Bharat men Dharmanirpekshata Kyon | भारत में धर्मनिरपेक्षता क्यों ?
Bharat men Dharmanirpekshata Kyon (Why secularism in India)- नि:संदेह इसने अनेक प्रश्नों को जन्म दिया, इसने कांग्रेस पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखा ।
धर्मनिरपेक्ष शब्द भारतीय संविधान में आपातकाल के दिनों में 3 जनवरी 1977 को सभी विपक्षी नेता , विचारक , लेखकों आदि को जेलों में बंदकर के दस मिनट में पारित कर दिया गया । नि:संदेह इसने अनेक प्रश्नों को जन्म दिया । अपातकाल में ऐसी कौन सी आवश्यकता आ पड़ी थी जो इसे अलोकतांत्रिक ढंग से जनमत को समझे बिना भारतीय संविधान का भाग बनाया गया ? इसने कांग्रेस पार्टी के हितों को सर्वोपरि तथा राष्ट्रहितों को तार-तार कर दिया ।
धर्मनिरपेक्ष का उद्देश्य भारत की प्राचीन संस्कृति का दमन करना है। अधिकतर विद्वानों ने इसे ब्रिटिश मानसिकता की उपज तथा यूरोप से आयातित विचार बतलाया जिसने अनेक भ्रांतियों को जन्म दिया । सेकुलरिज्म के नाम पर देश से बहुत ही राजनीतिक , सामाजिक , संवैधानिक ठगी हुई है। इसके सहारे बहुत बार लोकतंत्र का गला घोंटा गया है और देश के बहुसंख्यक समज को अपमानित किया गया है । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सभी अपराध छिप जाते है या छिपा दिए जाते हैं। यह सब कांग्रेस की इंद्रिरा गांधी ने शुरु करवाया । कोई भी सोच सकता है कि Bharat men Dharmanirpekshata Kyon ?
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