Urja Kya Hai इस तथ्य से वैदिक ऋषि भलीभाँति परिचित थे । जल के घर्षण आदि से विजली उत्पन्न होती है यह बाद अनेक शास्त्रो में वर्णित है ।
Urja Kya Hai | ऊर्जा क्या है | What is Energy
तम आपो अग्निं जनयन्त मातर: ।
अग्ने पित्तम् अपाम असि ।
– ऋग्वेद, 10 : 91 : 7
मातारूप जल ने अग्नि को जन्म दिया है ।
अग्नि जल का पित्त है ।
अग्नि अर्थात् ऊर्जा सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त है ।
इस तथ्य से वैदिक ऋषि भलीभाँति परिचित थे ।
जल के घर्षण और मंथन से विद्युत उत्पन्न होती है,
यह तथ्य ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में सूत्र रूप में अनेक जगह वर्णित है ।
त्वामग्ने पुष्करादधि- अथर्वा निरमन्यत ।
– ऋग्वेद, 6.16.13
अथर्वा त्वा प्रथमो निरमन्यग्ने ।
– यजु, 11.32
वैदिक सूत्रों के अनुसार ‘अथर्वा’ पहले ऋषि थे, जिन्होंने तालाब के जल के मंथन से ऊर्जा उत्पन्न करने की विधि बतलाई । वेदोत्तर ग्रंथों तथा शिल्प आँखों में हवा, रत्न, आकाश, सूर्य आदि विभिन्न प्रकार के स्त्रोतों से विद्युत की प्राप्ति तथा उसके उपयोग से यंत्र संचालन का उल्लेख मिलता है । चूंकि ये ग्रंथ सूत्रात्मक गूड़ भाषा में है तथा वे यंत्र पुरातत्व विभाग को मिल नहीं पाए हैं जिनका निर्माण उस समय हुआ होगा । अत: बीच की पूरी कड़ियाँ लुप्त हो गई । परंतु आज नवीन विज्ञान से भारते के प्राचीन ऋषि-मुनियों के कथन सत्य सिद्ध हो रहे हैं ।
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