स्वामी लीलाशाह, हरिहर बाबा, पयहारी श्रीकृष्णदासजी, खिचड़ी बाबा, शिरडी के सांई बाबा, संत आसारामजी बापू आदि Yogiyo ke Chamatkar- Rahasy
(17) स्वामी लीलाशाह (सन् 1880 ई.-1973 ई.)
भारत-पाकिस्तान विभाजन पूर्व की बात है हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक जमीन के विवाद में आपको हिन्दू भाई बहुत आग्रह करके ले गये । वहाँ जाकर आपने सामने खड़े नीम के पेड़ पर दृष्टि डालकर गर्जना करते हुए आदेश दिया ‘‘ऐ नीम ! तू यहाँ क्या खड़ा है ? जा वहाँ जाकर खड़ा रह ।’’ नीम तो सर्र..सर्र.. करता हुआ खिसकने लगा एवं दूर जाकर खड़ा हो गया । सभी मुसलमान आपके चरणों में गिर पड़े और कहने लगे ‘‘आप केवल हिन्दुओं के ही पीर नहीं । आप तो हमारे और सभी के पीर हैं । आज से आपको लीलाराम नहीं स्वामी लीलाशाह कहेंगे ।’’ तब से धीर-धीरे लोग लीलाराम नाम भूल ही गये स्वामी लीलाशाह नाम से लोग जानने लगे ।
मृतक बालक जिंदा किया : आप किसी गाँव में जा रहे थे कि एक गरीब स्त्री अपने मृतक पुत्र को रास्ते में लिटाके, थोड़ी दूर बैठकर रो रही थी । बालक को अचानक रास्ते में पड़ा हुआ देखकर आपश्री के मुख से एकाएक निकल पड़ा ‘‘बेटा ! बेटा ! उठ.. उठ !’’ मृतक बालक तुरंत उठ खड़ा हुआ । यह देख उसकी माँ आपके चरणों में प्रणाम करके खूब-खूब आभार मानने लगी । आप तो उस स्त्री से ही प्रार्थना करने लगे कि यह घटना किसी को न कहना । परंतु
तप करे पाताल में, प्रकट होय आकाश ।
रज्जब तीनों लोक में, छिपे न हरि का दास ।।
जैसे गुरु, वैसे चेला : आपके द्वारा अनेकों सेवा प्रवृत्तियाँ चालू की गयीं जो आज भी चल रही हैं । भारत विभाजन के बाद लोगों को पुनर्वास कराने में आपकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही । आपके शिष्य संत आसारामजी हैं । शरीर छोड़ते समय आप ने आसारामजी में सारी शक्तियाँ समाहित कर दी । संत आसारामजी के वर्तमान में 450 आश्रम, 1400 समितियाँ व 17,000 निःशुल्क बाल संस्कार केन्द्र तथा बहुत से गुरुकुल व डिग्री कॉलेज हैंव 4 से 5करोड़ शिष्य होने का अनुमान है । कई राज्यों में गरीबों, अनाश्रितों एवं विधवाओं के लिए राशनकार्ड तथा खाली बैठे वृद्धों व परिवारजनों के लिए ‘भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ योजना’ आदि चालू हैं ।
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योगियों के चमत्कार व रहस्य भाग- 2Yogiyo ke Chamatkar- Rahasy (18) संत आसारामजी बापूः
साधना काल की बात है, डीसा (गुज.) बनास नदी के किनारे आप अक्सर बैठते थे व वहीं अपना पीतल का कमंडल व धोती छोड़कर नदी के विशाल तट पर सैर करने चले जाते थे । लावारिश सामान समझकर कोई उठाकर चलने लग जाता । वह कुछ दूर जाता, फिर आता, फिर जाता, फिर आता, जब तक वह सामान रख नहीं देता तब तक घर जा नहीं सकता था।
मृत गाय दिया जीवन दाना : डीसा (गुज.), शाम का समय, आप टहलने निकले थे, रास्ते में मरी गाय देख आप करुणावान हुए, हाथ में जल ले जैसे ही छिड़का, गाय तुरंत उठ खड़ी हो गयी । यहाँ Yogiyo ke Chamatkar- Rahasy को समझ सकते हैं ।
जब चाहे तब वारिश : सन् 1989, अमदाबाद आश्रम का सत्संग पंडाल खचाखच भरा हुआ है । ‘दे दे दे…। ’ कहते हुए बापूजी नल खोलने का इशारा करते तो जोरदार बारिश चालू हो जाती, जब चुटकी बजाकर हाथ ऊपर ले जाते तो बारिश बंद हो जाती । ऐसे तीन बार 5-5 मिनट के अन्तराल पर बापूजी ने किया । भक्त कहने लगे – बादल भी बरसात से पहले तेरी ही आज्ञा माँगे । कई बार आप ने चलती रेल को योग शक्ति से रोक दिया ।
गुंबद पर बापू : एक बार पेटलावद (म.प्र.) स्थित मंदिर के गुंबद पर बापूजी का छाया चित्र उभर आया जो कि कई दिनों तक रहा । जिसको देखने के लिए हजारों लोगों का ताँता लगने लगा । मीडिया ने भी इसे अपनी प्रमुख खबर बनाया ।
हेलिकॉप्टर गिरा, हुआ चमत्कार : सन् 2012 में बापूजी दो शिष्यों व पायलट सहित हेलिकॉप्टर द्वारा मोरबी से गोधरा सत्संग करने जा रहे थे । हेलिकॉप्टर गोधरा में सत्संगियों की हजारों की भीड़ में गिरापुर्जे चकनाचूर हो गये लेकिन किसी को खरोंच तक नहीं आयी । यह चमत्कार टेलीविजन पर लोगों ने घर बैठे देखा था ।
संत आसारामजी का आर्शीवाद बांटने का चमत्कारिक ढंग :
- बड़दादा कृपा : बापूजी ने कई दर्जनों वटवृक्ष व कुटिया पर शक्ति-पात किया है, जिसकी परिक्रमा कर मन्नत मानने से मन्नत पूर्ण हो जाती हैं ।
- संतान प्राप्ति प्रसाद : तीन ‘ध्यान योग शिविर’ भरने के बाद आप द्वारा दिये प्रसाद से हजारों निःसन्तान दम्पत्तियों को सन्तानें प्राप्त हुई हैं ।
- स्वरूप स्थापन कृपा : घर-दुकान कहीं भी आपके श्रीचित्र की स्थापना करने से भूत-प्रेत, टोना-टोटका, कलह आदि चला जाता है ।
- शक्तिपात शिविर : आपके शक्तिपात से लाखों लोगों की कुंडलिनी शक्ति जागृत हुई, रोग मिटा, साधना में उन्नति आदि फायदे हुए ।
- घर-घर पाठ कृपा : हजारों-हजार भक्त घर-घर भजन-कीर्तन व श्री आसारामायण पाठ करते हैं जिससे ग्रहबाधा व अशांति दूर हो जाती है ।
- मौन मंदिर कृपा : इस साधना से सुख-शांति व समृद्धि आती है तथा हजारों ने इष्ट का दर्शन व दिव्य लोकों का विचरण किया है ।
- स्वप्न मिलन कृपा : आपके स्वरूप का कण्ठकूप में ध्यान कर सो जाने से आप सपने में आकर बातचीत व कृपा करते हैं, यह गुप्त बात है।
- सत्संग प्रसाद : सत्संग में आपके आभा-प्रभाव से लोगों के रोग, शोक, मोह आदि छूट जाते हैं । डॉ. तापडिया के ‘ओरा-यंत्र’ से भी यह सिद्ध हुआ है ।
- दीक्षा प्रसाद : आप अपने दीक्षित शिष्यों की दुर्घटना, मुसीबतों आदि में रक्षा करते हैं, हजारों शिष्यों की यह अनुभूति है ।
- सेवा प्रसाद : साधना में शीघ्र उन्नति का सहज मार्ग ‘सेवा’ कई प्रकार की चालू है, लाखों ने दूसरे योग की तरह इसे ‘सेवायोग’ बना लिया । Related Artical- योगियों के रहस्य व चमत्कार भाग- 3योगियों के चमत्कार- रहस्य भाग- 4
(19) शिरडी के सांई बाबा (अज्ञात-सन् 1917 ई.)
मकर संक्रांति के दिन भक्त मेघा ने कहा बाबा गोदावरी माता का जल लाया हूँ आपको नहलाऊँगा । बाबा ने कहा ‘‘मेघा मेरे शरीर में सिर ही मुख्य है । केवल सिर ही भीगे बाकी बदन सूखा रहे ।’’ मेघा ने तो छोटी चौकी पर बाबा को बिठाकर सिर पर पूरा घड़ा ही उड़ेल दिया । आश्चर्य ! बाबा का केवल सिर ही भीगा था बदन पर एक बूँद भी पानी नहीं था । झ एक दिन दीपक जलाने के लिए दुकानदारों ने तेल नहीं दिया । बाबा ने दीपकों में बत्तियाँ लगाकर, सभी दीपकों में पानी डाल दिया । दीपक पानी से जलने लगे ।
(20) हरिहर बाबा (सन् 1821 ई.-1949 ई.)
छपरा (बिहार) जिले के जफरापुर गाँव में जन्मे बाबा वाराणसी के अस्सीघाट गंगा नदी में बड़ी नाव पर रहते थे । एक दिन की बात है अस्सीघाट पर बड़ा यज्ञ हो रहा था, काफी भीड़ थी, बारिस अपना रंग जमा रही थी । खुला यज्ञ मण्डप, घबड़ाये लोग हरिहर बाबा रक्षा करो अन्तर मन में चलने लगा । एकाएक बाबा आए और मण्डप की परिक्रमा किया। आश्चर्य ! मूसलाधार बारिश चालू हुई लेकिन पानी की एक बूंद भी खुले मण्डप में नहीं आ रही थी।
भक्तों को मिली दिव्यदृष्टि : दशहरे का दिन, नाव में स्थित बाबा के सामने भजन-कीर्तन कर रहे भक्तों के मन में दशाश्वमेघ घाट पर हो रहे मूर्ति-विसर्जन पर्वोत्सव देखने की इच्छा हो रही थी बस बाबा की आज्ञा चाहिए थी। बाबा ने कहा ‘‘उतनी दूर जाने की क्या जरूरत? वहाँ का सारा दृश्य यहाँ बैठे-बैठे भी देखा जा सकता है ।’’ कुछ ही क्षणों में सभी भक्तों को वहाँ का सारा दृश्य साक्षात् दिखाई देने लगा जैसे संजय को महाभारत का युद्ध दिखाई दे रहा था । सभी भक्त भाव विभोर हो गये।
Yogiyo ke Chamatkar- Rahasy- (21) खिचड़ी बाबा :
वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर खिचड़ी बाबा का हरिहर बाबा से बड़ा प्रेम था भक्त नित्य कड़ाही में खिचड़ी बना देते थे, खिचड़ी बाबा आकर कड़ाही को छू देते थे फिर अनगिनत लोगों को भण्डारे में खिचड़ी खिलायी जाती थी ।
Yogiyo ke Chamatkar- Rahasy- (22) पयहारी श्रीकृष्णदासजी :
रातभर रहने के लिए आप जयपुर (राज.) में गलता जगह पर कनफटे वैष्णवद्रोही योगियों के पास गये। परन्तु उन विमुख योगियों ने कहा ‘यहाँ से उठ जाओ ।’ तब आप ने अपनी धूनी की आग को कपड़े में बाँध ली और दूसरी जगह जा बैठे तथा वही आग कपड़े में से निकाल कर रख दिया । कपड़े का न जलना देखकर वहाँ के योगियों का महंत ‘बाघ’ बनकर आप पर लपका । आप ने कहा ‘तू कैसा गधा है ।’ तुरन्त वह गधा हो गया और फिर अपने बल से मनुष्य न बन सका । आमेर के राजा पृथ्वीराज ने आपकी सेवा में जाकर जब बड़ी प्रार्थना की, तब आपने गधे को फिर आदमी बनाया तथा आज्ञा दिया कि ‘‘इस जगह को छोड़कर तुम सब अलग रहो और इस धूनी में लकड़ियाँ पहुँचाया करो ।’’
(23) प्रगटे भगवान शिव :
सन् 1879 में भारत में ब्रिटिश शासन था । उन्हीं दिनों अंग्रेजों नेे अफगानिस्तान पर आक्रमण किया । युद्ध का संचालन लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था । इसकी पत्नी को युद्ध के कई दिनों तक समाचार न मिलने पर पत्नी ने ब्राह्मणों की सलाह से पति की रक्षा के लिए ‘लघु रुद्री अनुष्ठान’ व शिव आराधना की। जिससे भगवान शिव प्रसन्न हो गये ।
उधर कई दिनों तक युद्ध चलता रहा, एक दिन अचानक कर्नल मार्टिन को पठानी सेना ने चारों तरफ से घेर लिया, इसका प्राण बचाकर भागना भी मुश्किल हो गया । ऐसी विकट परिस्थिति में एक योगी हाथ में त्रिशूल लिए प्रगट हुए और त्रिशूल इतना तीव्र गति से घुमाया कि पठानी सेना भागने लगी, तभी इन्हें वार करने का मौका मिल गया और इनकी हार जीत में बदल गयी। वे योगी मार्टिन को हिम्मत देते हुए कहने लगे : ‘घबराओ नहीं, मैं भगवान शिव हूँ । तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूँ ।’
पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन ने पंद्रह हजार रुपये देकर उस बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी उस मंदिर में लगा है। पूरे भारत में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह एकमात्र हिन्दू मंदिर है ।
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