भारत में Namak ke Prakar नमक के प्रकार को जानने के लिए व रस, अम्ल क्षार का उपयोग कैसे होता है यहाँ जानने को मिलेगा ।
Namak ke Prakar- नमक के प्रकार भारत में
सौवर्चलसैन्धवकं चूलिकमामुद्ररोमकविडानि ।
षडुूलवणान्येति तु सर्जीयवटंकणाः क्षाराः । ।
– रस हृदय, नवम पटल
भारत में छःप्रकार के नमक का उत्पादन सैंकड़ों वर्षो पूर्व से होता आ रहा है ।
(1) समुद्री नमक
(2) चट्टानी नमक या सैंधव नमक
(NaCI +Traces of Ma2S)
(3) वीड नमक (The salt mixture which produces Aqua-Regia on heating)
(4) सौवर्चल नमक (KNO3) Potassiam Nitrate
(5) रोमक नमक सांभर झील से प्राप्त
(NaCI 75% + Na2SO4 18 % Traces of Na2CO1 5 %)
(6) चूलिका नमक (Salt formed in earth by burning wood – NH4CL, Ammonium Chloride)
ये विभिन्न प्रकार के नमक खाने के अलावा मुुख्य रुप से रासायनिक क्रियाओं द्वारा औषधि निर्माण तथा धातुओं के शोधन-जारण आदि में उपयोग किए जाते थे । इन्हें बनाने तथा इनके प्रयोग की पूरी विधि एवं बड़े पैमाने पर इनके उत्पादन की जानकारी संस्कृत के प्राचीन रसायन ग्रथों में दी हुई है ।
यह भी पढे- नमक के 12 प्रकार
रस, अम्ल, क्षार
माक्षिकं विमलं शैलं चपलं रसकस्तथा ।
सस्यको दरदयचैव स्त्रोतोअन्जनमथाष्टकम् अष्टौ महारसा: ।
– रसार्णव 7.2-3
रसायन एवं चिकित्सा के प्राचीन ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के रस, अम्ल, क्षार बनाने एवं उनके उपयोग का उल्लेख है । इन अम्लों एवं क्षारों द्वारा विभिन्न धातुओं का शोधन किया जाता था ।
धातुओं का मिश्रण, गलाना, भस्म बनाना आदि कार्य जिन अम्लों और क्षारों से होता या वे आधुनिक विज्ञान द्वारा आज भी प्रयोग किए जा रहे हैं । यह परम्परा कितनी पुरानी है निश्चित नहीं कहा जा सकता क्योंकि हजारों वर्ष पुराने धातुओं के जो पुरातात्विक प्रमाण मिलते हैं, वे बिना इन रसायनों और इनके रासायनिक प्रयोगों के नहीं बन सकते थे ।
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