14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ वह आजादी नहीं थी बल्कि Satta Hastantaran ki Sandhi का समझौता हुआ था । माउन्टबेटन और मुसलमान नेहरू के साथ । यह सब बारीकी से यहाँ समझेगें ।
Satta Hastantaran ki Sandhi | Transfer of Power Agreement
14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ वह आजादी नहीं थी बल्कि सत्ता हस्तांतरण (Transfer of Power) का समझौता हुआ था । रात को 12 बजे लार्ड माउन्टबेटन ने अपनी सत्ता काले अंग्रेज मुसलमान नेहरू के हाथ में सौंपी थी और हम भारतवासियों ने मान लिया कि स्वराज्य आ गया ।
अंग्रेज कहते थे कि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज्य तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो और जब जरूरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे ।
ये अंग्रेजों की कूटनीति की interpretation (व्याख्या) थी और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया । इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो डोमीनियन राज्य (Dominion States) बनाये गए। अर्थात एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ हैं और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है ।
डोमीनियन राज्य और स्वतंत्र राज्य (Independent Nation) में जमीन आसमान का अंतर होता है । यह जो तथाकथित आजादी आयी, इसका कानूनअंग्रेजों की संसद में बनाया गया । Related Artical- भारत का कौनसा राज्य अंगेजों का गुलाम नहीं
Satta Hastantaran ki Sandhi की दुर्भाग्यपूर्ण शर्तें
1) भारत ब्रिटेन का उपनिवेश :
सत्ता हस्तांतरण की संधि (Satta Hastantaran ki Sandhi) की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं । ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है। कॉमनवेल्थ (Common wealth Nations) में 71 देश हैं । भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की महारानी को भारत में पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है ।
2) भारत नहीं इंडिया- Satta Hastantaran ki Sandhi :
भारत का नाम इंडिया (INDIA)) रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा । सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा । हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है । संविधान की प्रस्तावना में ये लिखा गया है “India that is Bharat’ .
3) वन्देमातरम पर रोक :
भारत की संसद में वन्दे मातरम नहीं गाया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक । 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार संसद में वन्देमातरम गाया गया ।
4) क्राँतिकारियों को आतंकवादी :
सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था । यही वजह रही कि सुभाष चन्द्र बोस लापता रहे । भारत का एक महान क्रांतिकारी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया ।
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खाँ, रामप्रसाद बिस्मिल आदि जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है । यह भी पढें- व्यवस्था परिवर्तन कैसे
5) अत्याचारी अंग्रेज का यशोगान- Satta Hastantaran ki Sandhi :
भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे ‘व्हीलर बुक स्टोर’वह इसी संधि की शर्तो के अनुसार है । यह व्हीलर कौन था ? सबसे बडा अत्याचारी व्हीलर ने इस देश की हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार करवाया व किया । इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थीं ।
1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठूर में व्हीलर और नील नामक दो अंगे्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था । इसी व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी । भारत आजाद हुआ तो ये खत्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है ।
6) अभी तक अंग्रेजों के कानून चालूः
अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेंगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो , नहीं बदला जायेगा । इसलिए आज भी इस देश में 34,735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था ।
इंडियन पोलिस एक्ट (Indian Police Act), इंडियन सिटीजनसिप एक्ट (Indian Citizenship Act), इंडियन पेनल कोड (Indian Penal Code) आदि आइरलैंड़ (Ireland) में भी IPC चलता है और आइरलैंड़ में जहाँ “I” का मतलब आइरिस (Irish) है वही भारत के IPC में “I” का मतलब इंडिया है बाकी सब के सब कंटेंट एक ही है, अल्पविराम और पूर्ण विराम का भी अंतर नहीं है इंडियन एजुकेशन एक्ट (Indian Education Act), क्रिमिनल प्रोसेसिंग एक्ट (Criminal Procedure Act) एंव इंडियन इन्कमटैक्स एक्ट (Indian Income Tax Act) इत्यादि सब के सब अंग्रेजों के समय वाले कानून चल रहे हैं ।
7) अंग्रेजी नाम कायम :
इस Satta Hastantaran ki Sandhi के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगें । शहर व सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे । आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं ।
8) विदेशी कम्पनियाँ जस की तस :
इस संधि में यह भी है कि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जायेगी भारत से लेकिन बाकी 126 विदेशी कंपनियां भारत में ही रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी ।
9) अंग्रेजी भाषा को प्रोत्साहन :
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसा ही रहेगा भारत में जैसा कि अभी (1946 में) है । कार्यालय, संसद, न्यायपालिका आदि में हर कहीं अंग्रेजी ही अंग्रेजी है जब कि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है ।
हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है । अंग्रेजों ने हमारे यहाँ अंगे्रजी शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म की शिक्षा व्यवस्था रखी है । हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है । यह जो 30 अंक मेें उत्तीर्ण आप देखते हैं वह इसी गलत शिक्षा व्यवस्था की देन है । ऐसे शिक्षा तंत्र से सिर्फ बेवकूफ (मूर्ख) ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे ।
इस Satta Hastantaran ki Sandhi के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा । भारत देश की समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था । गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण, उपनिषद ही समझते हैं जो कि हमारी मूर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वह सब के सब उच्चस्तरीय शिक्षा संस्थान (Higher Learning Institute ) हुआ करते थे । Related Artical- विकास का आतंक
11) कत्लखाने चालू-Satta Hastantaran ki Sandhi:
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था । अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार सन 1960 में रावर्ट क्लाइव द्वारा कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू करवाया । पहला शराबखाना, पहला वेश्यालय शुरू किया गया और इस देश में जहाँ-जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां यह सब के सब खोले गये ।
ऐसे पूरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों की । यह सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं । अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्यों कि यह सब भी इसी संधि में हैं ।
इस Satta Hastantaran ki Sandhi की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में खत्म हो जाये यह साजिश की गयी । आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए । दुनियाँ में जितने भी पैथी हैं उनमें यह होता है कि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमें कहा जाता है कि आप बीमार ही मत पड़िये । आयुर्वेद को आज हमारी सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है । यह भी पढें- सबसे बड़ी गुप्त बात
13) भारत में ब्रिटिश संसदीय प्रणाली :
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है । यह अंग्रेजों की इंग्लैंड की संसदीय प्रणाली है यह कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है लेकिन इस देश में वही प्रणाली है क्योंकि वो इस संधि में लिखा गया है । इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे । Related Artical- व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत
14) आज भी भारत ब्रिटिश का गुलाम :
15 अगस्त 1947 को हमारी आजादी की बात कही जाती है वो झूठ है और कामनवेल्थ नेशन में हमारी एंट्री जो है वो एक डोमेन स्टेट के रूप में है न कि स्वत्रंत्र राज्य के रुप मेेंं । हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है । एक शब्द आप सुनते होंगे ‘हाई कमीशन’, (High Commission) ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दूसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे एम्बसी (Embassy) नहीं कहा जाता । यह भी पढें- शासक हुआ शैतान
Satta Hastantaran ki Sandhi का अध्ययन जरुरीः
ऐसी अनेकों शर्तें है जिसका अध्ययन करना जरुरी है । इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वह सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है भारत की गुलामी जो अंग्रेजों के जमाने में थी, अंग्रेजों के जाने के बाद आज भी जस की तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और इस देश को इन खतरनाक संधियों के मकड़जाल में फंसा रखा है । Related Artical- बैंकों का असली राज
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