ब्रह्माकुमारी द्वारा Hindutva ko Mitaneka shanyantra– शिवरात्रि. होली, रक्षाबंधन, दीपावली आदि को पाखण्ड कैसे बताया गया है, उसका खण्डन देखें ।
(प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय राजस्थान से प्रकाशित
‘भारत के त्यौहार’ भाग -1, भाग-2 में वर्णित)
शिवरात्रि :
प्रजापिता ब्रह्मा लेखराज ने कल्प के अंत मे अवतरित होकर तमोगुण, दुःख अशान्ति को हरा था । उसी की याद में शिवरात्रि मनायी जाती है । इनके मतानुसार हिन्दू शास्त्रों में झूठी गप-शप लिख दी गई है ।
होली :
कलियुग के अन्त में व सतयुग के शुरुआत में परमपिता ब्रह्मा लेखराज द्वारा सुख शान्ति के दिन शुरु किये गये थे। उसी की याद में होली मनाई जाती है । लकड़ी, गोबर के कंड़े जलाने से क्या होगा ? देहातों में रोज जलते हैं। बहुत से शिष्ट लोगों के मन में इस त्यौहार के प्रति घृणा पैदा हो गई है। इनके मतानुसार शास्त्रों में झूठी, मनगढन्त कल्पनाएं हैं ।
रक्षाबंधन :
ब्रह्माकुमारी बहनें लेखराज के ज्ञान द्वारा ब्राह्मण पद पर आसीन होकर भाई को राखी बांधती है तथा बहन पवित्रत्रा के संकल्प की रक्षा करती है। रक्षाबंधन वास्तव में नारी के द्वारा नर की रक्षा का प्रतीक है न कि नर द्वारा नारी की रक्षाका । इनके मतानुसार हिन्दू शास्त्रों में रक्षाबंधन विषयक उलटी, गड़बड़ कल्पनायें जड़कर रखी है ।
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दीपावली :
कलयुग के अन्त में परमपिता ब्रह्मा लेखराज ने पूर्व की भांति दुबारा इस धरा पर आकर सर्व आत्माओं की ज्योत जगाने के लिए अवतरित हुए हैं। लोग अपनी ज्योत जलाने की याद में दीपावली मनाते हैं । इनके मतानुसार शास्त्रकारों ने झूठी कल्पनाएं फैला रखी है। इसी कारण लोग मिट्टी का दीप जला कर खेल खेलते हैं ।
नवरात्रि :
लेखराज ने ब्रह्माकुमारियों को ज्ञान देकर दिव्य गुण रुपी शक्ति से सुसज्जित किया है । अन्तर्मुखता, सहनशीलता, आदि दिव्य शक्तियाँ ही इनकी अष्ट भुजायें हैं। इन्हीं शक्तियों के कारण ये आदि शक्ति अथवा शिव शक्ति बन गई हैं।
ब्रह्माकुमारियां दुर्गा आदि शक्ति बनकर भारत के नर-नारियों को जगा रही हैं । इसी के याद में नवरात्रि मनाई जाती है । लोगों को ज्ञान देने की याद्गार में कलश स्थापना, जगाये जाने की स्मृति में जागरण करते है । लोग इन कन्याओं के महान कर्तव्य के कारण कन्या-पूजन करते हैं ।
दशहरा :
द्वापर युग (1250 वर्ष पूर्व) में आत्मा-रुपी सीता कंचन-मृग के आकर्षण में पड़कर माया रुपी रावण के चंगुल में फंसती है उस समय से लेकर अब तक सारी सृष्टि शोक-वाटिका बन जाती है । ऐसे समय में परमात्मा लेखराज आकर ज्ञान के शस्त्र से माया रुपी रावण पर विजय दिलाते हैं तब सतयुगी राज्य की पुनर्स्थापना होती है ।
5000 साल पहले भी परमात्मा लेखराज ने ऐसा किया था, अभी भी कर रहे हैं । मनुष्य रुपी राम ने भी इसी दिन दस विकार रुपी रावण पर विजय पायी थी तभी से दशहरा मनाते है। शास्त्रों में वर्णन काल्पनिक है । राम, रावण, बंदरो की सेना इत्यादि सब गप-शप व उपन्यास है ।
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