संत आसारामजी की आभा में शक्ति देने की क्षमता है, ये आध्यात्मिकता के शिरोमणि हैं । लकवाग्रस्त नाचने लगी, हेलिकाप्टर गिरा आदि Sant Asaramji ke Chamatkar समझेगें
‘‘मैंने अब तक लगभग सात लाख से भी ज्यादा लोगों की आभा ली है । संत श्री आसारामजी की आभा का अध्ययन कर मैंने पाया कि इनमें शक्ति देने की क्षमता है । बापूजी आध्यात्मिकता के शिरोमणि हैं ।
बापूजी का सहस्रार चक्र, आज्ञा चक्र इतनी ऊँचाई तक विकसित हो चुका है जिसके आगे कोई परसेंटेज ही नहीं है । वे पूर्णता की पराकाष्ठा पर पहुँचे हुए हैं । आज तक जितने भी लोगों की आभाएँ मैंने ली हैं, किसीको भी इतना उन्नत नहीं पाया है ।
पिछले कम-से-कम दस जन्मों से बापूजी समाजसेवा का यह पुनीत कार्य करते आ रहे हैं । मुझे पिछले दस जन्मों तक का ही पता चल पाया, उसके पहले का पढ़ने की क्षमता मशीन में नहीं थी ।’’
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29 अगस्त, 2012 में एक हेलिकाप्टर मोरवी से गोधरा जा रहा था। गोधरा के साइंस कॉलेज परिसर में भक्तों की भीड़, सत्संग पंडाल के नजदीक हेलिपैड बना था।
इसके नजदीक शाम 3.40 पर हेलिकॉप्टर आकाश से जमीन पर मुंह के बल गिरा, पुर्जे चकनाचूर हो गये, आग लग गयी लेकिन किसी को खरोंच तक नहीं आयी।
अंदर बैठे चारों के चारों ज्यों के त्यों। जानते हैं उसमें कौन सवार था ? आसाराम बापू !
Sant Asaramji ke Chamatkar- लिया दो रुपः
सन् 1985 से पूर्व की बात है, जब बापूजी के अहमदाबाद आश्रम आने के लिए सड़क नहीं बनी थी । एक सज्जन का प्रतिदिन शाम को बापूजी के दर्शन करने का नियम था । एक दिन उन्हें आने में देर हुई और अँधेरा हो गया । आश्रम से कुछ दूरी पर उनको कुत्तों ने बुरी तरह से घेर लिया ।
अब अंतर्मन में एक ही पुकार उठने लगी, ‘बापूजी ! रक्षा करो, बापूजी ! रक्षा करो..’ कुछ ही क्षणों में वे सज्जन क्या देखते हैं कि सामने से बापूजी बड़े जोरों की ‘ॐ… ॐ…’ की आवाज करते हुए टॉर्च लिये आ रहे हैं । ‘ॐ…ॐ…’ की आवाज से कुत्ते भाग गये ।
उन सज्जन ने झुककर प्रणाम किया । आश्रम के पास आकर बापूजी ने उनसे कहा : ‘‘तुम हाथ-पैर धोकर सत्संग में आ जाओ ।’’
वे सज्जन सत्संग में आकर बैठे और 5 मिनट में बापूजी उठकर चल दिये । उन्होंने और सत्संगियों से कहा : ‘‘भाई ! आज बापूजी आये और 5 मिनट में ही चल दिये !’’ लोगों ने कहा : ‘‘क्या ? 5 मिनट… बापूजी तो 3 घंटे से सत्संग कर रहे हैं, तुम अभी आये !’’
‘‘अभी तो बापूजी हमको साथ लेकर आये !’’ सभीने कहा : ‘‘बापूजी 3 घंटे से कहीं गये ही नहीं ।’’ तब उनको समझ में आया कि बापूजी ने दूसरा रूप लेकर उनकी रक्षा की । वे भावविभोर हो गये ।
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30 वर्षीय लकवाग्रस्त रजनी बाला निवासी – गुरु गोविंद नगर, पठानकोट (पंजाब) का काफी इलाज करवाया गया परंतु वे अपने पैरों पर खड़ी होने तथा बोल पाने में सक्षम नहीं थीं । बापूजी के अवतरण दिवस पर आयोजित सत्संग-संकीर्तन कार्यक्रम में इनको उठाकर लाया गया था । भजन-श्रवण करते-करते अचानक इनके हाथों से तालियाँ बजने लगीं तथा ये उठकर नाचने-गाने लगीं ।
Miracles of Sant Asaramji- अमेरिका में प्रकटे बापू :
बाबा के एक भक्त विनोद दिवेकर की शिकागो (अमेरिका) में ऐसी जगह पर दुकान थी जहाँ चोरी होना आम बात थी । ये 7 मार्च 2008 की शाम को दुकान बंद कर चाबी ताले में ही लगी भूल के घर आ गये ।
3 दिन बाद सुबह जल्दी-जल्दी दुकान आये तो देखा कि चाबी ताले में ही लगी है । दुकान खोली, सभी सामान सुरक्षित था । नियमित आनेवाले ग्राहक आकर कहने लगे कि ‘‘तुमने आजकल कोई भारतीय रक्षक रखा है क्या, जो सफेद लम्बी दाढ़ीवाले हैं व सफेद लिबास में तुम्हारी दुकान की चौकी करते हैं ?’’ उसने बापूजी का फोटो दिखाया तो ग्राहक बोले : ‘‘ये ही हैं वे… !’’ बापूजी तो भारत में थे लेकिन 12000 कि.मी. दूर दूसरा रूप धर भक्त की दुकान की रक्षा कर रहे थे !
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दिल्ली में बाबा का एक शिष्य है तांशु । जब वह 5 साल का था तब 5 जुलाई 2005 को अपने चचेरे भाई हिमांशु आदि के साथ छत पर खेल रहा था । घर के सभी बड़े लोग बाहर गये थे । हिमांशु छत से एकाएक जमीन पर गिर पड़ा व बेहोश हो गया । सभी बच्चे बहुत चिंतित हो गये ।
एकाएक तांशु को बापूजी की प्रेरणा हुई, ‘तांशु ! अपनी वैन में हिमांशु को लेटा व गाड़ी चलाकर हॉस्पिटल पहुँचा ।’ फिर क्या ! तांशु ने अपनी छोटी बहनों के सहारे हिमांशु को वैन में लिटाकर 5 कि.मी. से भी अधिक दूरी पर स्थित ‘जीवन अनमोल हॉस्पिटल’ पहुँचा के उसकी जान बचायी । तांशु की बहादुरी के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलामजी ने उसे पुरस्कृत किया ।
100 शिष्याओं सहित बनी शिष्या बापूजी की :
‘‘आनंदमयी माँ मुझे दीक्षा देने के 2.5 साल बाद ब्रह्मलीन हो गयीं । माँ के बिना मैं बहुत रोती-बिलखती थी । माँ ने एक दिन सपने में आकर कहा : ‘‘तू बापूजी के पास चली जा, तेरी शेष साधना वहीं पूरी हो जायेगी ।’’ मैंने बापूजी से दीक्षा ले ली ।
उसके बाद तो मुझे बहुत आध्यात्मिक अनुभव हुए । मेरी जो 100 शिष्याएँ थीं, उनको भी बापूजी से दीक्षा दिलवायी । उनका भी आध्यात्मिक उत्थान हुआ ।’’ – कमल देवी, ओशिवारा, अँधेरी (मुंबई)
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Sant Asaramji ke Chamatkar- मिला अक्षय पात्र :
कतारगाम, सूरत (गुज.) के भक्तों को बापूजी ने गरीबों में भंडारा करने हेतु थोड़ा-सा सामान दिया । सामान सिर्फ दो दिन तक बँट सके उतना ही था इसलिए भक्त सोच रहे थे कि ‘बापूजी 10 दिन तक बाँटने के लिए कह रहे हैं !’ लेकिन चमत्कार ! सामान खुले हाथों 10 दिन तक बँटता रहा पर खत्म होने का नाम नहीं !
इस आश्चर्य को देख भक्तों ने सामान की गणना की तो जितना सामान बापूजी ने दिया था, उससे भी अधिक बाँटने पर भी बचा था । अंतिम दिन एक तपेला चावल बचा था जो करीब 100 लोगों में बँट सकता था । और आश्चर्य ! उसे भक्त 5 गाँवों में बाँटते रहे लेकिन खत्म नहीं हो रहा था ! बापूजी से प्रार्थना करने पर वह खत्म हुआ । इस अक्षय पात्र की लीला को भक्तों ने प्रणाम किया ।
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