Bharatiy Sanskriti- 1 | Indian Culture, Part- 1
Bharatiy Sanskriti- 1 में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें।
भारतीय दार्शिनिकों की सूक्ष्मता (चतुरता) ने यूरोप के अधिकतम महान दार्शिनिकों को (स्कूल के बच्चों की भाँति) बहुत बड़ी दिशा दी है ।
– टी.एस. एलिएट (1888-1965), 1948 में साहित्य नोबल प्राईज विजेता, अमेरिका के महान दार्शनिक कवि
हम भारतीयों के बहुत आभारी (ऋणी) हैं जिन्होने हमें गणना (ज्ञान) करना सिखाया जिसके बिना कोई उपयुक्त वैज्ञानिक खोज हो ही नहीं सकती है ।
– अल्बर्ट आइन्स्टाइन (1879-1955), नोबल प्राईज विजेता, महान दार्शनिक विज्ञानि
भारतीय दार्शनिकों के बारे में बातचीत के बाद पाया कि सांख्यिक भौतिक विज्ञान के कुछ विचार जो कि अति तुच्छ मालूम जान पड़ते थे अचानक उनका अधिक अच्छा अर्थ पाया ।
– वार्नर हैसेनबर्ग (1901-76), नोबल प्राईज विजेता महान भौतिक विज्ञानी
हम आधुनिक भौतिक विज्ञान में प्राचीन हिन्दू बौद्धिकता को एक उदाहरण युक्त प्रदर्शन प्रोत्साहन (साहस) एवं शोधन के रूप में पायेंगे ।
– जूलियस आर. ओपनहेमर (1904-1967), महान भौतिक विज्ञानी अणुबम के
पश्चिमी विज्ञान को आध्यात्मिकता की कमी से बचाने के लिए कुछ पूर्वी देशों विचारों (आध्यात्मिक ज्ञान) को पश्चिमी (देशों) में अंतरण (ट्रांसफर ) करना ही चाहिए ।
– एर्विन छोरोडीनेर (1887-1961), ध्वनि तरंगो पर खोज करने वाले आ स्ट्रेलीया के भौतिक विज्ञानी जिन्हे इनके खोजो पर नोबल प्राईज प्राप्त हुआ ।
* मुसे पूर्ण विश्वास है कि हमारे पास सब कुछ (सारा ज्ञान) ज्योतिष विज्ञान खगोल विज्ञान एवं आध्यात्मिकता गंगा के किनारे से ही आया है ।
* इसको याद रखना बहुत महत्वपूर्ण (जरुरी) है कि करीब 2500 वर्ष-पहले लीस्ट पाइथागोरस (वैज्ञानिक) सेमस (देश) से गंगा किनारे रेखागणित सीखने गया था ।
* लेकिन वह (गैर जिम्मेदार) इस विचित्र अपरिचित यशस्वी ब्राह्मण विज्ञान को जो अबतक यूरोप में स्थापित नहीं हो सका पूर्णत: नहीं समझ सका था ।
– फ्रेन्कोइस एम. वोलटेर (1694-1774) महान फ्रेन्च दार्शनिक कवि
भारत धर्म की भूमि है, मानवीयता की पालन स्थल है। मानवीय प्रवचनों का जन्मस्थान है, पौराणिका कथाओं की प्राचीन माँ है। सांस्कृतिक परम्परा की सबसे प्राचीन स्थली है ।
– मार्क ट्वेन (1835-1910)
शुरूआत में प्रत्येक व्यक्ति के मन में ऐसा विचार अवश्य आता है कि भारतीय साहित्य के खजाने से परिचय हो- क्योंकि जो जमीन बौद्धिक उत्पादों (दार्शिनकों) में इतना धनी है और उसके विचारों की परम वर्ग व्यवस्था है ।
– फ्रेडरिच हेग
वेदों ने मुझे बारम्बार साथ दिया। उससे मुझे आंतरिक शाँति (पारितोषिक) मिला। अविश्वनीय शक्ति एवं अटूटशाँती मिली ।
– राल्फ वाल्डो एमर्सन
भारतीय जीवन प्राकृतिक दृष्टि एवं जीने की वास्तविक रास्ता देता है हम पश्चिमी लोग अप्राकृतिक नकाब लगाकर अपने को ढगते हैं ।
-जार्ज बर्नाड शॉ
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