Aap ki Aavaj Asaram बापू धर्मांतरण के सख्त विरोधी हैं । विदेशी ताकतें देश को अशलीलता व व्यसन की तरफ बढ़ा रही हैं । आसाराम की पूरी कहानी पढे ।
Aap ki Aavaj Asaram | आपकी आवाज आसाराम
हमेशा बसों, रेलगाड़ियों में, आम जनता के बीच चर्चा में बने रहनेवाले आसारामजी बापू 9 साल से जेल की सलाखों में कैद हैं । आसारामजी बापू नाम लेते ही सफेद कपड़े पहनी एक ऐसी 80 वर्षीय वयोवृद्ध मूर्ति सामने आती है जिसके पीछे 5 से 6 करोड़ लोग पागलों की तरह भागते नजर आते हों और सैकडों आश्रम, कई गुरुकुल, विभिन्न सेवा-प्रवृत्तियाँ दृष्टिगोचर होती हों । इनकी हकीकत क्या है ?
इनके भक्त हर देहात, शहर तो क्या कश्मीर से कन्याकुमारी तक और पूरे विश्वभर में फैले हुए हैं । बूढ़े, युवा, विद्यार्थी, स्त्री, पुरुष – सभी पर इन बाबा का रंग चढ़ा हुआ है ।
अभी अक्सर जोधपुर जेल व न्यायालय परिसर के बाहर इनके भक्त पलकें बिछाये, हाथ जोड़े खड़े मिलते हैं । बाबा की गाड़ी गुजरने के बाद ये भक्त सड़कों की धूल सिर पर लगाते मिलेंगे । धार्मिक लोग इनको गोप-गोपियाँ तथा अहंकारी, घमंडी लोग इनको पागल बोलते हैं ।
हैरत तो तब होती है जब आसारामजी बापू को इतने आरोपों के बाद भी ये भगवान मानते हैं । बापूजी के बारे में मीडिया, राजनेता, महात्मा, जनता व इनके भक्त क्या कह रहे हैं, इसका भारतभर में सर्वेक्षण कर इन आवाजों को इकट्ठा किया गया है ।
युवती से छेड़छाड़ :
संत आसारामजी के बढ़ते प्रभावों को खत्म करने के लिए शाहजहाँपुर (उ.प्र.) की युवती से छेड़छाड़ का झूठा मामला पुलिस में दर्ज करवाया गया । युवती की मेडिकल जाँच में क्लीन चिट मिली।
बच्चों की हत्या :
संत आसारामजी गुरुकुल अमदाबाद के 2 बच्चों की मृत्यु जुलाई 2008 में हुई । 9 नवम्बर 2012 को सर्वोच्य न्यायालया ने अन्य आरोपो को खारिज करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को सही माना कि बच्चों की मृत्यु नदी में डूबने से हुई थी ।
आश्रम में तांत्रिक विधि :
सी.आई.डी. (क्राइम ब्रांच) व एफ.एस.एल. की बड़ी टीम ने जाँच के बाद पाया कि आश्रम में काला जादू, टोना-टोटका, तांत्रिक विधि यह सब नहीं होता ।
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धर्मांतरण विरोधी :
संत आसाराम बापू धर्मांतरण के सख्त विरोधी तो हैं ही लेकिन जो लोग हिन्दू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म में चले गये थे, उनकी घर-वापसी का भी उन्होंने मार्ग प्रशस्त किया । हजारों-लाखों की भीड़वाला गुजरात का शबरी कुम्भ, मध्य प्रदेश का नर्मदा कुम्भ आदि बड़े-बड़े आयोजन बापूजी की उपस्थिति में आयोजित हुए, जिन्होंने भारत में ईसाई धर्मांतरण करनेवालों की जड़ें हिला दीं ।
पाश्चात्य कल्चर विरोधी :
भारतीयों को अपनी संस्कृति एवं नैतिकता से भ्रष्ट करने के लिए विदेशी ताकतें देश में न्यूज चैनलों, अखबारों, फिल्मों, मैगजीनों, इंटरनेट आदि माध्यमों के द्वारा अश्लीलता फैलाकर भोगवादिता और व्यसनों को बढ़ावा दे रही हैं । गर्भ-निरोधक साधन, कामोत्तेजक चलचित्र एवं ब्ल्यू फिल्में, कामोत्तेजक दवाइयाँ तथा पॉप संगीत बेचकर अरबों-खरबों डॉलर कमानेवाली विदेशी कम्पनियाँ इन बाजारों को तेज करने के लिए भारत के युवा-वर्ग को चरित्रभ्रष्ट कर रही हैं ।
संत आसारामजी सम्पूर्ण भारत में युवाधन सुरक्षा अभियान, नारी उत्थान कार्यक्रम, सत्संग आदि बहुत सारी सत्प्रवृत्तियों एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा व ‘स्वदेशी वस्तु अपनाओ’ आदि विभिन्न योजनाओं द्वारा लगभग 5 दशकों से विदेशी ताकतों के बद-इरादों को नाकाम करते आ रहे हैं ।
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जुल्म-अन्याय विरोधी :
शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की गिरफ्तारी के विरोध में संत आसारामजी अपने शिष्योंसहित दिल्ली की सड़कों पर जाकर बैठ गये थे । परिणामतः शंकराचार्यजी को रिहा करना पड़ा । रामलीला मैदान, दिल्ली में स्वामी रामदेवजी के ऊपर हुए अत्याचार का भी इन्होंने जमकर विरोध किया था ।
निर्दोष होते हुए 7 साल जेल की सजा भुगत चुके स्वामी केशवानंदजी को न्याय दिलाकर जेल से मुक्त कराया । पुलिस हिरासत में बंद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से जाकर मिले एवं उनके ऊपर हो रहे अत्याचार के विरोध में अनशन व आंदोलन करने की चेतावनी दी । इसी प्रकार स्वामी नित्यानंद, संत कृपालुजी महाराज आदि के ऊपर लगवाये गये आरोपों का संत आसारामजी ने जमकर विरोध किया ।
लुटिया डुबा दी :
यू.पी.ए. की सोनिया सरकार द्वारा हो रहे घोटालों-भ्रष्टाचारों से जनता को परेशान देख बापूजी ने घोषणा कर दी : ‘‘मैडम ! भारत छोड़ो !’’ जैसे बाबा जय गुरुदेव ने इंदिरा के खिलाफ अभियान छेड़ा था तो इंदिरा ने बाबा को जेल में डाल दिया था, जिसके परिणामस्वरूप बाबा के संकल्प से इंदिरा की सरकार चली गयी थी । ऐसे ही सोनिया सरकार के शासन में बापूजी को भी षड्यंत्र के तहत जेल में डाल दिया गया । बापूजी का ऐसा संकल्प चला कि लोकसभा चुनाव 2014 में काँग्रेस की लुटिया ही डूब गयी ।
नया त्यौहार शुरू करवाया :
हद तो तब हो गयी जब 14 फरवरी को ईसाईयत द्वारा चलाये गये ‘वेलेंटाइन डे’ को भारत से अलविदा करने के लिए आसाराम बापू ने सन् 2007 से ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना शुरू करवाया । इसका ऐसा प्रचार हुआ कि मानो वेलेंटाइन डे को उखाड़ने का तांडव शुरू हो गया हो । मलेशिया, ईरान, सउदी अरब, रूस के बेल्गोरोद राज्य, इंडोनेशिया आदि अनेक देशों में वेलेंटाइन डे पर प्रतिबंध लग गया । ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ विश्वव्यापी हो गया, जिससे ईसाई जगत में खलबली मच गयी ।
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इन बाबा ने जेल में रहते हुए भी 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ के ही दिन ‘तुलसी पूजन दिवस’ का नया त्यौहार तथा 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक ‘विश्वगुरु सप्ताह’ अपने शिष्यों से मनाना शुरू करवा दिया । इस कार्यक्रम से व्यसन व आत्महत्याएँ कम होते देख दूसरे देशों ने भी इसे पसंद करना शुरू कर दिया है । बाबा के पीछे हो रहे षड़्यंत्र के उपरोक्त मुख्य कारण हैं।
मैं आसाराम बापू बोल रहा हूँ
भारत को विश्वमानव की पीड़ा हरनेवाला बनाना है और बनेगा… ऐसी कई आत्माएँ प्रकट हो चुकी हैं, मेरे करोड़ों बच्चे भारत को ‘विश्वगुरु’ बनायेंगे ।… भारत विश्वगुरु बनकर ही रहेगा ।
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