क्या आप जानते हैं जिस गौमाता की आप पूजा करते हैं, वह Gau Hatya Kaise Hoti है । उस निर्दयता को आप देख नहीं सकते कि क्या आजाद भारत में ऐसा ।
Gau Hatya Kaise Hoti- गौ हत्या कैसे होती है ?
क्या आप जानते हैं जिस गौमाता की आप पूजा करते हैं, उसे किस प्रकार निर्दयतापूर्वक मारा जाता है ?
कत्लखाने में गौओं को मौत के कुएँ में 4 दिन तक भूखा रखा जाता है । अशक्त होकर गिरने पर घसीटते हुए मशीन के पास ले जाकर उन्हें पीट-पीटकर खड़ा किया जाता है । मशीन की एक पुली (मशीन का पकड़नेवाला एक हिस्सा) गाय के पिछले पैरों को जकड़ लेती है ।
तत्पश्चात् खौलता हुआ पानी 5 मिनट तक उस पर गिराया जाता है । पुली पिछले पैरों को ऊपर उठा देती है । जिससे गायें उलटी लटक जाती हैं । फिर इन गायों की आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर आ जाय लेकिन गाय मरे नहीं ।
तत्काल गाय के पेट में एक छेद करके हवा भरी जाती है, जिससे गाय का शरीर फूल जाता है । उसी समय चमड़ा उतारने का कार्य होता है । गर्भवाले पशु का पेट फाड़कर जिंदा बच्चे को बाहर निकाला जाता है । उसके नर्म चमड़े (काफ-लेदर) को बहुत महँगे दामों में बेचा जाता है । आज देश में वैध तथा अवैधरूप से हजारों कत्लखाने चल रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन लाखों की संख्या में पशुधन काटा जाता है ।
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गाय मरी तो बचता कौन ? गाय बची तो मरता कौन ?
दिल्ली विश्वविद्यालय के दो वैज्ञानिकों डॉ. मदनमोहन बजाज, डॉ. अब्राहम तथा अन्य वैज्ञानिक डॉ. विजय राज ने अपने शोधों से यह साबित कर दिया है कि ‘‘पृथ्वी पर भूकम्प एवं सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ तथा सोये हुए ज्वालामुखी फूट पड़ना अधिकांशतः ई.पी. वेव्स के कारण ही होता है । ये वेव्स गाय एवं अन्य प्राणियों को कत्ल करते समय उत्पन्न दारुण वेदना एवं चीत्कार से निकलती हैं ।’’ कटती गायों की चीत्कार से पृथ्वी की रक्षा-कवच कही जानेवाली ओजोन परत में 2 करोड़ 70 लाख वर्ग किलोमीटर का छिद्र हो गया है । यदि गायों की हत्या इसी प्रकार चलती रही तो सन् 2020 तक प्रलय की सम्भावनाएँ निश्चित हैं । पशुहत्या के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है ।
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श्री राजेश शर्मा
क्या आप जानते हैं ?
देश की आजादी के समय था – 90 करोड़ गोधन
सन् 2000 में रह गया – 10 करोड़
सन् 2010 में रह गया – लगभग 1 करोड़
गौमाता चराचर जगत की माता हैं । इनकी रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है । अथर्ववेद में आता है : गौहत्यारे को काँच की गोली से उड़ा दो । अतः हे भारतवासियो ! जागो और गोवंश की हत्या रोकने के लिए आगे आओ । गौमाता धरती का गौरव है ।
भारत की 40 करोड़ एकड़ भूमि पर पैदावार तथा छोटे-बड़े भूखंडों के अनुकूल कृषिकार्य मात्र गोवंश ही कर सकता है । गायों से प्राप्त विभिन्न पदार्थों से विभिन्न उत्पाद बनाये जाते हैं जो मानव-जीवन के लिए अति आवश्यक हैं । For More Information: https://srsinternational.org/gau-raksha-ek-andolan-multi-languages
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