भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ‘‘संस्कृति रक्षक संघ’’ की स्थापना की गयी है । इस संघ का मूल उद्देश्य सनातन संस्कृति के संस्कारों को जन-जन के जीवन में लाना है Ÿ। संस्कृति-उत्थान हेतु इस संघ द्वारा की जा रहीं सत्प्रवृत्तियाँ राष्ट्रनिर्माण का एक सफल प्रयास हैं ।
‘संस्कृति रक्षक संघ’ एक स्वतंत्र व निष्पक्ष संगठन है, जो कि भारतीय संस्कृति की रक्षा व प्रचार के लिए संकल्पबद्ध है। यह संगठन भारतीय संस्कृति के जीवनमूल्यों को एवं लुप्त हो रही पावन परंपराओं को पुनर्स्थापित करने का कार्य करता है तथा यह युवाओं में संस्कृति प्रेम जगाने के कार्य को प्राथमिकता देता है।
यह संगठन सभी संस्कृति प्रेमी संगठनों व राष्ट्रप्रेमियों के साथ मिलकर चलने के लिए कटिबद्ध है। यह इस सभी प्रयासों को तत्परता से करता है, जिनसे देशवासी अपने शास्त्रों, संतों, महापुरुषों एवं ऋषियों के बताए हुए मार्ग का तन-मन-धन से अनुसरण करते हुए उत्तम व सुसम्पन्न बनें।
‘संस्कृति रक्षक संघ’ सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे हुए सभी संगठनों का मित्र संगठन है, यहाँ तक कि विश्व कल्याण में संलग्न सभी देशों का भी सहयोगी है।
प्रमुख सेवाकार्य
- भारतीय सनातन संस्कृति के उच्च आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाना।
- नगर-नगर पर चिकित्सालय, गौशाला, अन्नपूर्णा मंदिर (भोजनशालाएँ) इत्यादि के माध्यम से लोगों की सेवा करना।
- गाँव एवं आयुर्वेद पद्धति से उपचार का प्रचार करना।
- गरीब, पिछड़े क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक उत्थान के लिए कार्य करना।
- वैदिक शिक्षा के माध्यम से लोगों में सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना।
- अनुसूचित, भेदभाव से ग्रसित समाजजनों समरसता का निर्माण करना।
- प्राकृतिक आपदाओं के समय सेवा-कार्य स्थल स्थापित करना।
- संस्कृतिप्रेमी संगठनों की भावनाओं को जन-जन तक पहुँचाना।
संस्कृति रक्षक संघ एन.जी.ओ. के माध्यम से लोगों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित करना।
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