MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस I Parents worship Valentine’s Day के विषय पर महानुभाओं के विचार पढने को मिलेगें । आप भी अपने विचार इस विषय पर कमेंट बाक्स में लिख सकते हैं।
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृ-पितृ पूजन दिवस’ पर आसाराम बापू
कोई ईसाई नहीं चाहता कि ‘मेरी कन्या लोफरों की भोग्या हो जाय ।’ कोई मुसलमान नहीं चाहता, ‘मेरी कन्या हवसखोरों की शिकार हो जाय’ और हिन्दू तो कैसे चाहेगा ! ‘गंदगी से लड़ो नहीं, अच्छाई रख दो ।’ इसलिए मैंने विचार रखा कि ‘वेलेंटाइन डे’ के विरोध की अपेक्षा 14 फरवरी के दिन गणेशजी की स्मृति करो और ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाओ । कई मेरे ईसाई भक्त भी सहमत हैं, मुसलमान भी कर रहे हैैं । विश्व चाहता है, सभी चाहते हैं – स्वस्थ, सुखी, सम्मानित जीवन । बुद्धि में भगवान का प्रकाश हो, मन में प्रभु का प्रेम, मानवता का प्रेम हो, इन्द्रियों में संयम हो, बस हो गया ! आपका जीवन धनभागी हो जायेगा । वेलेंटाइन डे के निमित्त करोड़ों-करोड़ों की शराब बिकती है । हजारों-हजारों आत्महत्याएँ होती हैं और हजारों लड़के-लड़कियाँ वेलेंटाइन डे के दिन भाग जाते हैं । संतों को भारत के लाल-लालियाँ तो अपने लगते हैं, विश्व के युवक-युवतियाँ भी अपने ही लगते हैं । पूरे विश्व के युवक-युवतियों की रक्षा हो, यही वैदिक संस्कृति है । ‘वेलेंटाइन डे’ के नाम पर शराब पीना, आत्महत्या करना इसके आँकड़े सुनते हैं तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस
♦ संत श्री देवकीनंदन ठाकुर : बापूजी के यहाँ से जो ज्योति जगायी जा रही है कि ‘वेलेंटाईन डे’ के स्थान पर हम लोग ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनायें तो यह एक महाकुम्भ बनकर हमारे घर में हमेशा-हमेशा के लिए विराजमान हो जायेगा ।
♦ महामंडलेश्वर डॉ. रामविलास वेदांतीजी : आज हमारी संस्कृति की रक्षा करने के लिए ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव ।’ की परम्परा, जिसको आशारामजी बापू ने प्रारम्भ किया है, भारत के गाँव-गाँव में, घर-घर में होनी चाहिए ।
♦ विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक एवं पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल : सच में बापूजी का ही सामर्थ्य है कि हमारे इस देश की संस्कृति की रक्षा के लिए इतनी बड़ी पश्चिमी संस्कृति के साथ वे सीधा-सीधा संघर्ष कर रहे हैं और उन्होंने जो रास्ता अपनाया है, वास्तव में वही सही रास्ता है ।
♦ वेलेंटाइन डे मनाना माने कुल का नाश, मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना माने कुल का उद्धार ! -श्री धनंजय देसाई, संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंदू राष्ट्र सेना
♦ 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का आपका संकल्प अनुकरणीय है। वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए आपकी संस्था सदैव सहयोगी बनी रहे ऐसी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। – श्री भूपेन्द्र पटेल, मुख्यमंत्री, गुजरात
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♦ मातृ-पितृ पूजन का अर्थ ही है श्रेष्ठता का अर्जन । यह सुखद है कि इस संबंध में दिवस मनाने की पहल आपने की है। मातृ-पितृ पूजन दिवस के आयोजन के लिए मेरी स्वस्तिकामना है। – श्री कलराज मिश्र, राज्यपाल, राजस्थान
♦ संस्कार धरोहर का संरक्षण-संवर्धन करने हेतु पूरा छत्तीसगढ़ 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनायेगा । इस दिन विद्यालय-महाविद्यालयों के शिक्षक एवं प्राध्यापक विद्यार्थियों के माता-पिता को आमंत्रित करें और सामूहिक रूप से मातृ-पितृ पूजन दिवस मनायें ।- डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
♦ आपके तत्त्वावधान में हर वर्ष 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाना इस बात की पहचान है कि हम अपनी परम्पराओं को जीवंत रखना चाहते हैं। संस्थान द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन निश्चित तौर पर युवा पीढ़ी को बड़े-बुजुर्गों के प्रति सम्मान के भाव रखने में अपनी अहम भूमिका निभायेगा । मैं आपके प्रयासों की सराहना करता हूँ और ढेर सारी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ । – श्री हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड
♦ ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का अभूतपूर्व कार्यक्रम देश के करोड़ों विद्यार्थियों का ओज, तेज व आत्मबल बढ़ाने व उनकी चहुँमुखी उन्नति करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। – श्री कप्तानसिंह सोलंकी, राज्यपाल, हरियाणा
♦ परम पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा ‘मातृ-पितृ-आचार्यदेवो भव ।’ के वैदिक सिद्धांत के अनुसार विश्वभर में मातृ-पितृ पूजन की यह जो पहल की गयी है, उससे बच्चों का माता-पिता व गुरुजनों के प्रति आदरभाव बढ़ेगा तथा समाज में नवचेतना का संचार होगा । – श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मुख्यमंत्री, हरियाणा
♦ ‘मातृ-पितृ पूजन’ अभियान से बहुत ही अच्छा संदेश जायेगा । यह बच्चों के लिए एक अच्छा संस्कार और एक अच्छी परम्परा है ।’’- श्री राजनाथ सिंह, निवर्तमान केन्द्रीय गृहमंत्री, वर्तमान रक्षामंत्री भारत सरकार
♦ वर्तमान परिवेश में मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन करना एक सराहनीय कदम है । – श्री हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री, झारखंड
♦ विद्यार्थियों व युवाओं को संयमी, सदाचारी व सुसंस्कारी बनाने के उद्देश्य से आपकी संस्था द्वारा हर वर्ष 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाया जाता है । इस दिवस के सफल आयोजन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ! – श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री, हि.प्र.
♦ ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ कार्यक्रम माता-पिता और गुरुजनों के प्रति आदरभाव दृढ़ करने और उनकी सेवा करने की दृष्टि से समाज के लिए प्रेरणादायक होगा । – श्री अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
♦ भारतीय संस्कृति अति प्राचीन है तथा अपनी समृद्ध परम्पराओं के लिए पूरे विश्व में विख्यात है । इस परम्परा को जीवंत रखने में ‘मातृ-पितृ पूजन’ पुस्तक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहेगा ।- श्रीमती उर्मिला सिंह, राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश
♦ आप पिछले 16 वर्षों से 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाते आ रहे हैं । भारतीय संस्कृति व परम्पराओं को संरक्षित करने की यह अनूठी व शानदार पहल निश्चित रूप से हमारे समाज और युवाओं में उच्च नैतिक मूल्यों का संचार करेगी और भारत को शीघ्र विश्वगुरु बनने में मदद करेगी । – श्री गंगा प्रसाद, राज्यपाल, सिक्किम
♦ ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ बच्चों में माता-पिता के प्रति आदरभाव जगाने, उन्हें संयमी, सच्चरित्रवान बनाने और सुसंस्कारित करने का सार्थक उपक्रम है । – श्री मंगुभाई पटेल, राज्यपाल, म.प्र.
♦ मुझे प्रसन्नता है कि पिछले 16 वर्षों से आपकी संस्था ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का आयोजन कर रही है, जो निश्चित तौर पर राष्ट्र-निर्माण की दिशा में सकारात्मक पहल है । आपका यह प्रयास भावी पीढ़ी में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देकर सुसंस्कृत समाज के निर्माण में कारगर सिद्ध होगा । – श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, हि.प्र.
♦ मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम से बच्चों और युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन होगा । मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएँ । – सुश्री अनुसुईया उइके, राज्यपाल, छ.ग.
♦ डॉ. सूर्यनारायण पात्र, विधानसभा अध्यक्ष, ओड़िशा- मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का नेक प्रयास सराहनीय है । मैं इस उत्सव की पूर्ण सफलता की कामना करता हूँ ।
♦ श्री दिलाराम चौहान, महासचिव, हिमाचल शिक्षा समिति- प्रतिवर्ष फरवरी में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का आयोजन किया जाता है । हिमाचल शिक्षा समिति इसे प्रदेश में हमारे द्वारा संचालित सभी सरस्वती विद्या मंदिरों में आयोजित करने की अनुमति प्रदान करती है ।
♦ मुझे पूरा विश्वास है कि मातृ-पितृ पूजन दिवस जैसे अभियान हमारी युवा पीढ़ी में अपने माता-पिता का सम्मान करने के सकारात्मक मनोभावों का निर्माण करते हैं । – श्री जगदीप धनखर, राज्यपाल, प. बंगाल
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस
♦ ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव ।’ इस भावना से हमारी नयी पीढ़ी का निर्माण हो और उसीके अनुसार उनका चाल-चलन, व्यवहार, जीवन रहे, इस उदात्त भावना से बापूजी ने यह कार्य अपने हाथ में लिया है । मैं बापूजी और सभी संतों को इतना ही विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि देश, भारतीय संस्कृति, विरासत व धर्म के लिए आपने जो यह महान कार्य हाथ में लिया है, हम पूरी शक्ति के साथ आपके साथ रहेंगे और इस कार्य को आखिर तक पहुँचायेंगे । – श्री नितीन गडकरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भा.ज.पा.
♦ श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात राज्य मंत्री, भारत सरकार- मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का जिन्होंने अवसर दिया है उन गुरुजनों को मैं प्रणाम करता हूँ ।
♦ श्री रमेश बिधूड़ी, सांसद, दक्षिण दिल्ली- बापूजी के अनुयायियों द्वारा माता-पिता पूजन का दिन मनाया जाता है, यह हम सबका सौभाग्य है । इससे सभीको उचित प्रेरणा मिल रही है । इसमें सभी जुड़ें ।
♦ अपनी भारतीय संस्कृति के ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव ।’ इन संस्कारों को विद्यालयों-महाविद्यालयों में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रमों के माध्यम से जीवंत रखने के आपके प्रयास द्वारा भावी पीढ़ी को सुसंस्कारी बनानेवाले इस सुंदर अभियान की सफलता के लिए शुभेच्छासहित अभिनंदन । – श्री नीतिन पटेल, उपमुख्यमंत्री, गुजरात
♦ मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का नेक प्रयास सराहनीय है । मैं इस उत्सव और मातृ-पितृ पूजन की पुस्तिका के प्रकाशन की पूर्ण सफलता की कामना करता हूँ । – डॉ. श्री सूर्यनारायण पात्र, विधानसभा अध्यक्ष, ओड़िशा
♦ गोभक्त संत श्री कालिदासजी- परमात्मा कौन हैं हमारे ? 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ की घोषणा करनेवाले हमारे परम आदरणीय, वंदनीय संत आशारामजी बापू हैं । धर्म के आधारस्तम्भ को बनाया है आशारामजी बापू ने ।
♦ आपकी संस्था द्वारा विश्व-स्तर पर पिछले 16 वर्षों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इससे ’मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव ।’ की भावना जागृत हो रही है। इसके लिए मैं पूरे संस्थान को बधाई देती हूँ। – श्रीमती रेणुका सिंह, केन्द्रीय राज्यमंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय
♦ धर्म एवं संस्कार हमारे देश का मेरुदंड है । 14 फरवरी को अपने माँ-बाप की पूजा-अर्चना करके हमें इस दिन को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाना है । संस्कार-संस्कृति के समन्वय का मूलमंत्र माता-पिता के आशीर्वाद में है, जिसका सम्मान करते हुए हमने 14 फरवरी ‘विश्व प्रेम दिवस’ को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ।- बृजमोहन अग्रवाल, शिक्षामंत्री, छत्तीसगढ़
♦ श्री सत्यपाल जैन, पूर्व सांसद व एडिशनल सॉलिसिटर जनरलः आज वेलेंटाइन डे के नाम पर बहुत सारी (गलत) चीजें होती हैं लेकिन संत आशारामजी बापू ने सारी दुनिया को एक नया रास्ता दिखाया है । संत आशारामजी बापू को भगवान बहुत लम्बी आयु दें, बहुत लम्बे अरसे तक वे हमारा, समाज का, देश का नेतृत्व करते रहें और ऐसे कार्यक्रम हमें प्रेरणा दे के करवाते रहें ताकि भारत भारत रहे, हिन्दुस्तान रहे, इंडिया न बने ।
♦ आज के समय में बाल एवं युवा वर्ग पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होकर असंयमी, अधीर, कुंठा व निराशा से ग्रस्त होते जा रहे हैं । ऐसी परिस्थिति में जन-जन को जीवनदायिनी तुलसी माता की महिमा व उपयोगिता बताने एवं बच्चों में माता-पिता के प्रति आदरभाव जगाने तथा उन्हें संयमी व चरित्रवान बनाने के उद्देश्य से पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ एवं 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है – यह अत्यंत हर्ष की बात है । – श्री रमेश मोदी, केन्द्रीय मुख्य कोषाध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस
♦ महंत श्री वासुदेवानंद गिरिजी : वेलेंटाइन डे की जरूरत नहीं है । संत श्री आशारामजी बापू ने जो मार्ग दिखाया है, उसके अनुसार हर युवा को, बालक को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना चाहिए, जिससे उसके जीवन का विकास हो ।
♦ डॉ. नीरा यादव, स्कूली शिक्षा एवं उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री, झारखंड : मातृ-पितृ पूजन दिवस युवाओं को संयमी, चरित्रवान बनाने में सहायक होगा ।
♦ डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, स्कूल शिक्षा व सहकारिता मंत्री, छत्तीसगढ़ : 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने से बच्चों व युवाओं में ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव ।’ की भावना जागृत होगी ।
♦ श्री टी.एस. सिंहदेवजी, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़ : इस पर्व का स्वागत है । बिना माता-पिता के तो मानवता ही नहीं है, समाज ही नहीं है ।
♦ श्री दिलाराम चौहान, महासचिव, हिमाचल शिक्षा समिति : हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा संचालित सभी सरस्वती विद्या मंदिरों में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जायेगा ।
♦ ‘‘भारतीय संस्कृति को बचाये रखने के लिए ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ जैसे आयोजन बेहद अहम हैं ।’’ – श्री विपुल गोयल, पर्यावरण, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री (हरि.)
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आसाराम बापू की विचारधारा क्या हैं ?
♦ ‘‘माता-पिता का सम्मान हर स्तर पर होना चाहिए, स्कूल ही क्यों, हर घर में, हर क्षेत्र, हर वर्ग में होना चाहिए ।’’- श्री विश्वास सारंग, ग्रामीण विकास एवं सहकारिता मंत्री (म.प्र.)
♦ मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि देश की भावी पीढ़ी को ओजस्वी-तेजस्वी बनाने तथा हमारी वैदिक परम्पराओं के पुनरुत्थान हेतु संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से पिछले कई वर्षों से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ तथा 16 वर्षों से 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने का अभियान चलाया जा रहा है । यह एक क्रांतिकारी पहल है । इस क्रांतिकारी पहल के प्रणेता के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ । – श्री जितेन्द्र उदय मुदलियार, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग
♦ महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरिजी महाराज : वर्तमान युग में सनातन धर्म की परम्परा को, सनातन धर्म की ध्वजा को जिन्होंने अपने कंधे पर उठा के चलने का संकल्प लिया है, वे हैं परम श्रद्धेय संत श्री आशारामजी बापू ।
♦ ‘रामायण’ धारावाहिक के माध्यम से भगवान श्रीराम को हमारी आँखों के सामने साकार करनेवाले श्री अरुण गोविलजी : पूज्य बापूजी ने 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन’ का दिन घोषित किया, यह बहुत ही सुंदर प्रयास है, जो आज हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है ।
♦ श्री रमेश शिंदेजी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, ‘हिन्दू जनजागृति समिति’- जिसमें व्यभिचार होता था उस ‘वेलेंटाइन डे’ को बदलकर बापूजी ने ‘मातृ-पितृ पूजन दिन’ बनाया है ।
♦ श्री मुकेश खन्ना ‘महाभारत’ धारावाहिक के भीष्म पितामह तथा ‘शक्तिमान’ धारावाहिक के शक्तिमानः बापूजी ने कहा है कि वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाइये । मुझे तो शुरू से ही यह हैरानी है कि इस वेलेंटाइन डे का हमारे देश में क्या काम है ? वेलेंटाइन डे हमारी परम्परा नहीं है । मैं हर बच्चे को कहना चाहूँगा कि 14 फरवरी के दिन ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का अनुसरण कीजिये और धीरे-धीरे वेलेंटाइन डे को विदा कर दीजिये ।
♦ जगद्गुरु श्री पंचानंद गिरिजी जूना अखाड़ा- आशारामजी बापू ने माता-पिता के पूजन का जो रास्ता निकाला, इससे उन्होंने हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर को बचाया है और इस अभियान को पूरे विश्व में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हो रही है । लेकिन पश्चिमी सभ्यता का प्रचार-प्रसार और धर्म-परिवर्तन करनेवाले लोगों को यह बात हजम नहीं हुई । नतीजन आज पूरा संसार जान रहा है कि बापूजी को कितनी पीड़ा इन कार्यों के लिए अपने शरीर पर लेनी पड़ रही है ।
♦ हमारी गौरवशाली परम्पराओं तथा संस्कार एवं संस्कृति के समन्वय का मूलमंत्र माता-पिता के आशीर्वाद में निहित है, जिसका सम्मान करते हुए हम विगत वर्ष से 14 फरवरी ‘विश्व प्रेम दिवस’ को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाते आ रहे हैं । – केदार कश्यप मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन
♦ श्री कैलाश विजयवर्गीय,नगरीय एवं आवास मंत्री, म.प्र.- समाज को मजबूत करने का काम संतों की प्रेरणा से ही सम्भव है और परम पूज्यपाद संत आशारामजी महाराज ने जो वेलेंटाइन डे को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ उत्सव के रूप में मनवाया है, मैं इसका समर्थन और प्रशंसा करता हूँ कि यह एक बहुत अच्छे तरीके से उन्होंने परिवार में एक आंदोलन स्थापित किया है ।
♦ ‘श्रीराम सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रमोद मुतालिकजी : हिन्दू संस्कृति, हिन्दू समाज, हिन्दू संत-सम्प्रदाय को बचाने के लिए एक श्रेष्ठ मार्गदर्शन देनेवाले योगी पूज्य बापूजी को प्रणाम ! जो अनाचार, अत्याचार, आत्महत्या दे ऐसा वेलेंटाइन डे हमें नहीं चाहिए, हमें माता-पिता का पूजन चाहिए । ‘वेलेंटाइन डे नहीं, माता-पिता पूजन चाहिए ।’ यह एक श्रेष्ठ मार्गदर्शन जो बापूजी दे रहे हैं, इसको ही हम आगे लेकर जायेंगे ।
♦ सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय पत्रिका ‘हिन्दू वॉईस’ के सम्पादक श्री पी. दैवमुत्थुजी : परम पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा वेलेंटाइन डे को ‘माता-पिता पूजन दिन’ के रूप में मनाना सराहनीय कार्य है । वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति के खिलाफ है ।
♦ श्री बृजमोहन अग्रवाल, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन व लोक निर्माण विभाग मंत्री, छ.ग. : यह हमारा बड़ा सौभाग्य रहा कि वर्ष 2012 में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ को ‘राज्यस्तरीय पर्व’ के रूप में मनाने का सुअवसर हमें मिला ।
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस
♦ पूज्य बापूजी ने पूरे विश्व में मातृ-पितृ पूजन का जो आह्वान किया है, वह देश के करोड़ों बच्चों का ओज-तेज व आत्मबल बढ़ाने में व उनकी चहुँमुखी उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा । – श्री पवन कुमार बंसल, केन्द्रीय रेलमंत्री
♦ निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामीजी महाराज : आज धर्म का मार्ग पाश्चात्य संस्कृति मिटा रही है, उनका एक ही उद्देश्य है कि कैसे भारत के युवा तबाह हो जायें । हम सरकार से प्रार्थना कर रहे हैं कि ‘वेलेंटाइन डे’ बंद करे । यह पूरा संत-समाज एवं सभी संगठन पूज्य आशारामजी बापू के साथ हैं । जब ये आदेश देंगे, हम इस देश को बदल देंगे ।
♦ अंतर्राष्टोीय भागवत कथाकार श्री चिन्मय बापू महाराज : हमें ‘वेलेंटाइन डे’ नहीं मनाना है, यह पाश्चात्य सभ्यता है । पूज्य बापूजी ने जो संकल्प लिया है, हम देशवासियों को प्रार्थना करेंगे कि सब एकजुट हो के पूज्य बापूजी के साथ लग जायें । आनेवाले समय में पूज्य बापूजी का यह जो क्रांति का शंखनाद है, वह एक इतिहास बनकर रहेगा ।
♦ जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरीजी महाराज : जब-जब देश पर, हमारी संस्कृति पर आपत्ति आती है तब परमात्मा कोई-न-कोई रूप में आते हैं । परमात्मा का विशेष अंश लेकर बापू आशारामजी आये हैं । आप उनके आदेश को मानें और 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनायें । इस पवित्र अभियान के साथ सारा जूना अखाड़ा भी है ।
♦ जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर डॉ. उमाकांतानंद सरस्वतीजी : हमारी भावी पीढ़ी में संयम और संस्कारों का ह्रास हो रहा है, यह हमारे, बापूजी के तथा समस्त मानवप्रेमियों के हृदय का दर्द है । बापूजी ने ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने का उद्घोष किया है । इस महान कार्य के लिए हम हृदय से उनके आभारी हैं और पूरा साधु-समाज हमेशा, हर कदम पर आपके साथ रहेगा ।
‘विश्व हिन्दू परिषद’ के केन्द्रीय मार्गदर्शक श्री अतुलकृष्णजी महाराज : परम पूज्य प्रातःस्मरणीय बापूजी ‘वेलेंटाइन डे’ को जो ‘विनाश डे’ कहा करते हैं, यह बिल्कुल सत्य है । यह हमारे परिवार, हमारी संस्कृति को तोड़ रहा है ।
महामंडलेश्वर स्वामी श्री यतीन्द्रानंद गिरिजी महाराज, जूना अखाड़ा : एक देश है त्रिनिदाद, वहाँ घरों में भगवान की पूजा करने के बाद माता-पिता को उनके बच्चे आसन पर बैठाते हैं और आरती उतारते हैं । यह संस्कार भारत का है लेकिन उसका अनुपालन भारत के बाहर हो रहा है, भारत में नहीं – यह दुःख की बात है । इसलिए माता-पिता का पूजन करें । 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे नहीं अपनी संस्कृति के अनुसार ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनायें ।
♦ जूना अखाड़ा की श्री महंत साध्वी चन्द्रकांता सरस्वतीजी : इस ‘वेलेंटाइन डे’ की परम्परा को खत्म कर हमें ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना है । ये जो अंग्रेजी परम्पराएँ हमारे देश में पनप रही हैं, हमें उनका समापन करना है और अपनी वैदिक परम्परा को जीवित रखना है ।
♦ सुप्रसिद्ध कथाकार श्री प्रफुलभाई शुक्ला : हमने अवतारों की कथा तो बहुत की है लेकिन अवतार का प्रत्यक्ष दर्शन आज हो रहा है – पूज्य आशारामजी बापू के रूप में । मैं दुनिया के 32 देशों में जहाँ भी गया हूँ, वहाँ पूज्य आशारामजी बापू का नाद सुनाई दिया है, लोग ‘हरि ॐ’ बोलते सुनाई दिये हैं । वेलेंटाइन डे को बदल के भारतीय संस्कृति का ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने की जो प्रेरणा पूज्य बापूजी से मिली है, मैं मानता हूँ कि आगे चलकर हिन्दुस्तान के इतिहास में यह पृष्ठ स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा । भारत के इतिहास में, भारत की संस्कृति में यदि किसीकी माँग, किसीकी याद हुई है तो कोई सत्ताधीश या बादशाह की नहीं, पूज्यपाद संत आशारामजी बापू जैसे संतों की हुई है । पूज्य बापूजी के चरणों में वंदना करके हम संकल्पित होते हैं : ‘हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक, गोवा से गुवाहाटी तक ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ अवश्य मनायेंगे । हम मनायेंगे, आनेवाली अगली पीढ़ी के द्वारा भी मनवायेंगे ।’
♦ आद्यशक्ति काली सिद्धपीठ के महामंडलेश्वर रसानंदजी महाराज, अग्नि अखाड़ा : आप किसी अंग्रेज की संतान नहीं हो जो 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ मनाओगे । आपका वैदिक संस्कृति में जन्म हुआ है तो ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव ।’ की उन्नत भावना रखकर इनका पूजन करना चाहिए । यह परम्परा चलाने के लिए मैं भी पूज्य बापूजी का समर्थन करता हूँ । ‘अखिल भारतीय साधु समाज’ के महामंत्री संत श्री रामचैतन्य बापूजी महाराज : बापू एक माँ हैं । नशे में आदमी जैसा बेहोश होता है उसी तरह हम संसार के नशे में बेहोश हैं और बापू वहाँ से हमें निकाल लेते हैं । राम आज बापू के रूप में आये हैं । कृष्ण आज बापू के रूप में आये हैं । कितना बापू का प्रेम है कि अपने शरीर की होली करके भी सबकी दिवाली कर देते हैं । बापू हमें, हमारे बच्चों को संस्कार देना चाहते हैं । ‘वेलेंटाइन डे’ को बापू ‘मातृ-पितृ पूजन’ का दिवस बनाना चाहते हैं।
♦ ‘अखिल भारतीय संत समिति’ के उपाध्यक्ष श्री परमेश्वरदासजी महाराज : हमारे बापूजी का कहना है कि ‘तुम ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाओ ।’ अतः हम ‘वेलेंटाइन डे’ न मनाते हुए अपने माता-पिता की सेवा करेंगे ।
♦ ‘वारकरी सम्प्रदाय’ के महंत श्री समाधानजी महाराज : समाजरूपी बगिया को गुलशन बनाना हो तो बापूजी की प्रेरणा अनुसार ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाया जाय ।
♦ जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री रामगिरिजी महाराज : प्रातःस्मरणीय, परम पूजनीय, परम श्रद्धेय श्री आशारामजी बापू का जो यह कार्य है, वह स्तुत्य है, सुंदर है और संस्कृति-रक्षा के लिए है । हमें संस्कृतिरक्षार्थ ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ को घर-घर मनाना है ।
♦ ‘सिंधी साधु समाज’ के अध्यक्ष स्वामी श्री बलरामजी महाराज : भारत में यह जो ‘वेलेंटाइन संस्कृति’ आयी है उसके कारण 13 साल की उम्र से ही बच्चों के भीतर काम बढ़ता जा रहा है । इससे 25 साल की आयु तक जब वे शादी करें तब तक कइयों में नपुंसकता भी आ जाती है । ऐसे में बापूजी द्वारा ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने के निर्णय को सब संतों और सभी लोगों को मिलकर आगे बढ़ाना है, ।
♦ ‘यमुना रक्षक दल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयकृष्णदासजी महाराज : भारतवर्ष के इतिहास में बापूजी पूरे देश की संस्कृति बचाने के लिए पहाड़ की तरह खड़े हैं । उनका जो ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ अभियान है, उससे निश्चित रूप से हमारे देश की, सनातन धर्म की संस्कृति बचेगी ।
♦ श्री साँईंजी महाराज : ‘वेलेंटाइन डे’ को मातृ-पितृदेवो भव । की उदात्त भावना से ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ में बदलने के लिए, ईश्वर का धर्म-संदेश देने के लिए श्रीमूर्तिस्वरूप हैं आशाराम बाबाजी ।
♦ डोंगरेजी महाराज के कृपापात्र शिष्य महंत श्री दीपकभाई शास्त्री : ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का दिव्य दर्शन समाज की उन्नति व संस्कृति के उत्थान के लिए हो रहा है ।
♦ सुप्रसिद्ध भागवत कथाकार स्वामी श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज : कितना अच्छा लक्ष्य है पूज्य बापूजी का ! हमारे नौजवान, बहन-बेटियाँ इस गंदगी को न छुएँ जो ‘वेलेंटाइन डे’ के नाम पर प्रचारित है । ‘वेलेंटाइन डे’ तो ‘सत्यानाश डे’ है । बापूजी ने कितनी सुंदर परम्परा चलायी है कि 14 फरवरी को आप लोग अपने माँ-बाप की पूजा करें, सत्कार करें ।
♦ ‘सनातन संस्था’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अभय वर्तक : जरा सोचें कि क्या छत्रपति शिवाजी महाराज ने, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, सरदार वल्लभभाई पटेलजी आदि ने वेलेंटाइन डे मनाया था ? आज हमें इनके जन्म दिन याद नहीं है, हमें वेलेंटाइन डे याद है ! बापूजी के आशीर्वाद से हमें अपने घर से और औरों के भी घर से वेलेंटाइन डे जैसी कुरीतियों को तड़ीपार कर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना है ।
♦ कालिका पीठाधीश्वर महंत श्री सुरेन्द्रनाथ अवधूतजी महाराज : बापूजी ने एक दिशा दी है, एक चिंतन दिया है कि भावी पीढ़ी को हम किस प्रकार संस्कारित करें, सही दिशा दिखायें । इसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाय वह कम है । जिसमें कुछ देने का सामर्थ्य है, वह देवता है । जिनकी कृपा से, अनुग्रह से हमें जीवन मिला उनसे बड़ा देवता और कौन हो सकता है ? हमें नित्यप्रति उनका अभिवादन करना चाहिए ।
♦ अखिल दिल्ली संत समिति के अध्यक्ष, महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंदजी महाराज : वेलेंटाइन डे के स्थान पर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में बापूजी ने शुरू की है । पूज्य बापूजी ने यह बहुत अच्छा आह्वान किया है ।
♦ उदासीन अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंदजी महाराज : ऐ भारत के युवाओ ! वेलेंटाइन डे जैसी बीमारियाँ जो समाज में आ गयी हैं, उनको खत्म करने की आवश्यकता है । बापूजी के विचारों को आप जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करें और आप इस प्रयास में सफल होंगे ।
♦ सुप्रसिद्ध भागवत कथाकार श्री संजीव कृष्ण ठाकुरजी महाराज : यदि 14 फरवरी के दिन आप अपनी प्रेमिका को फूल देने गये तो यह आपके माता-पिता का अपमान होगा । आज आपके चरित्र और आपके संस्कारों की परीक्षा है । आज आपके सामने एक प्रश्नचिह्न है कि माँ-बाप का सम्मान करेंगे या किसी कन्या के हाथ में आप फूल देकर आयेंगे ?
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♦ जैन समाज के आचार्य युवा लोकेश मुनिश्रीजी : भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट और धूमिल करने के लिए ‘वेलेंटाइन डे’ जैसे कार्यक्रमों के द्वारा जो प्रयास होते हैं, उनके विरुद्ध और भारतीय संस्कृति की रक्षा व उसकी आन-बान और शान के लिए बापूजी ने ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का आह्वान किया है
♦ नर्मदा आश्रम के महामंडलेश्वर श्री ओंकारानंदजी महाराज : तन शुद्ध होता है स्नान से, धन शुद्ध होता है दान से, मन शुद्ध होता है ध्यान से और हिन्दुस्तान शुद्ध होगा ‘मातृ-पितृ पूजन’ जैसे अभियान से ।
♦ ‘महाभारत’ धारावाहिक में युधिष्ठिर की भूमिका बखूबी निभानेवाले श्री गजेन्द्र चौहानजी : जब तक इस देश में पूज्य बापूजी जैसे संत विराजमान हैं, तब तक इस देश की सभ्यता और संस्कृति का कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता । आज हम सभी दृढ़ निश्चय करें कि 14 फरवरी को माता-पिता का पूजन अवश्य करेंगे ।
♦ हिन्दू समिति के अध्यक्ष श्री तपन घोषजी : 14 फरवरी को‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनायें तो वह हमारे और पूरी दुनिया के युवाओं के लिए एक आदर्श बन सकता है । देश की संस्कृति देश का प्राण होती है और उसकी रक्षा के लिए पूज्य बापूजी ने एक रचनात्मक कदम उठाया है, एक नया प्रारम्भ किया है और इसका परिणाम जरूर मिलेगा ।
♦ अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव व लोकसभा सांसद श्री संजय निरुपम : मैं चाहूँगा कि ‘मातृ-पितृ पूजन’ का जो कार्यक्रम बापूजी चला रहे हैं, उसका लाभ पूरे हिन्दुस्तान को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हो । सचमुच, समाज में इस प्रकार के विचार की बहुत आवश्यकता है ।
♦ वाघम्बरी पीठाधीश्वर आचार्य आनंद गिरिजी महाराज : माँ-बाप हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सब धर्मों में पूज्य हैं । माँ-बाप का सम्मान, उनकी पूजा करना हमारा दायित्व है और हमें इसे तन-मन से मानना चाहिए तथा सबको अग्रसर भी करना चाहिए ।
♦ अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री, महामंडलेश्वर श्री देवेन्द्रानंद गिरिजी महाराज : हमारी संस्कृति में प्रेम कोई ‘यूज एंड थ्रो’ की चीज नहीं होती, वेलेंटाइन डे मनानेवाले जिस तरह से सोच रहे हैं । हमारे यहाँ प्रेम एक अमूल्य, अमर जीवन की बात करता है । ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के सूत्रधार पूज्य बापूजी को प्रणाम करता हूँ ।
♦ बालयोगेश्वर श्री रामबालकदासजी महात्यागी : 14 फरवरी, जो हम लोगों के लिए एक कलंक बनता जा रहा है, उसी कलंक को तिलक-टीका बनाकर हम वह दिन ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनायेंगे । बापूजी द्वारा चलायी गयी यह एक अच्छी परम्परा है ।
♦ अजमेर शरीफ के शाही इमाम हजरत मौलाना असगर अली साहब : यह वेलेंटाइन डे सिर्फ हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि मुसलमानों तथा पूरी दुनिया के इन्सानों के लिए एक मसला खड़ा है । तो बापूजी के लिए दुआ करो कि उन्होंने एक बड़ी अच्छी शुरुआत की है (‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’)।
♦ भागवताचार्या साध्वी सरस्वतीजी- बापूजी ने बहुत ही अच्छा संदेश दिया है कि अगर प्रेम करना ही है तो माता-पिता से करो । वास्तव में ‘वेलेंटाइन डे’ जो अब ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है, यह सच्चे प्रेम की राह बापूजी ने दिखायी है । इसीलिए बापूजी को फँसाया जा रहा है । साजिश करनेवाले ईसाई मिशनरी हैं । वे साजिश इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जब तक संत नहीं मिटेंगे, तब तक वे अपना धर्मांतरण का कार्य नहीं कर पायेंगे ।
♦ फिरोज खान ‘महाभारत’ धारावाहिक के अर्जुन- हमारी सभ्यता और संस्कृति – हिन्दुस्तान की संस्कृति है, जहाँ हम माँ-बाप को देवता मानते हैं । ‘वेलेंटाइन डे’ अंग्रेजों ने शुरू किया है तो हम लोग उस दिन ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनायें, माता-पिता की आराधना करें, पूजा करें तो जीवन उन्नत होगा, पवित्र होगा ।
♦ संत श्री चाँड्रूरामजी साहिब, अखिल भारतीय अध्यक्ष, श्री कँवरराम ट—स्ट तथा पीठाधीश, संत श्री असुधा राम आश्रम, लखनऊ- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू एक पहुँचे हुए सिद्ध संत हैं । ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ पूज्य बापूजी का एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है, जो मानवमात्र में अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम और गौरव उत्पन्न करेगा ।
फिरोज खान ‘महाभारत’ धारावाहिक के अर्जुन- पूज्य बापूजी ने सिखाया कि 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ को भूलकर माता और पिता की पूजा करो तो तुम्हारा कल्याण हो जायेगा ! ऐसे संत पर जुल्म करोगे ? तुम्हें खौफ नहीं है कि इसका परिणाम क्या होगा ?
♦ उल्का गुप्ता, ‘झाँसी की रानी’ धारावाहिक की रानी लक्ष्मीबाई- यह जानकर मैं काफी खुश हूँ कि बापूजी ने 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ रखा ।
MatriPitri Pujan Valentine Divas I मातृपितृ पूजन वैलेंटाइन दिवस
♦ युवक-युवतियाँ वेलेंटाइन डे मनाकर सब कुछ खो रहे थे तो बापूजी ने नयी दिशा दी ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ । आज हमारे परिवारों में जो उच्च संस्कार बचे हुए हैं, वे बापूजी जैसे महापुरुषों की देन हैं । धर्मांतरण का जहाँ कुचक्र चल रहा था, बापूजी ने वहाँ पहुँचकर उन गरीब, आदिवासी भाइयों को और समाज से अलग हुए लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा । – स्वामी अतुलकृष्ण महाराज, केन्द्रीय मार्गदर्शक, विश्व हिन्दू परिषद
♦ महामंडलेश्वर श्री बालमुकुंदाचार्यजी : संत आशारामजी बापू कितनों को वापस लाये जो दूसरे धर्म की ओर चले गये थे ! वेलेंटाइन डे की जगह माता-पिता की पूजा का कितना अच्छा त्यौहार शुरू किया ।
♦ श्री अरुण डी. कलाल, शिव सेना प्रमुख, सूरत एवं तापी जिला (गुज.)- संत आशारामजी बापू ने वेलेंटाइन डे के दिन माता-पिता का पूजन करने की जो यह शुरुआत की, वह बहुत ही सराहनीय है । ऐसे बापू को मैं त्रिवार वंदन करता हूँ ।
♦ ‘‘मातृ-पितृ पूजन हमारे देश के संस्कार हैं । इन्हीं संस्कारों को जीवित करने के लिए बापूजी ने मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत की ताकि हमारी आनेवाली पीढ़ी संस्कारों से सुसज्ज रहे । आज जो संत सही मार्ग दिखाते हैं उन्हें जेल में डाल दिया जाता है ।’’ – महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 महंत लक्ष्मणदासजी
♦ ‘‘मैं बच्चों एवं उनके माता-पिता के साथ मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की पावन ज्ञान-गंगा में स्नान कर पवित्रता महसूस कर रही हूँ । – श्रीमती अनिता कटारा, विधायक, सागवाड़ा (राज.)
♦ ‘‘हमें पश्चिमी देशों के कल्चर को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना चाहिए ।’’ – श्री राजेश गुप्ता, विधायक, जम्मू (पूर्व)
♦ सुप्रसिद्ध कथाकार स्वामी त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य- संत श्री आशारामजी बापू ने वेलेंटाइन डे के नाम पर लड़का-लड़की के तथाकथित प्रेम के स्थान पर माता-पिता के चरणों में हमारी आस्था व प्रीति को स्थापित करने का एक बहुत सुंदर अभियान चलाया है । इसको प्रारम्भ करनेवाले ऐसे महापुरुष को मैं पूरे मन से नमन करता हूँ !
♦ स्वामी श्री नरेन्द्र भारतीजी : सभी बच्चे 14 फरवरी को अपने माता-पिता से प्रेम करें और प्रणाम करके सच्चा आशीर्वाद प्राप्त करें ।
♦ श्री शिवाकांतजी महाराज, भागवत कथाकार, कानपुर : वेलेंटाइन डे के नाम पर युवा वास्तव में गुमराह हो रहा है । यदि प्रेमी पर्व मनाना है तो मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाइये ।
♦ श्री रमाकांत गोस्वामी, कथाकार, मथुरा : 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना चाहिए ।
♦ महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंदजी : वेलेंटाइन डे पर फूल देकर युवा पीढ़ी जो आजकल विदेशी नीति को अपना रही है, उसमें प्रेम तो देखनेमात्र को है, बाकी इसके द्वारा शोषण ही होता है । वह प्रेम नहीं, एक प्रकार की शत्रुता है । प्रेम तो वास्तव में माता-पिता, भगवान और सद्गुरु से ही होता है ।
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