यहाँ Janleva Mobile aur Itihas में मोबाइल से किस तरह से क्रूरता हो रही है तथा मोबाइल के इतिहास के बारे में जानेगे कि कैसे मोबाइल का आविष्कार हुआ ।
मोबाइल से क्रूरता की हदें पार I Janleva Mobile aur Itihas
इंटरनेट, मोबाइल, कम्प्यूटर और टेलीविजन ने समाज को छिन्न-भिन्न करना शुरू कर दिया है । विशेषज्ञों के अनुसार देर रात तक जागकर इनका उपयोग करने से शरीर की बॉडी क्लॉक (Circadian rhythm) पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है ।
इससे सुबह स्रावित होने वाले हार्मोन रात को और रात को होने वाले हार्मोन सुबह स्रावित हो रहे हैं । विशेषज्ञों के अनुसार फास्ट फूड, पैक्ड फूड, नशा, अनियमित जीवन चर्या से भी असंतुलित हार्मोन स्रावित हो रहे हैं । इससे प्रभावित व्यक्ति जघन्य अपराध करने में भी नहीं झिझकते । ऐसे लोगों ने ही शव के सैकडों टुकड़े किये ।
विशेषज्ञों के अनुसार इलेक्ट्रोनिक यंत्रों की स्क्रीन से नीली रोशनी निकलती है । यही रोशनी सूर्य से भी निकलती है । देर रात जागकर स्क्रीन देखने से निकली नीली रोशनी को दिमाग सूर्य की रोशनी मान कर जागने की प्रक्रिया शुरू कर देता है और उसी अनुसार ‘कोर्टिसोल हार्मोन’ स्रावित करना शुरू करता है । जबकि समय अनुसार रात को नींद दिलाने वाला ‘मेलोटोनिन’ भी स्रावित होता है । शरीर में दोनों हार्मोन स्रावित होने से शरीर की ‘जैविक घड़ी’ की क्रियाविधि (Mechanism) बिगड़ जाता है ।
‘जैविक घड़ी’ का मूल स्थान मस्तिष्क की पीनियल ग्रंथि (आज्ञा चक्र) है, जो सचेतन मन द्वारा शरीर के सभी संस्थानों को नियत समय पर क्रियाशील करने का आदेश देता है, वही हमें जगाता व सुलाता भी है। शारीरिक कालचक्र या ‘जैविक घड़ी’ में विक्षेप होने से सिरदर्द, मधुमेह, मोटापा, कैंसर आदि तक हो सकते हैं । इसलिए ‘जैविक घड़ी’ के अनुसार दिनचर्या (भोजन- सुबह 9 से 11 व शाम 5 से 7 बजे, नींद- रात्रि 9 बजे से) करना चाहिए । अतः रात 9 बजने से पहले ही मोबाइल बंद करें ।
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मोबाइल फोन का इतिहास I Janleva Mobile aur Itihas
मोबाइल (MOBILE – Modified Operation Byte Integration Limited Energy) फोन जिसे सेलफोन या हाथफोन भी कहा जाता है । इसका आविष्कार मोटोरोला कम्पनी के सीनियर डेवलपमेंट इंजीनियर मार्टिन कूपर ने 3 अप्रैल 1973 में किया था । यह फोन एक ईंट के बराबर (लम्बाई 9 इंच और वजन 1.1 किलोग्राम) का था । यह फोन सेल्युलर नेटवर्क तकनीक पर काम करता था । इसे फुल चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था जिससे 30 मिनट तक बात हो सकती थी । इसमें बहुत सारी कमियाँ थी जिसे दूर करने में 10 वर्ष का समय लगा ।
सन् 1983 में ‘मोटोरोला डायना टैक-8000’ नाम से लोगों के लिये उतार गया । उन दिनों यह केवल अमेरिका के बाजार में उपलब्ध था जिसकी कीमत 3995 डॉलर थी ।
आज बाजार में तीन प्रकार के मोबाइल फोन उपलब्ध हैं । पहला सेल फोन जो साधारण और सबसे सरल की-पैड उपकरण है जिससे कॉल, एसएमएस व कुछ नम्बर सेव कर सकते हैं । दूसरा फीचर फोन जिसमें मल्टिमीडिया के कुछ फीचर्स डाले गये तथा इंटरनेट की सुविधा दी गयी, यह की-पैड वाला ही था । तीसरा स्मार्टफोन है जो एक प्रकार से टच स्क्रिन पॉकेट कम्प्यूटर हैं जो एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम से चलता है ।
स्मार्टफोन का ऑपरेटिंग सिस्टम चार प्रकार का होता हैः एंड्रोइड, आई.ओ.एस., ब्लैक बैरी और विंडो आधारित । सन् 1996 में ‘नोकिया-9000 कम्यूनिकेटर’ पहला स्मार्टफोन लांच हुआ था । भारत में पहली मोबाइल सर्विस सन् 1995 में ‘मोदी टेल्स्ट्रा मोबाइल नेट सर्विस’ द्वारा आरंभ की गई थी । आज ‘भारतीय दूरसंचार नेटवर्क’ मोबाइल उपभोक्ता के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है ।
Realated Link-पहला मोबाइल फोन
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