Bharatiy Sanskriti- 4 | Indian Culture, Part- 4
Bharatiy Sanskriti- 4 में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें।
वेदो की पवित्र भावनाओं को उपनिषद रूपी स्वाँसों ने सर्वत्र कैसे फैलाव दिया है । प्रत्येक कैसे हैं ? जो अपनी (रोमन भाषा में) अथिक परिश्रम उस अद्वितीय पुस्तक से अध्ययन करके कुछ प्रसिद्ध हो गये है उन्होने अपनी आत्मा की बहुत गहराई तक जानेगी (जाननेकी) भावनाओं को उत्तेजित किया है ।
– आर्थर शोपेनहर
हिन्दुत्व ही दुनिया में सबसे बड़ा विश्वास हे जो कि सत विचारों के लिए समर्पित है जिसमेंकि वास्तव में अतंत,कई मृत्यु एवं जन्म ब्रह्मांड स्वयं ही विशाल से यह केवल अकेला ही ऐसा धर्म है जिसमें कि आधुनिक वैज्ञानिक (ब्रह्मांड विज्ञान) के अनुरूप समय का मापदंड है ।
– डा. केरी सगन
भारत ने ब्रह्माड के किसी सांसारिक क्षेत्र की अपेक्षा इतिहास, दर्शन और धार्मिकता में गहरी छाप छोड़ी है ।
– लार्ड कर्जन
मानव इतिहास में हमारा सर्वाधिक कीमती और सर्वाधिक शिक्षाप्रद पदार्थ यदि कोई है तो वो भारत का (आध्यात्मिक) संचित धन है ।
– मार्क ट्वेनहिन्दुत्व में धार्मिक विश्वास को वैज्ञानिक कानूनों को विरोध में चलने की कभी आज्ञा नहीं मिली । इसके बाद किसानों ने जो ज्ञान सीखा है उसके लिए कभी भी कोई शर्त नहीं रखी बल्कि वे सदैव विचारशील एवं सावधान रहे ताकि वे अमल में लासके दोनों की सम्भावनाए से आस्तिक एवं नास्तिकों की अपने रास्ते में सत्य को प्राप्त कर सकें।
– रोमेन रोलेन्डपुर्तगाली डच और अंग्रेज बहुत लम्बे वर्षो के बाद वहुत विशाल भारतीय धरोहर को अपने पास तो गये (जहाज से) ले गये हम जर्मनी अकेले इसे देखने के लिए बचे। जर्मनी भी उसी तरह करेगा लेकिन उसका खजाना धार्मिक ज्ञान होगा ?
– हेनरिच हेनेदुनिया के इतिहास में वेदों ने जो ( साहित्यक) कमी को पूर्व किया वो अन्य किसी अन्य भाषा को साहित्य पूर्ण न कर सका मैं चाहता हूँ को जो अपने आप की अपने पूर्वजों की परवाह करता हो और जो अपना बौद्धिक विकास चाहता हो उसके लिए वैदिक साहित्य को पढ़ना ही चाहिए ।
– प्रो.एफ. मैक्स मुलरवेदों तक पहुँचना ये सबसे महान विशेषाधिकार है ये शताब्दी पहले की अन्य सभी आगे शताब्दियों से बढ़ती है साबित होगी ।
– जूलियस आर. ओपेन हेमरभारत दयालुता का मूल है जहाँ मनुष्य की बुद्धि गुणों सरलता शान्ति एवं निर्मलता के साथ सर्वोपरि है जिन्होंने स्पष्ट बोला है कि हमारे दर्शन में अन्य कुछ भी नहीं है, नहीं है सभी समान है ।
– जोहन गोटफ्राइड हर्जर
वेद अभी भी आंतरिक सत्य का प्रितिनिधित्व करते हैं जो कि अति शुद्ध रूप में पहले से लिए गये है और उन्होने मुझे भारत की ओर पहली बार खीचा मुझे नहीं रखा और मुझे अभी भी नहीं की ओर खीचता है ।
– पॉल विलियम रॉबर्टस
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