सदैव सम व प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है । ऐसी ही Asaram Bapu ki Vichardhara बहुत सी हैं जो अपने जीवन में काम आती हैं ।
Asaram Bapu ki Vichardhara- आसाराम बापू की विचारधारा क्या हैं ?
- सदैव सम व प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है ।
- किसी भी चीज को ईश्वर से अधिक मूल्यवान कभी मत समझो ।
- ईश्वर के सिवाय कहीं भी मन लगाया तो अंत में रोना ही पेड़ेगा !
- यदि समय का सदुपयोग किया जाय तो सब लोग महात्मा बन सकते हैं ।
- सब कुछ खोना पड़े तो खो देना, ईश्वर के अस्तित्व के प्रति श्रद्धा को कभी मत खोना ।
- सृष्टि कितनी भी बदल जाय फिर भी पूर्ण सुखद नहीं हो सकती जबकि दृष्टि जरा सी बदल जाय तो आप परम सुखी हो सकते हो ।
- हम जितना मूल्य संसार को देतें है, उतना मूल्य अगर ईश्वर को देवें तो सचमुच, फिर देर नहीं है, आप ईश्वर हैं ही।
- किस-किसको खुश करते फिरोगे ? एक भगवान को पा लो, गुरु के अनुभव को अपना अनुभव बना लो बस हो गई छुट्टी ।
- दुःख, विध्न-बाधाएँ तो सबके जीवन में आती हैं किंतु जो मुस्कराना जानते हैं उनके आगे वे साधना बन जाती हैं ।
- तुम अपने को दीन-हीन कभी मत समझो । तुम आत्मस्वरूप से संसार की सबसे बड़ी सत्ता हो । तुम्हें अपने वास्तविक स्वरूप में जागने मात्र की देर है ।
- उन्नति के शिखर पर पहुँचना है तो निराशा व दुर्बलता को तुरंत त्याग दो । दीन-हीन भयभीत जीवन को घसीटते हुए जीना भी कोई जीवन है । उखाड़ फेंको अपनी सब गुलामियों को कमजोरियों को ।
- बिध्न और बाँधाएँ, तुम्हारी सुषुप्त चेतना को, सुषुप्त शक्तियों को जागृत करने के शुभ अवसर हैं ।
- गौ और गीता विश्व को ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य निधि हैं । इन दोनों का आश्रय लेकर मनुष्य स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन प्राप्त कर सकता है ।
Related Artical:
0 Comments