Bharatiy Sanskriti- Vaidik Sanskriti | Indian Culture- Vedic Culture
Bharatiy Sanskriti- Vaidik Sanskriti में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें।
भगवद गीता और उपनिषदों में शामिल हैं: सभी चीजों पर ज्ञान की ऐसी ईश्वरीय परिपूर्णता कि मुझे लगता है कि लेखकों ने शांति से देखा होगा एक हजार जोशीले के माध्यम से याद वापस जीवन, छाया के लिए और उसके साथ ज्वलनशील संघर्ष से भरा, अगर वे इतनी निश्चितता के साथ लिख सकते थे चीजें जो आत्मा को निश्चित लगती हैं ।
– ए.इ.जार्ज रसेल
ऐसा लगता है मानो भारत को भगवान ने स्पेशल डिजायन किया हो (सभी भविष्यवादियों और सिद्दान्तों की मुकाबला करने के लिए) मेरा हृदय सैदेव यहाँ रहता है लेकिन मेरे साथी बाद में मेरे साथ यहाँ आयेंगे । जिनके लिए जहाज में एक्सट—ा जगह की जरूरत नही है । और जब मैं वापिस जाऊँगा तब नये लोग भी साथ में होंगे ।
– एलेक्जेन्डर एम. कडाकिन
भारतीय विद्यार्थी को अपने धर्म संस्कृति का मूल्यांकन करना चाहिए और वास्तव में जानी मानी भारतीय संस्कृति जीवन एवं मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । मैं विज्ञान एवं भारतीय संस्कृति इन दोनों को अलग नहीं करूगाँ ऐसा करना नुकसान देह है । व्यहारिक रूप में इनको अलग मानना मैं ठीक नहीं समझता हूँ ।
– चार्ल्स एच. टाउनस
भारतीयदार्शनिकों के लिए सापेक्षता का सिद्धांत कोी नई खोज नहीं है । केवल एक प्रकाश वर्ष की संकल्पता है । कल्प को मिल्यिन में लोगों द्वारा समय के बारे में सोचना कोई आश्चर्य की बात नहीं है । क्योंकि एक कल्प करीब 43,20,000 वर्ष के बराबर होता है ।
– एलन वाट्स
योग एक ऐसा आईना है जो कि सीमित मनुष्य को अनंतता के परिवर्तन की पप्ति कराता है । भारतीयों को या भारतीय दिमागो (मन) को स्वभाविक मान्यता प्राप्त करना पड़ेगा विशेष विद्याओं वाले भारतीय मनों से ।
– मिरसी ईलिडे
जब भी हम अपना ध्यान हिन्दु साहित्य की ओर केन्द्रित करते है अनंतता का परिचय यह अपने आप देती है ऐसा मेरा मत है ।
– सर विलियम जोन्स
वेदान्त ने हमें सिखाया है कि आत्मा एक है एक ही सर्वत्र व्याप्त आत्मा में सब खेल हो रहे हैं और आत्मा के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं है ।
– एरविन र्स्कोडिंगर
यह प्राचीन भारतीय संस्कृति है जिसने विज्ञान की कला को इतना आदर दिया यूरोप के हजारें वर्ष पहले भारतीय विद्वानों ने शून्य और अनंत की आपस में विपरीतता का मत दिया ।
– जार्ज इफराह
यह भारत में था फिर भी वह गुलाब ज्ञान की देह थी जिसमें कि भाषा के बारे में यूरोपीय विचारों में (पहले से निश्चित) में क्रांति लाता था ।
– लियोनार्ड ब्लूमफील्ड
मुझे भारतीयों से जलन है । क्योंकि यूनान में मेरा जन्म हुआ है जबकि भारत मेरी आत्मा है ।
– क्वीन फेडरिक



ऐसा लगता है मानो भारत को भगवान ने स्पेशल डिजायन किया हो (सभी भविष्यवादियों और सिद्दान्तों की मुकाबला करने के लिए) मेरा हृदय सैदेव यहाँ रहता है लेकिन मेरे साथी बाद में मेरे साथ यहाँ आयेंगे । जिनके लिए जहाज में एक्सट—ा जगह की जरूरत नही है । और जब मैं वापिस जाऊँगा तब नये लोग भी साथ में होंगे ।
भारतीय विद्यार्थी को अपने धर्म संस्कृति का मूल्यांकन करना चाहिए और वास्तव में जानी मानी भारतीय संस्कृति जीवन एवं मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । मैं विज्ञान एवं भारतीय संस्कृति इन दोनों को अलग नहीं करूगाँ ऐसा करना नुकसान देह है । व्यहारिक रूप में इनको अलग मानना मैं ठीक नहीं समझता हूँ ।
भारतीयदार्शनिकों के लिए सापेक्षता का सिद्धांत कोी नई खोज नहीं है । केवल एक प्रकाश वर्ष की संकल्पता है । कल्प को मिल्यिन में लोगों द्वारा समय के बारे में सोचना कोई आश्चर्य की बात नहीं है । क्योंकि एक कल्प करीब 43,20,000 वर्ष के बराबर होता है ।
योग एक ऐसा आईना है जो कि सीमित मनुष्य को अनंतता के परिवर्तन की पप्ति कराता है । भारतीयों को या भारतीय दिमागो (मन) को स्वभाविक मान्यता प्राप्त करना पड़ेगा विशेष विद्याओं वाले भारतीय मनों से ।
जब भी हम अपना ध्यान हिन्दु साहित्य की ओर केन्द्रित करते है अनंतता का परिचय यह अपने आप देती है ऐसा मेरा मत है ।
वेदान्त ने हमें सिखाया है कि आत्मा एक है एक ही सर्वत्र व्याप्त आत्मा में सब खेल हो रहे हैं और आत्मा के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं है ।
यह प्राचीन भारतीय संस्कृति है जिसने विज्ञान की कला को इतना आदर दिया यूरोप के हजारें वर्ष पहले भारतीय विद्वानों ने शून्य और अनंत की आपस में विपरीतता का मत दिया ।
यह भारत में था फिर भी वह गुलाब ज्ञान की देह थी जिसमें कि भाषा के बारे में यूरोपीय विचारों में (पहले से निश्चित) में क्रांति लाता था ।
मुझे भारतीयों से जलन है । क्योंकि यूनान में मेरा जन्म हुआ है जबकि भारत मेरी आत्मा है ।





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