Gauraksha men Hamara Yogadan यह हो कि चमड़े से बनी वस्तुओं जैसे जूता, टोपी, बेल्ट, पर्स आदि का उपयोग बिल्कुल न करें तथा यह भी करें ।
Gauraksha men Hamara Yogadan kya ho | गौरक्षा में हमारा योगदान क्या हो ?
* गाय से प्राप्त दूध, दही, घी , गोझरण व गोझरण युक्त फिनायल एवं गाय के गोबर से निर्मित वस्तुओं को हम अपने दैनिक जीवन की आवश्यकता बना लें । गाय से प्राप्त इन सभी चीजों का अधिक-से-अधिक उपयोग करना भी गाय की सेवा है । इसे भी पढें- गौ की महिमा महान
* रोजगार के अवसर देने की दृष्टि से गोपालन सबसे अच्छा साधन है । गौ आधारित उद्योग : फिनायल, धूपबत्ती, अगरबत्ती, अन्न सुरक्षा टिकिया, मच्छर निरोधक क्वायल, गोमय शेम्पू, बर्तन मांजने का पाउडर, गोरस भंडार, गोबर गैस प्लांट इत्यादि । इसे भी पढें- गौ आधारित कृषि क्या है ?
* गायों को कसाइयों के हाथों न बेचें । गायों के चमड़े से बनी वस्तुओं जैसे जूता, टोपी, बेल्ट, पर्स आदि का उपयोग बिल्कुल न करें । इसे भी पढें- गौ हत्या कैसे होती है ?
* हिंदू संस्कृति में यह नियम था कि भोजन मेंसे गाय के लिए अग्राशन निकाला जाता था, जिसे हम भूल गये । अतः आज से हम नियम लें कि भोजन में से गाय के लिए अग्राशन निकालेंगे । इसे भी पढें- गौ रक्षा सर्व सुुरक्षा
* गो-ग्रास खिलाने का आग्रह रखें । किसान-परिवार तथा जिनके पास जगह हो वे गौपालन कर गौसेवा का पुण्य व स्वास्थ्य-लाभ अर्जित करें । इसे भी पढें- गौ संस्कृति क्या है
गौमाता की दुर्दशा देख उसकी रक्षार्थ भारत के मनीषियों ने अनेकों बलिदान दिये । पूर्वकाल में करपात्रीजी महाराज, संत प्रभुदत्तजी ब्रह्मचारी, आचार्य विनोबाजी भावे आदि अनेकों संत-महात्माओं व समाज-सेवकों ने गौवध-विरोधी आंदोलन चलाये ।
वर्तमान में गौरक्षा व देश की सांस्कृतिक परम्परा को बचाने के लिए ‘संस्कृति रक्षक संघ’ ने क्रांति का शंखनाद किया है । आइये, हम सब साथ मिलकर गाय व संस्कृति की रक्षा के लिए आगे बढें । For More Information: https://srsinternational.org/gau-raksha-ek-andolan-multi-languages
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