डीसा में बच्चे आपको ‘सुगंध बाबा’ भी कहते थे । एक वार आप अहमदावाद की कुटिया में लगाया संकल्प का अदृश्य ताला आदि Asaramji Aisa kyon Kiye
Asaramji Aisa kyon Kiye | Why did Asaramji do this ?
उस समय की बात है जब आप डीसा (गुज.) में अपने सद्गुरुदेव साँईं लीलाशाहजी के छोटे-से आश्रम में अकेले रहकर साधना करते थे । आपके पास बच्चे खेलते-खेलते आते थे तो आप भी बच्चों से विनोद करते थे । विनोद-विनोद में ही आप बच्चों से पूछते : ‘‘किसको कौन-सी सुगंध चाहिए ?’’ जो बच्चा जैसी सुगंध माँगता था, आप केवल उसके हाथ पर अपनी उँगली घुमा देते और उसको मुँहमाँगी सुगंध आने लग जाती थी इसलिए बच्चे आपको ‘सुगंध बाबा’ भी कहते थे ।
डीसा की ही बात है । एक दिन आप शाम को नदी की तरफ टहलने निकले थे कि रास्ते में मरी हुई गाय देख आप करुणावान हुए और गाय को जिंदा कर दिया । तब से वहाँ आपकी प्रसिद्धि बहुत बढ़ गयी थी । कुछ समय बाद आप डीसा छोड़ दूसरी जगह रहने लगे थे ।
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Asaramji Aisa kyon Kiye- लगाया संकल्प का अदृश्य ताला :
4 दशक पहले की बात है, जब आपके अहमदाबाद आश्रम का विस्तार नहीं हुआ था । एक बार आप अहमदाबाद की ‘मोक्ष कुटिया’ को ताला मार के सत्संग करने चले गये । चोर आये और उन्होंने ताला तोड़ दिया लेकिन आश्चर्य ! उनसे दरवाजा नहीं खुला । होल्डर (कब्जे) में जो लोहे का डंडा होता है, वह चिपका रहा । बाद में उन चोरों ने आपसे माफी माँगते हुए स्वयं सारी बात बतायी और कहने लगे : ‘‘आप तो बड़े चमत्कारी बाबा हैं ।’’
Asaramji Aisa kyon Kiye- लिया दो रूप :
3 दशक पहले की बात है । शाम के समय आपका सत्संग चल रहा था, सबसे आगे बैठे सरदार नगर, अहमदाबाद (गुज.) के मंघनमलजी को अपनी मृतक साली का तीसरा मनाने जाना था लेकिन उन्होंने सत्संग के बीच में उठने का पाप नहीं किया । उनके अंतर्मन में चल रहा था, ‘बापूजी ! क्या करूँ ?’ मन में बड़ी उधेड़-बुन चलने के बाद भी सत्संग सुनते ही रहे । उधर इनकी मृतक साली के घर आप मंघनमल का शरीर धारण कर तीसरा मनाने पहुँच गये और लोगों को सांत्वना दी । मंघनमल जब सत्संग के बाद साली के घर जाकर माफी माँगने लगे, तब उन्हें हकीकत का पता लगा और उनकी आँखों से प्रेम के आँसू बह चले ।
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Asaramji Aisa kyon Kiye- जब चाहे तब बारिश :
राजस्थान के छोटे-से शहर पीपाड़ में 28 व 29 जुलाई 2006 को आपका सत्संग था । यहाँ 3-4 साल से भारी अकाल था । लोगों ने आपसे प्रार्थना की । सत्संग के दौरान उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं से आपने पूछा : ‘‘बरसात चाहिए ?’’ सभीने एक स्वर में हामी भरी और समस्त सत्संग-मंडप में सन्नाटा छा गया । आप मौन हो गये । कुछ ही क्षणों में तेज बारिश शुरू हो गयी व बारिश के इंतजार में स्थानीय लोगों के मुरझाये हुए चेहरों पर खुशी छा गयी । तेज बरसात देखकर लोग चकित हो के नाचने लगे ।
टाल पर बाल :
हिसार (हरि.) में एक 14-15 साल का बच्चा गंजा हो गया था । उसने एम्स आदि जगहों पर इलाज कराया पर निराशा हाथ लगी । आपके श्रीचरणों में बड़ी श्रद्धा से उसने इस बात को निवेदित किया । आपने कहा : ‘‘तू रोज ‘टाल रे टाल, आ जा बाल…’ कहते हुए सिर पर हाथ घुमाया कर ।’’ लड़का पूर्ण श्रद्धा के साथ लग गया और कुछ ही महीनों में टाल पर बाल आ गये । दोेबारा मिलने पर लड़के ने आपश्री से पूछा : ‘‘दूसरे लोग भी मंत्र माँग रहे हैं, दे दूँ क्या ?’’ आपने कहा : ‘‘वह कोई बाल आने का मंत्र नहीं है । तेरी पुकार थी तो गुरु के शुद्ध अंतःकरण से निकल गया ।’’
मन्नत पूर्ण हो जाती है :
संत आसारामजी ने दर्जनों वटवृक्ष व कुटियाओं पर शक्तिपात किया है, जिनकी परिक्रमा कर मन्नत मानने से वह पूर्ण हो जाती है । आपके प्रसाद से हजारों निःसंतानों को संतानें हुई हैं । घर, दुकान या कहीं पर भी आपके श्रीचित्र की स्थापना करने से भूत-प्रेत, टोना-टोटका, कलह, अशांति आदि दूर हो जाते हैं । आपके शक्तिपात से लाखों लोगों की कुंडलिनी शक्ति जागृत हुई, रोग मिटे और साधना में उन्नति हुई । करोडों शिष्यों की यह अनुभूति है कि आप योगशक्ति के धनी हैं एवं भक्तों के काज सँवारते हैं ।
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