Patrakarita Par Janata Aawaj यह है कि कोई इसे कुत्ता, वेश्या, जनविरोधी आदि कहती है लेकिन मीडिया है कि उसे इसकी परवाह नही है ।
Patrakarita Par Janata Aawaj | Public voice on journalism
मुझे बताइए, भारत का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है ? – अब्दुल कलाम
आज की पत्रकारिता वेश्यावृत्ति में बदल गयी है । – गजेंद्र नारायण रे (भूतपूर्व अध्यक्ष – भारतीय प्रेस परिषद)
पत्रकारों (reporters) के सिवाय मैं सबके लिये समानता में विश्वास रखता हूँ ! – महात्मा गाँधी
समाचार-पत्रों के लेखक व सम्पादक कुत्तों जैसे होते हैं । जब भी कोई चीज हिलती-डुलती है तो वे भौंकना आरम्भ कर देते हैं। – आर्थर शोपेनहावर (जर्मन दार्शनिक )
ये भ्रष्ट, लिच्चड़ व निकम्मे मीडियावाले मुझे अपना काम करने नहीं देते। – बाबा रामदेव
मीडिया जनविरोधी, आपराधिक वृत्तियों को बढ़ावा देनेवाला, लोगों को बाँटनेवाला है। – मार्कण्डेय काटजू (अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद)
मीडियावाले इतनी चालाकी, चतुराई एवं कुशलता के साथ दायें व बायें से हमारा ऐसे प्रयोग करते हैं कि शब्दों व वाक्यांशों के हेर-फेर में सच्चाई ही खो जाती है। – जूल्स कार्लाइल (कैनेडा के लेखक एवं हास्यकार)
मैं न तो एक भी समाचार पत्र लेता हूँ और न ही महीने में एक भी समाचार-पत्र पढ़ता हूँ । इससे मैं स्वयं को अनंत गुना प्रसन्न महसूस करता हूँ । – थॉमस जेफर्सन (अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति)
भारतीय मीडिया वही दिखाता है जो वह स्वयं देखना चाहाता है। – किरन बेदी
मुझे लाख बंदूकों (bayonets) से ज्यादा तीन अखबारों से डर लगता है । – नेपोलियन बोनापार्ट
अधिक जानकारी के लिएः https://srsinternational.org/media-ki-kali-kartuten-multi-languages
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