क्या आपको मालूम है, Bijali ki Khoj Kisane ki ? और कैसे कि थी ? आज के युग में बिजली का महत्व सर्वविदित है। व्यक्ति की दैनिक उपयोगिता से लेकर किसी भी देश की त्वरित विकास की मूलभूत आवश्यकताओं में से आज एक है बिजली । आर्थिक विकास के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में विद्युत का विशेष योगदान है । तो चलिए जानते हैं बिजली के खोज एवं विकास के इतिहास को ।
बिजली की खोज- Who Discovered Electricity
प्राचीन भारतीय गंथों में छः प्रकार की बिजलीयों का उल्लेख मिलता है-
- तडिद् –
जो चमड़े या रेशम के घर्षण से उत्पन्न होती थी ।
- सौदामिनी –
काँच या रत्नों के घर्षण से निर्माण की जाने वाली ।
- विद्युुत –
मेघ या वाष्प से उत्पन्न होने वाली ।
- शतकुंभी –
जो बैटरी के कुंभों से निकलती थी ।
- ह्मदिनी –
जो बैटरी के कुंभों से संचित की जाती थी ।
- अशनि –
चुंबकीय दण्ड से उत्पन्न होनेवाली ।
वर्तमान में इन सभी प्रकार की बिजलीयों का उत्पादन और उपयोग किया जा रहा है । यह रहा Bijali ki Khoj का असली इतिहास ।
Baitari ki Khoj- बैटरी की खोज किसने की
संस्थाप्य मृण्मये पात्रो ताम्रपत्रां सुशोभितम् ।
छादयेच्छिखिग्रिवेण चार्दाभि: काष्ठपांशुभि: ।।
दस्तालोष्ठो निघातव्य: पारदाच्छादितस्तत: ।
संयोगोज्जायते तेजो मैत्रावरूणसंज्ञितम् ।।
अनेन जलभंगोस्ति प्राणेदानेषु वायुषु ।
एव शतानां कुंभानां संयोग कार्यकृत्स्मृत: ।।
– अगस्त्य संहिता
तांबे और जस्ते की प्लेट को कोयले के चूरे, नौसादर और पारे के साथ संयोग द्वारा बिजली उत्पन्न करने की विधि अगस्त्य संहिता में दी हुई है ।
ऐसी सौ बैटरी से उत्पन्न शक्ति द्वारा पानी को हाईड्रोजन और ऑक्सीजन में विभक्त करके हाईड्रोजन से गुब्बारे द्वारा आकाश यात्रा की जा सकने का उल्लेख भी किया है ।
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