आज सुबह से लेकर शाम तक मीडिया में पाश्चात्य कचरा फैशन, सेक्स, ग्लैमर आदि को प्रमुखता दी जा रही हैं जो Media ka Vyabhichar है । इस पर चर्चा करेगें ।
Media ka Vyabhichar- फैशन, सेक्स व विज्ञापन
आज सुबह से लेकर शाम तक मीडिया के लेखों और कार्यक्रमों में पाश्चात्य कचरा फैशन, सेक्स, ग्लैमर आदि को प्रमुखता दी जा रही हैं। पूनम पाण्डे, शर्लिन चोपरा, सन्नी लिओन, हनी सिंह जैसे व्यभिचार फैलानें वाले लोग मीडिया के चहेते हैं।
टीवी न्यूज चैनलों से धीरे-धीरे खबरें गायब होती जा रही हैं । बुनियादी सवालों-रोजगार, समाज-सेवा, देशभक्ति, कृषि, ग्रामीण जीवन से संबंधित कार्यक्रमों से मीडिया का दूर-दूर का नाता हैं, मीडिया इस पर बहस नहीं करती बल्कि फिल्म मुन्नी की बदनामी और शीला की जवानी को लेकर बहुत संवेदनशील हैं । यह देश के साथ मीडिया का बहुत बड़ा धोखा व षड्यंत्र है । यह Media ka Vyabhichar है ।
आज चैनल ही तैयार करते हैं कि कल देश के लोगों को क्या खबर बतानी हैं । जो सबसे सर्वोच्च होने का दावा करते हैं, उसमें तो विज्ञापन-ही-विज्ञापन होते हैं । खबरों को वह फिलर की तरह इस्तेमाल करते हैं । चैनल मामूली खबर को भी ऐसे दिखाते हैं, जैसे कि कोई बहुत बड़ा तूफान आ गया हो । खबरों को लेकर सुर्खियों में रहनेवाली मीडिया आज खुद खबरों में हैं ।
भारत में टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत 15 सितंबर, 1959 को दूरदर्शन के जरिये हुई थी। एक सरकारी चैनल से शुरु हुआ टेलीविजन, आज एक बहुत बड़े उद्योग की शक्ल अख्तियार कर चुका है। ऐसा अनुमान है कि देश के 25 करोड़ घरों में से तकरीबन बारह करोड़ घरों में टेलीविजन है ।
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