Keral Nan Rep Kes kya hai | केरल नन रेप केस क्या है ?

Written by Rajesh Sharma

📅 January 18, 2022

Keral Nan Rep Kes में बिशप फ्रेंको मुलक्कल को कोर्ट से बरी करने के बाद देश की प्रमुख हस्तियाँ कोर्ट के फैसले से आहत हैं। यहाँ हम पूरे केश को समझेगें ।

Keral Nan Rep Kes kya hai | केरल नन रेप केस क्या है ?

नन बलात्कार मामले में केरल के रोमन कैथोलिक चर्च के बिशप फ्रेंको मुलक्कल (Roman Catholic Bishop Franco Mulakkal) को कोर्ट से बरी करने के बाद प्रमुख हस्तियों और लोगों को प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। वे कोर्ट के फैसले से खासा आहत हैं। पिछले 3-4 वर्षों से पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटीं अनुपमा कोर्ट के फैसले से बेहद निराश हैं। कुराविलंगड में अपने कॉन्वेंट के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “पैसे और पॉवर की जीत हुई है। कोर्ट के फैसले से हम सबको दुख पहुँचा है। हम इस फैसले पर विश्वास नहीं कर सकते।”

Keral Nan Rep Kesराष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा (Rekha Sharma) ने भी इस फैसले पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, “केरल अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय के फैसले से हैरान हूँ। पीड़िता को उच्च न्यायालय जाना चाहिए। न्याय की इस लड़ाई में एनसीडब्ल्यू उनके साथ है।”

अभिनेत्री रीमा कलिंगल भी कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर कुराविलंगाडु की ननों की एक तस्वीर हैशटैग ‘अवलकोप्पम’ के साथ साझा की है। वहीं पार्वती थिरुवोथु ने नन की तस्वीर के साथ अपने फेसबुक पेज पर ‘ऑलवेज विद हर’ लिखा है।

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जाँच टीम को झटका

यह फैसला अभियोजन पक्ष, जाँच दल और शिकायतकर्ता के लिए चौंकाने वाला है। मीडिया को जवाब देते हुए, स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर जितेश जे बाबू ने कहा कि इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा, “मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि किस आधार पर कोर्ट ने इस मामले को खारिज किया है।” इस मामले की जाँच कर रहे कोट्टायम (Kottayam) जिले के पूर्व पुलिस प्रमुख हरिशंकर को भी इस फैसले से निराशा हुई है।

उनके (हरिशंकर) अनुसार, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कोर्ट नन से बलात्कार मामले में ऐसा फैसला सुनाएँगे, क्योंकि अभियोजन पक्ष और जाँच टीमों को इस मामले में 100 प्रतिशत यकीन था कि दोषी बिशप को सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला बलात्कार के मामलों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के विभिन्न फैसलों की अनदेखी करता है। निश्चित रूप से, यह फैसला भारतीय न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। हम इस फैसले को चुनौती देंगे, क्योंकि इस फैसले से समाज में गलत संदेश जा रहा है।

बता दें कि नन से दुष्कर्म के मामले में केरल के रोमन कैथोलिक चर्च के बिशप फ्रेंको मुलक्कल (Roman Catholic Bishop Franco Mulakkal) को कोर्ट ने शुक्रवार (14 जनवरी 2022) को बरी कर दिया था। इसके पीछे कोर्ट ने पीड़िता के बयानों में समानता का नहीं होना और आरोपित पर दोष को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं कराने जैसे कई कारणों का हवाला दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी गोपाकुमार द्वारा सुनाए गए 289 पन्नों के फैसले के अधिकांश विवरण बाद में सामने आए थे।

केस क्या था ?

जून, 2018 में कुराविलंगड पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी के मुताबिक एक कैथोलिक चर्च की वरिष्ठ नन ने जालंधर के तत्कालीन बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर उनके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। एफआईआर के मुताबिक 2014 और 2016 के बीच कुराविलंगड में मिशन कॉन्वेंट में  पीड़ित को 13 बार अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया ।
Keral Nan Rep Kes

ननों ने की थी भूख हड़ताल  

प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ ही समय बाद, सितंबर 2018 में, पीड़िता के करीबी ननों के एक समूह ने मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोच्चि में केरल उच्च न्यायालय परिसर के सामने भूख हड़ताल शुरू की। ननों के इस विरोध प्रदर्शन की वजह से मुलक्कल को जालंधर से कोच्चि लाया गया। पुलिस ने तीन दिनों तक बिशप से पूछताछ की और आखिरकार विशेष जांच दल ने उन्हें उसी महीने गिरफ्तार कर लिया था।उन पर नन को गलत तरीके से बंधक बनाने, दुष्कर्म करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। करीब एक महीने बाद वह जमानत पर छूट गए। बंद अदालत में करीब 105 दिनों तक चली सुनवाई के बाद उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने उन्हें बरी करते समय सबूतों के अभाव का हवाला दिया।
Kerala nun rape case
क्यों अहम है यह मामला ?

यह पहली बार है जब किसी कैथोलिक बिशप को भारत में दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उस पर मामला दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद मुलक्कल को जालंधर में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। यह घटना लोगों का ध्यान इस ओर लेकर आई कि क्या चर्च के भीतर ननें यौन-दुर्व्यहार का शिकार हो रही हैं और उनके शिकायतों के निवारण के लिए कोई तंत्र मौजूद नहीं है?महिला संगठनों और ननों के समूह का मानना है कि अक्सर पादरियों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायतों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है और प्रबंधन के लोगों पर ऐसे मामलों को दफन कर देने के आरोप लगते रहते हैं। महिला संगठनों का कहना है कि चर्च के भीतर की सत्ता संरचना में महिलाओं के लिए सुरक्षित जगह होनी चाहिए।
Kottayam court

Kottayam court – फोटो : ANI
ननों के समूह का क्या कहना है?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण केरल जिले के कुराविलांगड कॉन्वेंट में रहने वाली पीड़ित के समर्थक नन समूह का कहना है कि वे इस मामले में न्याय लेकर रहेंगी। पीड़ित के न्याय की लड़ाई में चली आ रही लड़ाई का चेहरा रहीं सिस्टर अनुपमा ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि वे निश्चित रूप से फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगी और अपने सहयोगी की लड़ाई को वे आगे लेकर जाएंगी। उन्होंने कहा कि वे अपनी लड़ाई तब तक जारी रखेंगी जब तक कि हमारी बहन को न्याय नहीं मिल जाता। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने हमारे साथ न्याय किया लेकिन हमें न्यायपालिका से अपेक्षित न्याय नहीं मिला/  साभार – अमर उजाला, नई दिल्ली

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