शंकराचार्य, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी नित्यानंद, स्वामी लक्ष्मणानंद, स्वामी असीमानंद, संत आसारामजी बापू, नारायण सांई आदि Santon par Atyachar खुलेआम हुआ और हो रहा है । उसकी विवेचना करेगें ।
Santon par Atyachar- 1 | संतों पर अत्याचार- 1 | Atrocities on Saints – 1
(1) निर्दोष शंकराचार्य पर लगाया हत्या का झूठा आरोपः
कांची कामकोटि पीठ कई धार्मिक संस्थान, शिक्षा संस्थान, अस्पताल, वृद्ध लोगों के लिए घर और एक विश्वविद्यालय भी चलाती है । तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता की बेशर्म सरकार ने सन् 2004 की दीपावली की रात को निर्दोष शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी को गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया। उन्हें अपराधियों की तरह पुलिस स्टेशन ले जाया गया था । मामले का ट्रायल करीब 9 साल तक चला । पांडिचेरी की एक अदालत ने शंकर रमन हत्याकांड मामले में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य समेत सभी 23 आरोपियों को नवम्बर 2013 में बरी कर दिया ।
बिकाऊ मीडिया ने झूठा कुप्रचार किया था कि शंकराचार्यजी ने अपराध कबूल कर लिया है जबकि पुलिस ऐसा कोई सबूत नहीं दे पायी थी । राजनैतिक षड्यंत्र तो असफल हो गया पर शंकराचार्यजी को 2 माह तक जेल में रखा गया व सतत 9 वर्ष तक उनके मान-सम्मान को जो क्षति पहुँचायी गई उसकी भरपाई कौन करेगा ? यदि ऐसे ही Santon par Atyachar होता रहा तो भारत का भविष्य निश्चत ही खतरे में है ।
(2) साध्वी प्रज्ञा को अमानवीय प्रताड़नाः
हिन्दू धर्मध्वजा को लहराने वाली साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को 2008 में हैदराबाद तथा मालेगाँव मस्जिद में बम ब्लास्ट का झूठा आरोप लगाकर जेल में डाल दिया । 6 अगस्त 2008 को पुलिस ने उन्हें धर्म भ्रष्ट करने का प्रयत्न किया । अमानुषिक अकथनीय अत्याचार करके विषैले इंजेक्शन आदि देकर लकवा का मरीज बना दिया गया । क्यों ? सिर्फ इसलिए कि वे धर्मांतरण के काम में बाधक बनती थीं ।
पिछले 6 वर्षों में लगातार उनका स्वास्थ्य गिरता रहा और उनकी परेशानियाँ बढ़ती चली गयीं और अब वह पांँव से चल भी नहीं पाती हैं । यू.पी. ए. सरकार की हठधर्मिता की वजह से पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी । उल्टा भगवा आतंकवाद की दलील देकर उन्हें जेल से छूटने तक नहीं दिया गया । Santon par Atyachar का शर्मनाक मंजर वर्तमान में कही औऱ देखने को नही मिलता जैसी यह घटना है ।
बहुचर्चित सुनील जोशी की हत्या मामले में 6 साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माना है कि पुलिस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर गलती की थी ।
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स्वामी नित्यानंद कर्नाटक में सनातन धर्म की अलख जगाये रखने तथा चर्च के धर्मांतरण के बढ़ते कदमों को थामने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं । उनका एक अभिनेत्री के साथ अंतरंग दृश्यों का फर्जी वीडियो प्रसारित किया जाता है । तत्काल बिकाऊ मीडिया उछल-उछलकर नित्यानंद सरस्वती के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चलाने लगता है । सन् 2010 में नित्यानंद इस मामले में 52 दिन तक जेल में रहे ।
मीडिया ट्रायल कर-करके इस मामले में हिन्दू धर्म व भगवा वस्त्रों इत्यादि को भी जमकर कोसा गया । जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा पता चला कि पुलिस और चैनलों को नित्यानंद की सी.डी. देकर आरोप लगाने वाला व्यक्ति ‘कुरुप्पन लेनिन’ एक धर्म-परिवर्तित ईसाई है । यह व्यक्ति पहले एक फिल्म स्टूडियो में काम कर चुका है तथा वीडियो मॉर्फिंग में कुशल है । जाँच में पता चला कि वह वीडियो नकली व बनावटी था ।
वीडियो में पाया गया व्यक्ति नित्यानंद नहीं है । न्यायालय ने स्टार टी.वी. और इसके उप चैनल (स्टारविजय) तथा आजतक को अपने चैनल पर लगातार प्रति घंटे माफीनामा चलाने का आदेश दिया । फर्जी सेक्स सी.डी. बनाने वाले लेनिन को गिरफ्तार कर लिया गया ।
स्वामी नित्यानंद के साथ कथित अश्लील हरकतों वाले फर्जी वीडियो से सुर्खियों में आयी तमिल अभिनेत्री रंजीता ने उनके साथ यौन-संबंध होने से इन्कार किया तथा टी.वी. चैनलों पर दिखाई गई फुटेज को फर्जी करार दिया है । अभिनेत्री रंजीता ने इसका रहस्योद्घाटन करते हुए कहा : इस साजिश के पीछे क्रिश्चियन मिशनरी का हाथ है ।
पहले 2005 में बाबा रामदेव पर आयुर्वेदिक दवा में केंचुआ तथा मनुष्य की खोपड़ी का चूर्ण मिलाने का झूठा आरोप लगाया गया । फिर जैसे ही बाबा रामदेव ने ईसाईयत के संरक्षकों और कांग्रेस पर उँगली उठाना शुरू किया उसी दिन से सत्ता के गलियारे में बैठे हुए अजगर अचानक जागृत हो गये । काले धन को वापस लाने की माँग इन अजगरों को इतनी नागवार गुजरी कि इन्होंने बाबा रामदेव के पीछे देश की सी.बी.आई. लगा डाली । बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ तो बाबा रामदेव से पहले ही खार खाए बैठी थीं ।
4 जून 2011 को आधी रात को दिल्ली के रामलीला मैदान में सो रहे हजारों सत्याग्रहियों पर ईसाई सोनिया की पुलिस ने धावा बोल दिया । पुलिस उन पर लाठियाँ और आँसू गैस के साथ टूट पड़ती है । बाबा रामदेव को प्रताड़ित किया जाता है । बाबा रामदेव का कहना है कि रामलीला मैदान में सोनिया मेरा एन्काउन्टर कराना चाहती थी । मीडिया द्वारा बाबा रामदेव को ठग, चोर, भगोड़ा इत्यादि से विभूषित किया जाता है । बाबा रामदेव पर उनके गुरु की हत्या का झूठा आरोप भी लगाया जा रहा है ।
बाबा रामदेवजी के प्रमुख सहयोगी आयुर्वेदाचार्य बालकृष्णजी को पासपोर्ट के मामूली मामले में जेल में डाल दिया गया था ।
(5) स्वामी श्यामानंद को पिलाया नशीला पदार्थ
राजस्थान के स्वामी श्यामानंदजी के आश्रम की जमीन हड़पने के लिए उनको पेय में नशीली वस्तु मिलाकर पिलाया था । तत्पश्चात् खरीदी हुई लड़की के साथ नशे की हालत में अश्लील हरकतों की फिल्म बनाकर बदनाम किया । भक्तों ने उस महिला की ठौर पा कर उससे सच उगलवाया । जिससे षड्यंत्र की पोल खुल गई ।
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यह एक Santon par Atyachar की दिल दहला देने वाली घटना है, ओड़िशा में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अपना संपूर्ण जीवन वनवासियों के उत्थान में लगा दिया । इनके प्रयासों से चर्च के षड्यंत्र उजागर हो रहे थे । ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्म परिवर्तन के विरोध में कार्यरत 85 वर्षीय संत पर 24 अगस्त 2008 को उनकी छाती छलनी होने तक उन पर गोलियाँ चलायीं एवं कुल्हाड़े से उनके शरीर को काट डाला ।
स्वामीजी तथा उनके साथियों की हत्या के बाद जिन दोनों लोगों को ग्रामीणों ने खून से लथ-पथ हथियारों व नकाबों के साथ पकड़कर पुलिस के हवाले किया था पुलिस ने उन दोनों को बिना पूछताछ के छोड दिया । अभियुक्तों की पहचान परेड भी नहीं कराई गई । इसके अलावा वेटिकन चर्च में स्वामीजी की हत्या के लिए पारित प्रस्ताव वाले रजिस्टर की नक़ल भी पुलिस को उपलब्ध कराई गई थी । सरकार उस पर भी जांच नहीं कर रही है । स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने उनकी हत्या होने से पहले लगातार कई बार उनको मिली हुई धमकियों के बारे में प्रशासन को बताया लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया ।
(7) निर्दोष चंद्रास्वामी को जेल में ठूँसा
फेरा कानून के उल्लंघन के मामले में चंद्रास्वामी को पटियाला हाऊस कोर्ट ने रिहा कर दिया था । यह मामला लंदन में विचाराधीन एक दूसरे मामले में वकील को करीब 14 हजार पौंड की फीस देने से संबंधित था । चंद्रास्वामी को 9 माह तक जेल में रहना पड़ा था और पुलिस ने भयंकर यातनायें दी थीं । न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यह साबित नहीं हो पाया कि चंद्रास्वामी ने ही अपने वकील को 14 हजार पौंड राशि अदा की थी । ऐसी स्थिति में उनको दोषी नहीं ठहराया जा सकता और उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया ।
(8) स्वामी असीमानंद को भयंकर यातनाएँ
दक्षिण गुजरात के डांग जिले के वनवासी क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रहे स्वामी असीमानंद भारत सरकार के निशाने पर थे । Santon par Atyachar की कहानी है कि चर्च किसी भी स्थिति में उनको डांग से हटाना चाहता था क्योंकि इस वनवासी बहुल क्षेत्र में चर्च द्वारा चलायी जा रही अराष्ट्रीय और असामाजिक गतिविधियों का स्वामीजी विरोध कर रहे थे । उन्हें आतंकवाद के मामले में झूठा फँसा दिया गया ।
समझौता विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद ने कहा था : ‘यह मुझे फंसाने का षड्यंत्र है । पुलिस मुझे प्रताड़ित कर रही है व मुझ पर गलत बयान देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है ।’
उनको पुलिस ने घोर प्रताड़ना दी तथा धर्म भ्रष्ट किया । उनके गुप्तांग में बिजली के झटके लगाये गये तथा मुँह में गौ-मांस घुसाया गया । उन्होंने न्यायालय में निर्भीक होकर कहा कि जाँच एजेंसियाँ धमकियों और यातनाओं से मेरे मुंह में शब्द ठूँस रही हैं लेकिन वे किसी भी स्थिति में मेरे शब्द न समझे जाएँ ।
सरकार ने असीमानंद पर बहुत दबाव डाला कि सरकारी गवाह बन जायें और सरकार की रणनीति के अनुसार भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों को आतंकवाद से जोड़ने की मुहिम में हिस्सेदार बनें ।
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