Asaramji ki Jel Kahani, बुरी तरह मारा-पीटा, टी.वी. का पर्दा फाड डाला, कोर्ट में बदला बयान, लगाया कुम्भ मेला, कैसे युद्ध किया आदि जानें ।
Asaramji ki Jel Kahani | Asaramji’s Jail Story
बुरी तरह मारा-पीटा :
संत आसारामजी पिछले कई वर्षों से ईसाई मिशनरियों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियो और असामाजिक तत्त्वों के निशाने पर थे । शाहजहाँपुर (उ.प्र.) की (18 वर्ष 8 दिन की) युवती से 15 अगस्त 2013 को छेड़खानी का आरोप लगवाया गया। तथाकथित घटना जोधपुर (राज.) की है । युवती ने 20 अगस्त 2013 को रात्रि 2ः30 बजे कमला मार्केट थाना दिल्ली में एफ.आई.आर. दर्ज करायी । इसमें बडे नेताओं का हाथ होने की बात कही जाती है ।
पुलिस ने संत आसारामजी के खिलाफ पॉक्सो, 376 व अन्य धाराएँ लगाकर इनको इन्दौर आश्रम से 31 अगस्त 2013 की अर्धरात्रि को गिरफ्तार कर जोधपुर जेल में डाल दिया । जोधपुर शहर में इनके प्रेमी भक्तों के प्रवेश पर तत्कालीन सरकार द्वारा रोक लगा दी गई । वहाँ आ रहे भक्तों के जनसैलाब को पुलिस ने बुरी तरह मारा-पीटा । यह Asaramji ki Jel Kahani की शुरुआत है ।
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समाचार चैनल के एंकरों ने चीख-चीख कर टी.वी. का पर्दा फाड डाला कि संत आसारामजी द्वारा बलात्कार करवाने के लिए लड़कियों की व्यवस्था उनकी धर्मपत्नी व उनकी पुत्री करती थी । लेकिन पता नहीं क्यों समाज ने इस बात को मानने से इन्कार कर दिया ।
एस.आर.एस. के एक सर्वे के अनुसार ‘संत आसारामजी के जेल जाने के बाद से इनके सभी आश्रमों में नये आनेवालों की भीड़ बढ़ी है । सन् 2014 व 15 की गुरुपूर्णिमा के पर्व पर संत आसारामजी के सभी आश्रमों में ऐसे नये लोगों का जनसैलाब देखने को मिला जो इनके बारे में अनजान था । आज पूरे समाज में इनके प्रति लोगों का सद्भाव बढ़ा है ।’
कोर्ट में बदला बयान :
संत आसारामजी पर बलात्कार का आरोप लगानेवाली सूरत की महिला ने गांधीनगर (गुज.) कोर्ट में एक अर्जी डालकर बताया कि उसने धारा 164 के अंतर्गत (बापूजी के खिलाफ) पहले जो बयान दिया था वह कुछ लोगों के डर-भय के कारण दिया था । अब वह सत्य उजागर करना चाहती है ।
संत आसारामजी पर लगाया गया बलात्कार का आरोप मुझसे जबर्दस्ती दबाव में दिलवाया गया था जिसे मैंने कई बार इसका खुलासा पुलिस के सामने किया लेकिन पुलिस कुछ सुनने को तैयार नहीं थी । पुलिस कहती थी आपका बलात्कारवाला बयान ही माना जायेगा इसलिए मुझे मीडिया के सामने बोलना पड़ रहा है ।’
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लगाया कुम्भ मेला :
संत आसारामजी ने शुरू से ही हिन्दू संगठनों का समर्थन किया । जो लोग हिन्दू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म में चले गये थे, उनकी घर वापसी का भी मार्ग प्रशस्त किया । हजारों, लाखों की भीड़वाला गुजरात का शबरीकुम्भ, मध्य प्रदेश का नर्मदाकुम्भ आदि बड़े-बड़े आयोजन अपने मार्गदर्शन व उपस्थिति में आयोजित कर भारत में ईसाई धर्मान्तरणवालों की जड़ें हिला दीं ।
घबराहट पैदा हुई :
संत आसारामजी के प्रचार-प्रसार में तेजी आने से इनके नये-नये आश्रम व समितियाँ भी तेजी से बनने लगीं । लोग संकीर्ण मान्यताओं को छोड़कर इनके साथ जुड़ने लगे। संकीर्ण मान्यताओंवाले समूहों में घबराहट पैदा होने लगी ।
Asaramji ki Jel Kahani- युद्ध किया :
ईसाई मिशनरियों के पास कितना धन है, यह उनको भी पता नहीं है । सन् 1989 में विश्व में धर्मान्तरण के लिए 14,500 करोड़ डॉलर खर्च किये । उस समय उनके फुल टाइम नौकर 40 लाख थे । 13 हजार पुस्तकालय था, 22 हजार मासिक प्रकाशन निकलते थे तथा 1890 रेडियो और टी.वी. स्टेशन उनके अपने थे । 2 लाख 50 हजार पादरी विदेशी धर्म-प्रचारक थे और उनको तालीम देने के लिए 400 संस्थाएँ थी ।
ऐसे ही इस्लाम के प्रचारक भी विपुल मात्रा में धन खर्च करके धर्मान्तरण में लगे थे । धर्मान्तरण के खिलाफ संत आसारामजी ने अकेले कईदशकों तक युद्ध किया । सनातन धर्म की रक्षा की एवं धराशायी मूल्यों तथा स्वाभिमान की पुनर्स्थापना की । बापू के पीछे चल रहे षड्यंत्र का यह मुख्य कारण है ।
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