Mobile Tower se Nukasan I मोबाइल टावर के रेडियेसन से नुकसान

Written by Rajesh Sharma

📅 May 7, 2023

Mobile Tower se Nukasan

Mobile Tower se Nukasan यहाँ मोबाइल टावर के रेडिएसन से मनुष्य पशु पक्षी व पेडों को क्या क्या नुकसान हैं ? इस बिषय में रिसर्च क्या कहती है । मोबाइन टावरो की गाइड लाइन क्या है ? इनकी गलती के लिए शिकायत कैसे करे ?

मोबाइल टावर क्या है ? Mobile Tower se Nukasan

हमारे चारों तरह रेडिएशन फैलाने वाले कई स्रोत हैं । एक्स रे, गामा रे,  यूवी रे जिसे आयनीकरण विकिरण कहते हैं जिनका मेडिकल में उपयोग होता है । दूसरा है, गैर-आयनीकरण विकिरण जिसमें प्रकाश, रेडियो, मोबाइल की किरणें इत्यादि । इनमें से सबसे ज्यादा रेडिएशन मोबाइल टावर से फैलता है । मोबाइल टावर में जितना अधिक एंटीना होता है वहां रेडिएशन भी उतना अधिक होता है । टावर के 300 मीटर के अंदर विद्युत चुम्बकीय तरंगों का एक घना जाल जैसा बना होता है । इस रेंज में आने वाले सभी जीव जन्तु यहाँ तक कि हवा और मिट्टी को भी किसी न किसी रूप में ये तरंगें नुकसान पहुँचाती हैं ।

Mobile Tower se Nukasan पर रिसर्च क्या कहती हैः

Mobile Tower se Nukasan

Mobile Tower se Nukasan

a) मनुष्यों पर असरः देशविदेश में हुए अनेकों अध्ययन व शोधों से यह बात स्पष्ट हो गयी है कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से सर दर्द, कैंसर, माइग्रेन की समस्या, ब्रेन ट्यूमर, हार्ट अटैक, आँखों में जलन व पानी आना, चर्मरोग, चिड़चिड़ाहट, अनिद्रा आदि अनेकानेक बीमारियाँ होती हैं ।

कलकत्ता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने शोध किया कि इनके रेडिएशन कोशिकाओं को नष्ट कर कैंसर पैदा करती हैं । इनके प्रारम्भिक लक्षणों में सिरदर्द, थकान, भूलने की बीमारी तथा दिल व फेफड़ों की बीमारियाँ शामिल हैं । चित्तरंजन नेशनल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट, कलकत्ता के निदेशक जयदीप विश्वास का कहना है कि टावर के आसपास रहने वालों को खासकर बहरापन, अंधापन और स्मृतिभ्रंश होने की संभावना ज्यादा होती है ।

b) पक्षियों पर असरः रेडिएशन के दुष्परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं व पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो चली हैं । भारत में पक्षियों की 42 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं । ज्यादातर पक्षी शहरों से अपना बसेरा छोड़ चुके हैं । गौरैया, मैना, तोता, उच्च हिमालयी पक्षियों और  मधुमक्खियों पर सबसे अधिक खतरा मंड़रा रहा है । विशेष रूप से ‘गौरैया’ की संख्या कम हुई है । उनकी मृत्यु का कारण मोबाइल टावर ही है ।

c) पेड़ों पर असरः कुछ अध्ययन में पाया गया है कि मोबाइल टावर के रेडिएशन पेड़ों के लिए भी अच्छे नहीं है । मोबाइल टावर की तरंगों के सीधे सम्पर्क में आने से पेड़ों का विकास उतनी गति से नहीं होता, जितना होना चाहिए और उनके ऊपरी हिस्से सूख जाते हैं ।

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Mobile Tower se Nukasan पर कोर्ट क्या कहती है ?

ग्वालियर (म.प्र.) निवासी हरीश चंद्र तिवारी(उम्र 42 साल) दाल बाजार में प्रकाश शर्मा के घर पर काम करते हैं । प्रकाश के घर से 50 मीटर से भी कम दूरी पर पड़ोसी की छत पर BSNL का टावर सन् 2002 में लगाया गया । हरीश का दावा है कि पिछले 14 सालों से टावर से निकलने वाला रेडिएशन उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है जिससे उन्हें कैंसर हो गया है । वे सन् 2016 में टावर हटाने की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे । जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने सन् 2017 में फैसला दिया कि ‘BSNL का यह टावर 7 दिनों के अंदर इस जगह से हट जाना चाहिए ।’

अक्टूबर 2016 में DOT ने देश भर के 12 लाख टावरों में से 3 लाख 30 हजार टावरों की जांच की थी । इनमें से 212 टावर तय लिमिट से ज्यादा रेडिएशन छोड़ रहे थे । उनकी क म्पनियों पर 10 लाख का जुर्माना लगाया गया । अलग-अलग कंपनियों से 10 करोड़ की पेनॉल्टी रकम वसूली गयी ।

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मोबाइल टावरों की गाइड लाइनः

घरों से मोबाइल टॉवर कितनी दूरी, कितनी ऊँचाई आदि पर होने चाहिए यह सब डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DOT) ने गाइडलाइन जारी की है । अगर आपको इसमें किसी तरह की समस्या नजर आती है या फिर संदेह होता तो आप सीधे डीओटी (DOT) को इसकी शिकायत करिए । कम्पनियों पर 20 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है ।

मोबाइल टावरों जाँच व शिकायत कैसे करेंः

आपके घर के आसपास कितने मोबाइल टावर हैं, सरकारी नियमों के अनुसार लगे है या नहीं और कहीं इलेक्ट्मैग्नेटिक रेडिएशन (EMF Emissions) तो ज्यादा नहीं फेंक रहे हैं आदि जानकारी के लिए आप Tarang sanchar.gov.in अथवा ‘तरंग पोर्टल’ पर जाकर अपना क्षेत्र व अपनी निजी जानकरी भरें । आपके शहर के सारे टावर आपको स्क्रीन पर दिखाई देगें । इसमें स्थान बदल करके दूसरी जगहों के टावर की भी जानकारी ले सकते हैं । अगर गलती मिलती है तो इसकी शिकायत DOT में कर दीजिए।

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