Bharatiy Sanskriti- 8 | भारतीय संस्कृति, भाग- 8

Written by Rajesh Sharma

📅 April 8, 2022

Bharatiy Sanskriti- 8 | Indian Culture, Part- 8

Bharatiy Sanskriti- 8 में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें ।

पश्चिमी विचारकों ने भारतीय दर्शन एवं धर्म (आध्यात्म) के अध्ययन से एक नई अदृश्य जटिल दर्शन की खोज की है ।

– डेल एम राइप

वेद और उपनिषद भारत के सबसे अधिक सम्मानित एवं प्राचीन धरोहर है । विश्व के सबसे प्राचीन बौद्धिक धरोहर है । दैवीय शक्तियों द्वारा खोजी गई ब्रह्माँड में सबसे अच्छा संग्रह है । अनका आरम्भ पता नहीं है । ये अनंत काल से हिन्दुओं की उत्तरात्तेर आनुवांशिक सम्पत्ति है ।

– हंस टोरवेस्टन

कल्पना में भी चीन इतना अच्छा धर्म भारत से पहले कभी नहीं देखा था और इतना अच्छा और मोहित करने वाला और इतना साहसी कर्मबद्द ब्रहमांडव्यापी एवं आध्यात्मिक सिद्धांत भारतीयों ने सबको पूर्व उदारता से निशुल्क सबको इनका दान दिया है । चाईना भारत के इसकर्ज का इतना कृतज्ञ है जिसका कभी पूर्ण वर्णन नहीं किया जा सकता है ।

– हु शिह

भारत ही केवल एक विश्व का सबसे महान विश्वास वापी है जो कि सत् विचारों के पोषण के लिए समर्पित है ।

– डॉ. कर्ल सगन

क्रमिक खोजके बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि बहुत पहले से सभी ईश्वरीय ग्रंथ ईश्वर ने हिन्दुओं (भारतीयों) के लिए प्रकट किये- प्राचीन ऋषियों के माध्यम से जिनका मुख्य देव ब्रह्म है उनके ज्ञान की चार मुख्य ग्रंथ ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद है । कुरान में स्वत: उपनिषदों का संदर्भ मिलता है (उपनिषदें) प्रथम ईश्वरीय ग्रंथ है एवं अद्वैतवादी समुद्र (ग्रंथ संग्रह) के मुखका प्रथम झरना (स्रोत) है ।

– मोहम्मद दारा शिकोह

प्राचीन भारतीय वास्तविक एवं ईश्वर का ज्ञान रखते थे । जो कि ग्रंथों में शुद्ध एवं सारगर्भित भाषा मेंं लिखते थे बता कर प्रदर्शित करते थे । युरोप का उन्नत दर्शन होने के बावजूद एवं ग्रीक को आदर्श मानने के कारण हमारा दर्शन भारत के दोपहर के सूर्य के सामने जुगनु जैसा चमकता प्रतीत होता है ।

– फ्रेडरिक वोन स्कलेगल

अंधयुग में सबसे ज्यादा प्रभाव आगॅस्टेन का था जो कि प्लूटो से प्रभावित था एवं प्लूटो भारतीय की (गूढ़) अध्यात्म विद्या से प्रभावित था ।

– अर्थर कोस्टलेर

उपनिषदों का विचार बहुत मजबूत और स्वतंत्र है । और इसका साधारणतया निष्कर्ष यह है कि आध्यात्मिक अनुभव ही वास्तविकता का पथ प्रदर्शक है ।

– सी. ई. एम. जोड

बहुल पहले वैज्ञानिकों के मन में ये लालसा उठी की पृथ्वी की उम्र का अनुभव लगाया जाये उसके लिए प्राचीन समय के ज्ञानियों ने कालक्रम के अनुसार बहुत उन्नत पद्धतियाँ दी ।

– प्रो.अर्थर होलमेस

हमें विज्ञान की जादुई सबसे बड़ी महान धारा (नदी) को पकड़ना है जो कि भारत बहना कभी बंद नही हुई । भारत ने बौद्धिक विकास के उत्तम ज्ञान को पूरे विश्व के लिए संग्रहीत करके बाँटा । पहले बुद्धों के जमाने में सांख्य दर्शन एवं आंणविक सिद्धांत दिया ।

– प्रो. काकुजो ओकाकुरा

इसे  भी पढें :

भारतीय संस्कृति, भाग- 1

भारतीय संस्कृति, भाग- 2

भारतीय संस्कृति, भाग- 3

भारतीय संस्कृति, भाग- 4

भारतीय संस्कृति, भाग- 5

भारतीय संस्कृति, भाग- 6

भारतीय संस्कृति, भाग- 7

भारतीय संस्कृति, भाग- 9

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