Vedic Bhartiya vigyan बहुती ही आगे था, जब दुनिया अंधेरे में थी उस समय पर । उस समय के भारतीय शास्त्र तथा रंग का निर्माण कैसे होता है यह सब देखें ।
Vedic Bhartiya vigyan | Vedic Indian Science
यांत्रिक प्रगति | Mechanical Progress
दंडैश्चकैश्च दंतेश्च सरणीभ्रमणआदिभि: ।
शक्तेरूपत्पादनं किं वा चालनं यंत्रमुच्यते ।।
– यंत्रार्णव
दंड, चक्र, दंत और सरणि के भ्रमण से शक्ति-उत्पादन या गति निर्माण करनेवाली विधि-व्यवस्था को यंत्र कहते हैं । भारतीयों को सिखाया जाता है कि भारतीय लोग यायावर थे.. वेद गडरियों के गीत हैं.. भारत शुरू से जादू-टोनों और सपेरोंका देश रहा है, अंग्रेजों के आने बाद से ही भारत ने यांत्रिक विकास किया । वस्तुत: भारत पर अंग्रेज, फ्रेंच, पोर्टुगीज आदि यूरोपीय लोगों ने अधिकार जमाकर यहाँ के प्राचीन ग्रंथों को लूटा, यहाँ के व्यापार-धंधों को खुलेआम नष्ट किया ।
भारत के कारणही पाश्चात्य जगत की यांत्रिक प्रगति आंरभ हुई । भारत के अनेक प्राचीन ग्रंथ जो विशुद्ध रूपसे वैज्ञानिक ग्रंथ हैं, इस बात की गवाही देते हैं कि जब संपूर्ण विश्व अज्ञान के अंधेरे की चादर तले ढँका था तब भारत विज्ञान के सूरज की रोशनी दुनिया को दे रहा था ।
पुरातात्विक तथा पुस्तकीय प्रमाणों से पता चलता है कि भारतके पास उत्कृष्ट यांत्रिकी तकनीक थी । शिल्प विज्ञान से संबंधित यंत्रार्णव, विमानशास्त्र, शिल्प दीपिका, काश्यप शिल्पयु, शंख स्मृति, शंगृ, दुर्ग विधान, विश्वभेदिनी कोष, सौरसुक्त, वास्तुराज वल्लभ, युद्ध जयार्णद, दुर्ग विज्ञान, ययमत जैसे अनेक ग्रंथ है जिनमें जलयान, वायुयान, बिजली, बैटरी, वर्मामीटर, चिकित्सा उपकरण, चुम्बकीय यंत्र, दूरबीन, मापक यंत्र, जल यंत्र, कृषि यंत्र आदि अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र आदि विभिन्न प्रकार के निर्माण की विधियाँ दी हुई है ।
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रंग निर्माण | Color Formulation
अजांता- एलोरा की गुफाओं में बने चित्रों के रंगो की चमक-दमक सैकड़ौं वर्षोी पाड़ुलिपियों में मिलने वाले चित्रों में भी जिन रंगो का प्रयोग किया गया हैं, उसका स्थायित्व भारत के प्राचीन रंगनिर्माण विज्ञान की यशोगाथा का गान कर रहा है ।
एक और जहाँ अजांता- एलोरा की कला, कलाजगत में मापदंड़ के रुप में स्थापित है । वहीं प्राचीन भारतीय प्राकृतिक रंग की चमक एवं स्थायित्व आज के आधुनिक रंगविज्ञान के लिए जीती-जागती चुनौति है ।
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