यहाँ MobilePhone Lat Lakshan Upaay में बताया गया है कि हमें मोबाइल फोन की लत कैसे लगती है उसके लक्षण क्या है औऱ इस लत के छोडने के उपाय क्या है । इसका बहुत गहरा व अच्छा अध्यन करेगे ।
मोबाइल फोन की लतः II MobilePhone Lat Lakshan Upaay
जब भी हम वीडियो गेम, सोशल मीडिया आदि का प्रयोग करते हैं तो हमें बहुत मजा आता है । हमें एक कमाल का एहसास होता है । वह इसलिए होता है कि यह करते समय हमारे मस्तिष्क में एक डोपामीन (Dopamine) नाम का केमिकल स्रावित (Release) होता है ।
जब भी यह हारमोन स्रावित होता है तो हमें आनंद का एहसास होता है । इसी एहसास को, इसी हारमोन को पाने के लिए हमारा मस्तिष्क बार-बार उस एप आदि पर जाता है जो हमारी लत हो जाती है । इन एप्स (apps) में एआई (Artificial intelligence) होता हैं जिससे वे हमारे बारे में सब कुछ पता करके हमें वैसी ही चीजें दिखाते हैं जो हमें पसंद होती हैं और हम इनके जाल में फँसते चले जाते हैं ।
जब भी हम कोई मन पसंद काम करते हैं, जो हमें अच्छा लगता है तो उस वक्त हमारे दिमाग में नार्मल डोपामीन स्रावित होता है जो कि हमारे लिए अच्छा भी है लेकिन पोर्न (गंदी फिल्म) देखते वक्त सामान्य से 5 गुना ज्यादा डोपामीन स्राव होता है जो हमारे तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को पूरी तरह हानि करने लगता है । जिससे आगे चलकर हमें किसी अन्य चीजों के लिए अच्छा अनुभव होना बंद हो जाता है क्योंकि दिमाग को हाई डोपामीन की आदत बन जाती है ।
फिर वह इंसान पोर्न देखने का आदी हो जाता है हाई डोपामीन पाने के लिए । लेकिन एक समय के बाद यह हाई डोपामीन व कमाल का अनुभव भी उसे सामान्य लगने लग जाता है एक शराबी की तरह । फिर उसे संतुष्ट करने के लिए और बहुत ज्यादा डोपामीन चाहिए जिसके लिए वह और ज्यादा पोर्न देखता है जैसे सिगरेट पीने वाला 1,2 से शुरू होकर चैन स्मोकर बन जाता है ।
यहाँ MobilePhone Lat Lakshan Upaay में बताया गया है कि यह लत की यह अंधी दौड़ कभी खत्म नहीं होने वाली है । जब हम यह सब चीजें कर लेते हैं तो हमारे अंदर का खालीपन भरता नहीं है और फिर-फिर से हम वैसे का वैसा ही करने लगते हैं । खुशी न ढूँढ़ पाने की निराशा तनाव, डिप्रेशन और घबराहट में बदल जाती है । डॉक्टर भी कुछ दवाई देता है लेकिन यह दवाएं भी डोपामिन नाम के इस हार्मोन को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर पाती और डिजिटल संसार की माया उसे भुलाती चली जाती है ।
इंसान इसके नशे में डूबता चला जाता है और मानवता से दूर होकर वह अपने कैरियर को खत्म कर लेता है । आज पूरी दुनिया में काफी लोग स्मार्ट फोन की लत में फँसे हुए हैं । 66% मोबाइल उपयोगकर्ता को नोमोफोबिया (Nomophobia) यानी मोबाइल फोन का व्यसन हो गया है ।
वैज्ञानिकों की 10 सालों की खोज कहती है कि ड्रग्स लेने से दिमाग का सबसे बड़ा हिस्सा सिकुड़ने लगता है । ठीक यही नुकसान आजकल बहुत ज्यादा मोबाइल उपयोग और पोर्न (गंदी फिल्म) देखने का नशा से भी हो रहा है । जिससे उसका आत्म विश्वास, तार्किक व निर्णय शक्ति खत्म होने लगती है । एक समय के बाद उसे हर काम को करने में आलस्य आता है तथा दिमाग छोटी-छोटी बातों के लिए तनाव लेने लगेगा ।
मोबाइल फोन की लत के लक्षणः symptoms of mobile phone addiction
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कभी भी फोन में बिना मतलब का कुछ भी करते रहना अथवा फोेन का उपयोग करने के बाद भी उसमें कुछ का कुछ करते या देखते रहना ।
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ज्यादा गेम खेलना, सोशल मीडिया का अति उपयोग, ज्यादा वीडियो आदि देखना, खाना खाते समय भी मोबाइल का उपयोग, देर रात तक मोबाइल पर चिपके रहना आदि ।
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आप चाहकर भी फोन का उपयोग कम नहीं कर पा रहे हो । फोन में इतने व्यस्त रहते हों कि समय का पता तक नहीं चलता हो । फोन के ज्यादा उपयोग से घर में लड़ाई या रिश्तों में दरार होती हो ।
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दुख या कोई समस्या होने पर आप अपने को खुश करने के लिए स्मार्ट फोन का प्रयोग करते हों । यदि कुछ समय के लिए फोन आपसे दूर कर दिया जाय तो आप को गुस्सा, तनाव, चिड़चिड़ापन व बेचैनी होती हो ।
मोबाइल-लत छोड़ने के लिए क्या करें ? What to do to quit mobile addiction ?
स्टिव जोब्स ने आई फोन लाकर दुनिया में तहलका मचा दिया, एक बिलियन से ज्यादा लोगों को बेंच चुके हैं लेकिन उन्होंने अपने बच्चे तक को आई फोन उपयोग करने को नहीं दिया है, बिलगेेट्स का भी यही हाल है । फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग दिनभर फेसबुक पर टाइम पास नहीं करते, वे इसकी बकवास को जानते हैं । आज 95 % यूजर्स सोने से पहले फोन का उपयोग करते हैं ।
एनसीपीसीआर, मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 30.2 फीसदी बच्चों के पास अपना स्मार्टफोन है । इनमें से केवल 10.1 फीसदी बच्चे ही शैक्षिक काम के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं ।
सही मायने में देखा जाये तो ये सोशल मीडिया एप्लीकेशन नहीं है बल्कि एक विज्ञापन दिखा कर पैसे कमाने वाली कम्पनी है लेकिन हम उसमें फँसे रहते हैं । फोन ऑन करते ही हमें नोटिफिकेशन दिखाई देता है और हम अपने काम को छोड़ कर उस पर लग जाते हैं । ऐसा हमारे साथ दिन में पता नहीं कितनी बार होता है । मोबाइल की लत छोड़ने के लिए हमें पहले 30 दिन के लिए निम्न कदम उठाने पेड़ेेंगे ।
पहला कदमः
आज ही आप अपने मोबाइल फोन से सोसल मीडिया आदि उन सभी बिनजरूरी एप को डिलीट कर दें और फोन का नोटिफिकेशन भी बंद करें । किसी भी नशा को छोड़ने का सार्वभौमिक नियम है कि उस आदत को दूसरी आदत में बदल दें और अपने आप को यह महसूस करवायें कि इस गंदी आदत से हमें बहुत नुकसान है ।
दूसरा कदमः
अगर आप घर पर रहते हैं तो अपना फोन अपने से दूर रखें । खाना खाते व सोते समय फोन को अपने से दूर रखें । अगर आपको फोन से काम नहीं है तो बिना वजह उसे हाथ मत लगाइये । सुबह उठकर तुरंत फोन मत चलाइये । सुबह-शाम निश्चित समय पर कम से कम 15 मिनट जीभ को तालू में लगाकर नाभि के नीचे के संस्थान को अंदर खींचते हुए भ्रूमध्य में ओंमकार का ध्यान करें ।
तीसरा कदमः
हफ्ते में एक दिन फोन फॉस्टिंग करिये अर्थात उस दिन मोबाइल बंद रखिये । लत से बचने के लिए सभी मनोवैज्ञानिक एक ही उपाय बता रहे हैं, डोपामिन डिटॉक्स/डोपामिन फास्ट अर्थात हप्ते में एक दिन हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे हमारे दिमाग में डोपामीन का स्राव हो । रात में सोने से पहले मोबाइल फोन मत चलाइये । हर दिन लम्बी भ्रमण (Long Walking) पर जायें फोन घर पर रखकर ।
आप अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करो न कि इच्छाएं आप को । 30 दिन के बाद अपने मोबाइल में सिर्फ उन्हीं एप्लीकेशन का प्रयोग करें जो बहुत जरूरी हों वह भी कम से कम समय में काम पूरा करें ।
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