नगरों में इनके दुराचारों के भण्डाफोड़ भी हो चुके हैं ।
ब्रह्माकुमारियों का नयनयोग
लेखराज द्वारा दृष्टि दान अर्थात् नयन योग (एक दूसरे के आखों में आखें डालकर त्राटक करना) शुरु किया गया था । अब वही नयन योग ब्रह्माकुमारियाँ करती हैं । अपने यहां आने वाले युवकों से आंख लड़ाती हैं काजल लगाकर । ब्रह्माकुमारीयों का पाखण्ड तेजी से फैल रहा है । ये प्रत्येक समाज के लिए विषघातक हैं । इनके अड्डेे धूर्तता, पाखण्ड, व्यभिचार प्रचार के केन्द्र हैं । सभी को चाहिए कि इन अड्डों पर अपनी बहू-बेटियों को न जाने दें ।
इस संस्था का संस्थापक लेखराज जिसने जीवन में सत्यता की बात नहीं कही, लोगों को धोखा दिया व झूठ बोलता रहा । उस पाखण्डी, धूर्त के मरने के बाद उसकी बातों पर विश्वास करके सम्प्रदाय चलाना बहुत बड़ा राष्ट्र द्रोह है
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वेद व उपनिषदों पर विद्वानों के विचार
भारत वेदों का देश है। इनमें न केवल सम्पूर्ण जीवन के लिए धार्मिक विचार मौजूद हैं बल्कि ऐसे तथ्य भी हैं जिनको विज्ञान ने सत्य प्रमाणित किया है। वेदों के सर्जकों को बिजली, रेडियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, हवाई जहाज, आदि सबकुछ का ज्ञान था । -एल्ला व्हीलर विलकॉक्स (अमेरिकी कवयित्री व पत्रकार)
पूरी दुनिया में उपनिषदों के ज्ञान जैसा लाभदायक और उन्नतिकारक और कोई अध्ययन नहीं है, यह मेरे जीवन का आश्वासन रहा हैऔर यही मेरी मृत्यु पर भी आश्वासन रहेगा । यह उच्चतम विद्या की उपज है । – आर्थर सोपेनहर (जर्मनी के दार्शनिक व लेखक)
हम लोग भारतीयों के अत्यधिक ऋणी हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया, जिसके बगैर कोई भी महत्वपूर्ण खोज संभव नहीं था । -अलवर्ट आईंस्टाईन (महान वैज्ञानिक)
उपनिषदों की दार्शनिक धाराएँ न केवल भारत में, संभवतः सम्पूर्ण विश्व में अतुलनीय है । – पॉल डायसन
यूरोप के प्रथम दार्शनिक प्लेटो और पायथागोरस, दोनों ने दर्शनशास्त्र का ज्ञान भारतीय गुरुओं से प्राप्त किया । – मोनीयरस विलियम्स
सनातन धर्म मानव-जाति का आध्यात्मिक संविधान है। सनातन धर्म ही शाश्वत धर्म है अतः यही विश्वधर्म है । – संपत भुपालम्
जब-जब मैंने वेदों के किसी भाग का पठन किया है, तब-तब मुझे अलौकिक और दिव्य प्रकाश ने आलोकित किया है। वेदों के महान उपदेशों में सांप्रदायिकता की गंध भी नहीं है। यह सर्व युगों के लिए, सर्व स्थानों के लिए और सर्व राष्ट्रों के लिए महान ज्ञान प्राप्ति का राजमार्ग है। – हेनरी डेविड थोरो
उपनिषदों का संदेश किसी देशातीत और कालातीत स्थान से आता है। मौन से उसकी वाणी प्रकट हुई है । उसका उद्देश्य मनुष्य को अपने मूल स्वरुप में जगाना है । -बेनेडिफ्टीन फादर ली. सो.
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