Rashtradrohi Media का इस देश की अखंडता, सभ्यता और संस्कृति पर बड़ा प्रहार है। देशहित के मुद्दों का गला घोटा जा रहा है ।
Rashtradrohi Media | राष्ट्रद्रोही मीडिया | Anti National Media
आज भारत में यह विदेशी मीडिया असत्य की महिमा गाकर देश की विचारधारा को बदलने और बनाने में लगा हुआ है। यह इस देश की अखंडता, सभ्यता और संस्कृति पर बड़ा प्रहार है। देशहित के मुद्दों का गला घोटा जा रहा है और असंवेदनशील मुद्दों के लिए संवेदनाएँ जागृत की जा रही हैैं। देश का ध्यान बँटाने के लिए जबरन बनावटी मुद्दे तैयार किये जा रहे हैं ।
मीडिया द्वारा देशभक्तों को खलनायक और खलनायकों को नायक का चोगा पहनाकर पेश किया जा रहा है। सेकुलरता के नाम पर मीडिया देश की धार्मिक आस्थाओं और संस्कारों को मिटाकर रख देना चाहता है।
प्रसिद्ध विद्वान एन.एस.राजाराम ने अपनी खोज के आधार पर स्पष्ट किया है कि भारत का तथाकथित मीडिया बड़े पैमाने पर विदेशी शक्तियों द्वारा संचालित है। फ्रांसिसी पत्रकार फै्रंकोईस ने भारत में हिन्दुत्व के ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में अध्ययन कियाऔर इस कार्य के लिए मीडिया को जिम्मेवार ठहराया ।
बढ़ती मीडिया, घटता जनहित
भारत में 1988 में प्रथम निजी चैनल ‘एनडी टीवी’ की शुरुआत हुई। इस समय 1400 चैनल पंजीकृत हैं लेकिन 816 चैनल दिखाये जाते हैं, जिनमें से 398 खबरिया चैनल हैं। लगभग 56 करोड़ लोग भारत में टेलीविजन देखते हैं। 57 वर्ष पुराना टेलीविजन का इतिहास है । भारत में 82 हजार 237 समाचार-पत्र पंजीकृत हैं। इनकी पाठक संख्या 32 करोड़ 12 लाख 4 हजार 841 है। भारत में लगभग 10 करोड़ लोग रोज समाचार-पत्र पढ़ते हैं। मुद्रित मशीनों का इतिहास 230 वर्ष पुराना है। लगभग 80 से 85 प्रतिशत पाठक अपने अखबार के सम्पादक को नहीं जानते हैं।
भारत में सभी प्रचलित भाषाओं के मीडिया का विस्तार हुआ है। जितने खबरिया चैनल भारत में हैं, उतने दुनिया के किसी और दूसरे देश में नहीं हैं। अमेरिका के प्रख्यात लेखक ऑथर मिलर ने कहा था कि ‘सही मायने में समाचार-पत्र कहलाने का अधिकार उसे ही है, जिसमें देश खुद से बात करता हुआ दिखे।’ बहर-हाल भारत में ऐसा कोई भी मुख्य धारा का अखबार नहीं है, जिसमें देश खुद से बात करता हुआ दिखे।
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