Nira Radia Gang में रिटायर्ड अधिकारी की भरमार है । ये मंत्रालयों में ऊँचे पदों पर रह चुके है अतः सियासी गलियारों में तोल-मोल का खेल रचते हैं ।
Nira Radia Gang | नीरा राडिया गेंग- पत्रकारों की षड्यन्त्रकारी टीम
सीबीआई की एंटी करप्शन शाखा ने टेलीकॉम घोटाले के सिलसिले में पत्रकार नीरा राडिया के खिलाफ 21 अक्टूबर 2009 को मामला दर्ज किया। छानबीन शुरू की, तब पाया कि नीरा राडिया अपनी चार कंपनियों के जरिये टेलीकॉम, एविएशन, पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कॉरपोरेट सेक्टरों के फायदे के लिए बिचौलिये का काम करती है । नीरा राडिया अपने काम को पूरा कराने के लिए देश के नामचीन पत्रकारों को मोहरे के तौर पर उपयोग करती है तथा जिसकी भरपूर कीमत भी इन पत्रकारों को देती है।
बरखा और वीर सांघवी नीरा राडिया जैसी बिचौलिया के जरखरीद बन सियासी गलियारों में तोल-मोल का खेल रचते हैं। पत्रकारिता के पेशे की आड़ में काली कमाई कर रहे पत्रकारों ने पत्रकारिता के बूते बने अपने संपर्कों का उपयोग वे मंत्रिमंडलीय जोड़-तोड़ में करते हैं। अपने मतलब के कॉरपोरेट घरानों की सहूलियत के मुताबिक मंत्रियों को विभाग दिलवाते हैं और बदले में भारी-भरकम दलाली खाते हैं।
सबूत कहते हैं कि दलालीगिरी का खेल ये लोग बहुत पहले से करते आ रहे हैं पर इनका भांडा फूटा ए राजा को संचार मंत्री बनवाने के बाद । प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं चाहते थे कि आरोपों से घिरे ए राजा को संचार मंत्री बनाया जाय पर नीरा राडिया के घोर षड्यंत्र ने कांग्रेस के पावर कॉरिडोर में ऐसी जबरदस्त घेराबंदी की कि प्रधानमंत्री को बेबस होकर ए राजा को संचारमंत्री बनाना पड़ा ।
पत्रकार नीरा राडिया की चारों कंपनियों में तमाम रिटायर्ड अधिकारी नौकरशाहों की भरमार है । ये वे अधिकारी हैं, जिन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में ऊँचे पदों पर काम किया है और जिन्हें मंत्रालयों के अंदरूनी कामकाज की बखूबी जानकारी है ।
अधिक जानकारी के लिएः https://srsinternational.org/media-ki-kali-kartuten-multi-languages
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