Bharatiy Sanskriti- 3 | भारतीय संस्कृति, भाग- 3

Written by Rajesh Sharma

📅 April 2, 2022

Bharatiy Sanskriti- 3 | Indian Culture, Part- 3

Bharatiy Sanskriti- 3 में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें।

वास्तव में यह एक ध्यान देने योग्य परिस्थिति है कि जब पश्चिमी सभ्यता में सापेक्ष सिद्धान्त की खोज की थी और उसका प्रयोग अणु (परमाणु) बम बनाने में किया जबकि पूर्वी सभ्यता में आत्मिकता के नये सोपानों के विकास में इसका प्रयोग किया गया जाता था ।

– एलेन वाट्स

किसी ने कहा आत्मा सभी अर्थो में अत्याधिक पसन्द है। लेकिन ब्राह्मण का अर्थ क्या है मुझे लगता है कि आत्मा एवं ब्रह्मांड की पहचान इससे ये लगता है कि आत्मा और ब्राह्मण दोनों बराबर है जो कि जानी मानी हिन्दु दर्शन है ।

– डेविड जे. बोम

प्राचीन भारत के ऋषियों बुद्धि से बढ़कर आज का विस्तृत ज्ञान नहीं हो सकता है। और आज के विज्ञान की सबसे अग्रिम स्थिति भी (पूर्व के) वेदान्त के आगे खत्म हो जाती है ।

– अल्फ्रेड नार्थ व्हाइटहैड

 

भारतीय ऋषियों की दैवीय लीला असंख्य युगों से (कल्पों से) ब्रह्माँड में क्रमिक विकास था । वे कहते हैं कि यहाँ अनंत रचनाए उत्पन्न होती रहती हैं । ऋषियों ने उनका नाम कल्प दिया जो कि बिना अनुमानित समय  काल्पनिक कृति के शुरुआत एवं अंत के बीच का समय का विस्तार है ।

– फ्रिटजोफ केपरा

यह विश्व में हिन्दुत्व को सर्वाधिक सहष्णिु धर्म बनाता है। क्योंकि इसके एक सर्वोच्च ईश्वर में सभी सम्भावित दैव शक्तियाँ शामिल होती है वास्तव में हिन्दुत्व (हिन्दू धर्म) इतना लचीला एवं गूढ़ है कि उसमें अधिकतम उच्च- क्रिश्चिन पंथी और मूर्ति पूजक जत्थे आदि इसके साथ समान है ।

– एच. जी. वेल्स

गीता का चमत्कार यही है कि इसकी जीवन में बौद्धिक सच्ची सुंदर दैवीय प्रेरणा जो कि दर्शन के फूलो को धर्म में परिणत करने में समर्थ करती है ।

– हरमन हेस्स

 

सुबह में श्री मद् भगवद गीता के ब्रह्मांडीय दर्शन शास्त्र एवं विलक्षण ज्ञान में स्नान करता हूँ । हमारी आधुनिक संसार और इसका साहित्य उसकी तुलना में अत्यंत दुर्बल एवं आदि तुच्छ है ।

– हेनरी डेविड थेरयू

 

भारत वदों की भूमि है विलक्षण कार्यो में केवल धार्मिक विचार ही नहीं होते है बल्कि सत्य तथ्य भी होते है जिसे विज्ञान ने सत्य साबित कर दिया है । विघुत, रेडियम, इलेक्ट्रोनिक्स, हवाई जहाज आदि के बारे में सिद्ध संत जानते हैं जिन्होंने वेदोंकी स्थापना की (विस्तार) किया ।

– इला व्हीलर विल्कोस

यूनानी लोग भारतीय दर्शन को इतना अधिक चाहते हैं कि डेमेटिस गेलेनस ने श्री मद् भगवद गीता का अनुवाद (अपनी ग्रीक भाषा मे) कर दिया । हम निसंदेह ये कह सकते हैं । के यूनानी भारतीय दर्शन (संस्कृति दर्शन) के बारे में (संपूर्णतया) अच्छी तरह जानते है ।

– रोजर-पोल ड्रोईट

हिन्दुत्व, बारहमासी दर्शन है जो कि सभी धर्मों का केन्द्र है ।

– अलड्स हक्सले

 

इसे  भी पढें :

भारतीय संस्कृति, भाग- 1

भारतीय संस्कृति, भाग- 2

भारतीय संस्कृति, भाग- 4

भारतीय संस्कृति, भाग- 5

भारतीय संस्कृति, भाग- 6

भारतीय संस्कृति, भाग- 7

भारतीय संस्कृति, भाग- 8

भारतीय संस्कृति, भाग- 9

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