Asaram Bapu ki Asaliyat क्या है, ये हमेशा विवादों में क्यों घिरे रहते हैं तथा ये धर्मान्तरण के विरोधी क्यों है ? इत्यादी पहलू को समझेगें ।
हमेशा विवादों में घिरे रहनेवाले संत आसाराम बापू आजकल सलाखों के पीछे हैं । उन्होंने सन् 1995 तक भारत सहित विदेशों में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया ।
सन् 1995 केे बाद भारत में इनका प्रचार-प्रसार तेजी से बढ़ा । सम्पूर्ण भारत में जगह-जगह खूब सत्संग होने लगे । बड़े-बड़े पोस्टर, होर्डिंग्स् लगने लगे । टीवी चैनलों, रेडियो आदि पर इनका प्रसारण तेजी से शुरू हुआ ।
इनके सत्संगों में मंत्री, मुख्यमंत्री, उद्योगपति व फिल्मी जगत की बड़ी-बड़ी हस्तियाँ आने लगीं । लोग विभिन्न मत, पंथ, सम्प्रदाय आदि छोड़कर इनके पास आने लगे । जगह-जगह इनके आश्रम व समितियाँ बनने लगीं । वर्तमान में इनके 450 आश्रम, 1400 समितियाँ कार्यरत हैं व 5 से 6करोड़ शिष्य होने का अनुमान है ।
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Asaram Bapu ki Asaliyat- विरोधी संत आसाराम बापू :
संत आसारामजी ने अपने सत्संगों से अध्यात्म, भारतीय संस्कृति व स्वदेशी का प्रचार-प्रसार तो किया लेकिन पाश्चात्य कल्चर व ईसाई धर्मान्तरण का जमकर विरोध किया । धर्मान्तरण रोकने के लिए इन्होंने चल-चिकित्सालय, भजन-मंडली, राशनकार्ड, ‘भजन करो,भोजन करो, पैसा पाओ योजना’ जैसी विभिन्न योजनायें चलायीं ।
इन्होंने सामाजिक कुरीतियों का पुरजोर विरोध किया। वेलेन्टाइन डे व क्रिसमस डे के दिन नये पर्व शुरू करवा के ईसाई मिशनरियों से दुश्मनी खुद पैदा की । यहाँ saram Bapu ki Asaliya साफ साप नजर आती है ।
संत आसारामजी ने शुरू से ईसाई धर्मान्तरण, विदेशी कम्पनियों व राजनेताओं द्वारा लूट व शोषण के खिलाफ लोगों को जाग्रत किया । जिससे इन लोगों ने संत आसारामजी को रोकने के कई बार प्रयास किये तथा जमकर विरोध करने लगे ।
विरोध करने के लिए इन लोगों ने संत आसारामजी के खिलाफ मीडिया का दुरुपयोग व आश्रम से निकले हुए कुछ बगावती लोगों को साथ लेकर इनके खिलाफ अभियान छेड़ दिया ।
सन् 2002 से इन लोगों ने ‘बापू रोको अभियान’ चलाया । लेकिन कई बार असफल होने के बाद राजनेताओं से साँठ-गाँठ कर सन् 2008-09 में इनके गुजरात के आश्रमों पर धावा बोला लेकिन पूर्ण सफलता नहीं मिली । इसके बाद से ‘बापू जीरो मिशन’ चलाया जा रहा है । जिसके प्रथम चरण में संत आसारामजी व उनके पुत्र नारायण साँईं को जेल में डाला गया है ।
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आसाराम बापू की विचारधारा क्या हैं ?
IBMR रिपोर्ट के अनुसार ‘भारत में किसी भी गरीब को ईसाई बनाने का खर्च दुनिया के किसी विकसित देश के मुकाबले 700 गुना सस्ता है । भारत पोप के लिए सबसे सस्ता बाजार है ।’
संत आसारामजी के सत्संग व बढ़ते सेवाकार्यों से यह बाजार महँगा होता है । धर्मान्तरण में तेजी लाने के लिए संत आसारामजी को जेल भेजकर उनका प्रभाव कम करना बहुत जरूरी था ।
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चाकू, छुरा व गोलियों से भून दिया :
बापू के कई विरोधियों में से सात को गोलियों से भून दिया गया; जिसमें तीन मरे, चार बच गये तथा दूसरे एक के ऊपर तेजाब से व दूसरे दो के ऊपर चाकू से हमला किया गया ।
मरने/मारनेवाली षड्यंत्रकारियों की टीम का एक सदस्य भोलानंद गुप्ता जो पुलिस के हाथों लगा, उसने सच्चाई बता दी कि हमारी टीम के लोगों का यह कहना था कि-
‘‘गुप्ताजी ! देखो, आप फँसते हो या हममें से कोई भी अगर पकड़ा गया तो हम एक-दूसरे को गोली मार देंगे या चाकू से वार कर देंगे, ऐसा कुछ कर लेना अथवा हम करवा देंगे । फिर हम लोग केस बना के बापू पर डाल देंगे ।’’ होता भी ऐसा ही था, जब ऐसी कोई घटना होती तो बापू को दोषी बनाने की पूरी ताकत तो लगाई जाती थी तथा आश्रमवालों पर केस होता था ।
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