संत निगमानंद को मार डाला, दिल्ली में लाखों गौभक्तों पर गोलियाँ, संत आसाराम बापू, नारायण सांई आदि Atrocities on Saints को समझना पडागा ।
Atrocities on Saints | Santon par Atyachar- 3 | संतों पर अत्याचार- 3
संत निगमानंद आंदोलन के तहत 19 फरवरी 2011 से अनशन पर थे उनकी माँंग थी कि गंगा के रक्षार्थ कुम्भ क्षेत्र को खनन मुक्तरखा जाये। 68 दिनों बाद अनशन के दौरान स्वामी निगमानंद को जिला प्रशासन द्वारा जिला चिकित्सालय में भर्ती कराकर उन्हें जबरन अन्न ग्रहण कराया गया था । ऐसा कहा जा रहा है कि खनन माफिया के इशारे पर इलाज के दौरान ही संत को किसी नर्स द्वारा जहर दे दिया गया।
(21) कोल्हापुर महाराष्ट्र के संत संतोष उपाख्य बाल महाराजजी को मिरज दंगे की अवधि में पुलिस थाने में बंद कर दिया गया । लोकतंत्र के वैध मार्ग से आंदोलन करने पर भी उन पर 7 सितम्बर 2009 को पुलिस ने अपराध प्रविष्ट करने का दुःसाहस किया ।
(22) आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकरजी पर बेंगलोर (कर्नाटक) में 10 मई 2010 को किसी अज्ञात व्यक्ति ने गोलियाँ चलाईं ।
(23) दक्षिण भारत की माता अमृतानंदमयी (अम्मा) को रेड लाइट एरिया (वेश्या घर) से संबंधित बताकर उनकी छवि को कलंकित करने का प्रयास किया गया था ।
(24) स्वामी परिपूर्णानंद महाराज को कुम्भ मेले से अगुवा किया गया था और उनका आज तक पता नहीं लगा है ।
(25) देश-विदेश में गुजरात के स्वामीनारायण सम्प्रदाय ने लोगों को संस्कारित करने का महान कार्य किया है । उनके प्रमुख संतों के खिलाफ अक्टूबर 2013 में झूठे चारित्रिक आरोप लगाये गये ।
(26) प्रख्यात सत्यसाँईं बाबा ने अनेक लोकहित की प्रवृत्तियाँ चलवाईं । साजिशकर्ताओं ने सन् 2001 में बाबा पर चरित्र हनन के मनगढ़न्त आरोप लगवाये ।
(27) दिल्ली में देश के लाखों गौभक्तों पर अंधाधुन्ध गोलियाँ
7 नवम्बर 1966, गोपाष्टमी के दिन, दिल्ली में गौहत्या बंदी कानून बनाने की माँग को लेकर 10-12 लाख गौ-भक्त नर-नारी, साधु-संत, बूढ़े, बच्चे आदि ने प्रदर्शन किया जिनके ऊपर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रदर्शन खत्म कराने के लिए निहत्थे अहिंसक गौ-भक्तों, प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें अनेकों साधुओं व गौ-भक्तों की हत्याएँ हुईं । विधि का विधान देखिये गोपाष्टमी के दिन इन्दिरा गांधी को 31 अक्टूबर 1984 को गोलियों से भून दिया गया । अष्टमी के दिन संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मृत्यु व अष्टमी के दिन ही 21 मई 1991 को कोयम्बटूर में राजीव गांधी को मानव बम से उड़ा दिया गया …।
Related Artical:- संतों पर अत्याचार- 1
आध्यात्मिक क्रांति के प्रणेता संत आसारामजी बापू सनातन धर्म के सजग प्रहरी हैं । शिकागो धर्म संसद में आपने भारत का प्रतिनिधित्व किया था । मुम्बई में सभी 13 अखाड़ों के संतों ने मिलकर आपको धर्मरक्षा मंच का अध्यक्ष बनाया था । बापूजी ने समाज को अनैतिकता की ओर ले जाने वाले ‘वेलेंटाइन-डे’ के स्थान पर पूरे विश्व में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना आरम्भ करवाया । निर्धनों के लिए घरों का निर्माण कार्य किया । सतत अन्न-वस्त्र आदि के द्वारा बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद करते रहे । गौ-संवर्धन हेतु अनेकों गौशालायें बनवायीं । संस्कार धरोहर को सुरक्षित रखने हेतु अनेकों गुरुकुलों की स्थापना की ।
17,000 से अधिक निःशुल्क ‘बाल सस्ंकार केन्द्र’ भी चलाये जा रहे हैं । 1,300 श्री योग वेदांत सेवा समितियाँ समाज उत्थान के विविध सेवाकार्यों में संलग्न हैं । 400 से अधिक आश्रम हैं । बापूजी के साधकों की संख्या 5 करोड़ से भी अधिक बतायी जाती है । पिछले 50 वर्षों से उन्होंने करोड़ों लोगों को जीवन जीने की सही राह दिखाई है । उनके अनुयायी विश्व के कोने-कोने में फैले हुए हैें और भक्तों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही थी। हिन्दुओं का ईसाईकरण करने के विरुद्ध जागृति लाकर उन्होंने हिन्दुआें के धर्म परिवर्तन को रोका ।
पिछले कई वर्षों से सोनिया सरकार, ईसाई मिशनरियों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बिकाऊ मीडिया और असामाजिक तत्त्वों के निशाने पर संत आसारामजी बापू थे । वेटिक न पोप और सोनिया-राहुल के इशारे पर कांग्रेसी नेताओं तथा वकीलों ने शाहजहाँपुर (उ.प्र.) की लड़की व उसके पिता को तैयार कर उन पर यौन शोषण के झूठे आरोप लगवाये ।
75 वर्षीय निर्दोष संत को 31 अगस्त 2013 अर्धरात्रि को धोखे से गिरफ्तार कर जोधपुर जेल में डाल दिया गया । जोधपुर शहर में बापूजी के प्रेमी भक्तों के प्रवेश पर सरकार द्वारा रोक लगा दी गई । आ रहे भक्तों को पुलिस ने बुरी तरह मारा-पीटा। जेल में बापूजी को तरह-तरह से हैरान व परेशान किया जा रहा है । उन्हें आवश्यक आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई महीने तक मुहैया नहीं करायी गई। बापूजी के बारे में मीडिया ने कई महीनों से लगातार कई-कई घंटे झूठी मनगढ़न्त कहानियाँ दिखायीं व समाज को गुमराह करने का अपराध किया ।
समाज उत्थान में रत बापूजी के सुपुत्र श्री नारायण साँईं को भी एक झूठे मामले में फँसाकर सूरत जेल में डाल दिया गया है । बापूजी के आश्रमों के संचालकों एवं साधकों को झूठे केसों में फँसाया जा रहा है। जंतर-मंतर में शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले भक्तों पर पुलिस ने अमानवीय तरीके से लाठी प्रहार किया । पुरुष पुलिस द्वारा महिलाओं के वस्त्र फाड़ डाले गये । पुलिस द्वारा आश्रम में रहने वाले अंतेवासियों को प्रताड़ित किया गया । बापूजी की धर्मपत्नी श्रीमती लक्ष्मीदेवी तथा उनकी सुपुत्री भारतीदेवी पर भी घिनौने आरोप लगाये गये। यह सब अंतर्राष्ट्रीय साजिश के तहत हो रहा है । निर्दोश संत पर आरोप लगाने वाली महीला ने कबूल किया कि हमने दबाव में आकर वलात्कार के झूठे आरोप लगाये ।
अवश्य पढेंः- संतों पर अत्याचार क्यों ?
मथुरा के बाबा जयगुरुदेव धर्म प्रचार में सतत लगे रहे और उन्होंने समाज को शाकाहारी बनने की प्रेरणा जोर-शोर से दी । इन्दिरा सरकार ने 1973-74 में नसबंदी का अभियान चलाया व अनेक अत्याचार जनता पर किये तो बाबा ने सरकार के खिलाफ आवाज उठायी। जून 1975 से मार्च 1977 तक 21 माह बाबा को इंदिरा गांधी सरकार ने बिना कारण बताये अलग-अलग 4 जेलों में रखा ।
जेल में उन्हें हथकड़ी और बेड़ी के साथ तन्हाई में कठोर यातनायें दी गईं । 20-20 घंटे तक कोठरी में ताला लगा कर बंद रखते थे। रोटी कच्ची व दाल अधपकी देते थे। बीमार होने पर दवाई भी नहीं देते थे । उस समय बाबा की संस्था ‘जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संघ’ पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया ।
तिहाड़ जेल में उच्च अधिकारियों ने बाबा को कहा कि आप चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर दीजिये तो आप को कुछ ही घंटों में छोड दिया जायेगा । प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से सुलह कर लीजिये, उनकी प्रशंसा कर दीजिये । बाबा ने कहा कि मैंने तो कोई गुनाह नहीं किया है तो फिर कैसी सुलह कर लूँ । इन्दिरा की बर्बर सरकार ने उनके 14,000 प्रेमी भक्तों को जेलों में ठूंस दिया । बाद में पुलिसवाले मार-पीटकर भक्तों को जंगलों में छोड़ आते थे । वे मार खाकर भी फिर वही आवाज लगाते कि हमारे बाबाजी को छोड़ो वर्ना हमको भी जेल दे दो । भक्तों द्वारा किये गये जेल भरो आंदोलन के बाद बाबा जयगुरुदेव को रिहा किया गया ।
(30) ‘भक्ति निकेतन आश्रम’ आंणद (गुज.) के सच्चिदानंदजी महाराज को हत्या के आरोप में प्रताड़ित किया गया । साढ़े सात साल बाद अदालत ने उन्हें 30 जनवरी 2014 को निर्दोष बरी किया ।
अधिक जानकारी के लिएः हिन्दुओं को मिटाने का नियोजनबद्ध षड्यंत्र
0 Comments