Mobile Phone Khatarnak II मोबाइल फोन खतरनाक II mobile phone dangerous
पिछले कुछ वर्षों से मोबाइल के उपयोग में तीव्र वृद्धि देखने को मिली है । भारत देश में करीब 83 करोड़ लोग स्मार्ट फोन का उपयोग करते हैं । मोबाइल ने हमारे जीवन के कुछ कार्यों को सरल अवश्य बनाया है लेकिन इसने आज इंसान को मानसिक व शारीरिक रूप से जकड़ लिया है । भारत में 38 करोड़ लोग किसी न किसी तरह का खेल मोबाइल पर खेलते हैं । यहाँ 50 % से ज्यादा किशोर-युवाओं को मोबाइल फोन की लत है तथा 48 % किशोर-युवा ऐसे हैं जो मोबाइल के नोटिफिकेशन को चेक करते हैं । कुछ लोग ऐसे होते है जो हर 15 मिनट में अपना फोन बिना मतलब के चेक करते हैं । यह सब जो आदत है वह नशे से भी खतरनाक है, नशा कोई भी हो बुरा है । Mobile Phone Khatarnak मोबाइल फोन खतरनाक है ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अतिरिक्त निदेशक डॉ. दीपांकर साहा के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अपने विद्युत उपकरण, माइक्रोवेब, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट मीटर, फिटनेस ट्रेकिंग डिवाइस आदि से निकलने वाले रेडिएशन और मोबाइल फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ के रेडिएशन मिलकर शरीर पर दोगुना नकारात्मक प्रभाव डालते हैं । जिससे शारिरिक मानसिक आदि अनेक बीमारियाँ होती हैं । ऐसी जगह जहाँ पर आप सोते हैं या अधिक समय बिताते हैं वहाँ ये चीजें नहीं होनी चाहिए । घर व आफिस में होने पर आपको लैंड लाइन फोन और कम्प्यूटर, लैपटॉप पर इंटरनेट उपयोग के लिए वाई-फाई के बजाय ईथरनेट केबल का उपयोग करना चाहिए । मेटल के पास में मोबाइल का उपयोग रेडिएशन को बढ़ा देता है । अतः कार, रेल, लिफ्ट आदि में उपयोग न करें ।
घंटों आप से चिपककर रहने वाला मोबाइल आपके लिए कहीं ‘साइलेंट किलर’ व ‘टाइम किलर’ तो साबित नहीं हो रहा है ? कइयों को ऐसी आदत पड़ गई है कि अगर मोबाइल व इंटरनेट ना हो तो वे जैसे पागल ही हो जायेंगे । आजाद भारत में एक बार फिर 87 करोड़ लोग डिजिटल गुलाम बन चुके हैं । इस डिजिटल गुलामी से आजादी कौन दिलायेगा ?
लोगों को इंटरनेट (5 जी) व कोरोना आई डी आदि द्वारा सबको ऑनलाइन जोड़ा जा रहा है । यह आपकी जानकरी को केन्द्रिय स्रोत तक पहुँचाता है । जो स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वतंत्रता व अपनी व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा घातक है । इसलिए यह टेक्नोलॉजी अस्वीकार करने योग्य है । लेकिन यह सब किया जा रहा है क्योंकि एजेंडा-21 का मिशन है ।
अब अगले कदम में मनुष्यों के शरीर में ठऋखऊ नामक माइक्रो चिप लगायी जायेगी जिससे आपकी सम्पत्ति, जमीन-जायजाद, मकान, बैंक-अकाउंट आदि सब जुड़े रहेंगे । यह चिप सरकार आदि के सर्वर से जुड़ी रहेगी । लूट, बलात्कार आदि की सुरक्षा का बहाना देकर सबको अनिवार्य किया जायेगा । नगद पैसे बाजार से हटा लिये जायेंगे, सब कुछ डिजिटल कर दिया जायेगा।
रेडिएशन आतंकवादः
एम्स ने अपने मेटा विश्लेषण में पाया कि पेड न्यूज की तरह पेड रिसर्च भी मोबाइल कम्पनियों के फायदे के लिए तैयार करायी गयी है । यह इंडस्ट्री फंडेड रिसर्च लोगों को भ्रमित करने के लिए या मिलावट करके तैयार करायी जाती है ताकि लोग उनके प्रोड्क्ट को खरीदते रहें ।
इनके पेड रिसर्च के मुताबिक मोबाइल को सुरक्षित बताना यह झूठ व औद्योगिक आतंकवाद है । जब तम्बाकू व सिरगरेट के बॉक्स पर कैंसर का चित्र छप सकता है तो इन पर क्यों नहीं ? यही सब झूठ छिपाकर डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाया जा रहा है । लेकिन सच तो यह है कि जितने हाथों में मोबाइल है उतने मरीज व गुलाम तैयार किये जा रहे हैं ।
अभी तक 7000 से ज्यादा सेटेलाईट स्पेस में भेजे गये हैं तथा लाखों की संख्या में भेजने की तैयारी है । इनकी तरंगें पृथ्वी के चारों तरफ बड़ी सघनता से फैल गयी हैं तथा पृथ्वी की तरंगों को प्रभावित कर रही हैं । जिससे मनुष्य, जंगल, जानवर आदि के हृदय की धड़कन व स्वास्थ्य को नुकसान पहुँच रहा है । ये तरंगें प्रकृति को अनियमित (Disordered) कर रही हैं जो भूकम्प, अतिवृष्टि, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं का आमंत्रण है ।
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