Agni ki Khoj किसने की तथा यह कितने प्रकार की होती है व कहाँ कहाँ पाइ जात है । यह सब जानकारियाँ यहाँ दी जा रही है । शास्त्रो में इसका महत्व ।
Agni ki Khoj- Who Discovered Fire?
मानव जाती का सबसे
महत्वपूर्ण आविष्कार
मानव का जब इस धरती पर प्रादुर्भाव हुआ,
तब वह एक निरीह असहाय से प्राणी के रूप में था,
न शिकार के लिए शेर जैसे नुकीले दाँत-पंजे,
न हिरण जैसी दौड़ने की क्षमता, न हाथी
जैसी शक्तिशाली काया, न पक्षियों की तरह उड़ने की
और न ही मछलियों की तरह तैरनी की प्रतिभा ।
जब प्रकृति के आगे शारीरिक रूप से असहाय इस मानव ने
अपने नेत्र मूंदकर अपने अंत-करण में झाँका तो किसी ने
उसे उत्तेजित करते हुए कहा –
द्यौस्ते पृष्ठं पृथ्वी
सधस्थमात्मान्तरिक्षं समुद्रोयोनि: ।
विक्शाय चक्षुषा
त्वमभितिष्ठ पृतन्यत: ।
– यजुर्वेद 11:20
‘है मर्त्य, तू अपनें को छोटा मत समझ । तू विशाल है, विस्तृत द्यौलोक तेरा पृष्ठ है, पृथ्वी तेरा आश्रय स्थान है, अंतरिक्ष तेरी आत्मा है, समुद्र तेरी योनि है । खुले हुए नेत्रों से तू देख, तू समस्त परिस्थितियों पर विजयी होगा ।’
है मर्त्य, तू अग्नि है, अग्निपुत्र है,
पृथ्वी के गर्भ से अग्नि का खनन कर,
यह अग्नि तेरी विजय का
एकमात्र आश्रय होगी ।
‘हम पृथ्वी के गर्भ से निरंतर अग्नि का खनन करते रहेंगे ।’
– यजुर्वेद 18:12
ऋचाओं के आदेश से मानवों ने अथर्वा-अंगिरस के नेतृत्व में सर्वप्रथम अग्नि का खनन किया । निरीह-सी मानव जाति को सबसे शक्तिशाली बनानेवाला यह अग्नि-अभियान भारत की पुण्यभूमि से ही आरंभ हुआ ।
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