Bharatiy Sanskriti- 7 | Indian Culture, Part- 7
Bharatiy Sanskriti- 7 में भारत की महान संस्कृति के बारे में बताया गया है, विश्व के महान खोजकर्ता, दार्शनिका आदि के विचार यहाँ पढें ।
प्राचीन भारतीयों ने विश्व को इसके धर्म एवं दर्शन के बारे में बताया मिश्र और यूनान, भारत के ज्ञान के ऋणी हैं । यह सभी जानते हैं कि पारथागोरस, ब्राह्मणों से सीखने भारत गया था । जो कि मानवता के लिए अत्याधिक ज्ञानवर्धक था ।
– पियरे सोनेरट
लगभग सभी दार्शनिकों और गणितज्ञों के मतों ने पारथागोरस को विशेषता दो जो कि भारत से सीखा गया है ।
– लियोपोल्ड वोन स्क्रोडर
गीता सबसे सुंदर शायद केवल एक मात्र दार्शनिक गीत है आस्तिव में जानी मानी किसी भाषा में शायद सबसे गहरी और ऊँची वस्तु संसार में यही गीता ही दिखती है ।
– विल्हेम वान हमवोल्ड
पदार्थ की आणविक सरंचना हिन्दु लेखों में वैशेषिक एवं न्याय में बताई गई है । योगवाशिष्ठ में कहा है प्रत्येक परमाणु के अंदर बहुत बड़ा संसार (छिपा) है । जैसे सूर्य किरणों में चश्में में विविध रंग उत्पन्न होते दिखते हैं और हमें उन्हें सत्य मानते हैं ।
– एन्डव टोमस
भारत ही वो एक देश है जिसे मैं अपना घर मानता हूँ केवल एक ही देश के हवाई अड्डे की भूमि को पर उतरने पर सदैव चूमता हूँ ।
– पॉल विलियम राबर्ट
यह कुतुहल है कि लोग स्क्रोडिंगर, नील्स बोर और ओपेनहिनर (आदि वैज्ञानिकों को) पसंद करते हैं वे उपनिषदों के विद्वान थे ।
– जॉन आर्कबाल्ड व्हीलर
भारत, चीन का शिक्षक था धर्म में और कल्पनामय साहित्य में और दुनिया का शिक्षक त्रिकोणमिति- वर्ग- समीकरण- व्याकरण ध्वनि (स्वर) विज्ञान अरेबियन नाइट्स पशु अख्यिान, शतरंज एवं दर्शन आदि में होने से अन्य दार्शनिकों बोकेशियो, गोटे, हर्डर, शोपेनहेर, इमर्सन और एशिया को भारत से प्रेरणा मिली
– डॉ. लिन युतंग
पूर्वी देशों का सबसे महत्वपूर्ण (गुण) दृष्टिकोण यह है कि कोई भी करीब इसको सबका सार कह ही सकता है । जो कि जाकरुक एकता और आपस में सभी वस्तुओं और घटनाओं में सम्बंधित है । संसार में सभी घटनाओं का अनुभव आधारिक अद्वैत एकता है । समस्त एहिक जगत में सभी वस्तुए एक दूसरे पर आधारित है और पृथक न करने योग्य है । जैसे एक ही अभिन्न वास्तविकता के विभिन्न रूप प्रगट हैं ।
– फ्रिटजोफ केपरा
भारतीय सभ्यता की सम्पूर्ण भवन है कि खाली मन में आध्यात्मिक विचार भरना ।
– डॉ. हेनरिच जिम्मर
भगवद् गीता की महानता ब्रह्मांड की महानता है जैसे अंधेरी रात में स्वर्ग का सितारा स्वयं चमकता है आश्चर्य है वैसे ही शाँत आत्मा में ये गीता रूपी गुलदस्ता आश्चर्य है ।
– जॉन मास्करो
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